हास्य-ऋषि काका हाथरसी ने न केवल हिंदी कवि सम्मेलन के मंच पर हास्य को स्थापित किया, बल्कि उसको बहुत ऊँचा स्थान भी दिलाया। लोकप्रियता के शिखर पुरुष काका ने अपनी तुकांत एवं अतुकांत कविताओं के साथ अपने हास्य में जीवन की व्यापक विसंगतियों को समेटा। काकी के माध्यम से उन्होंने नारी को गरिमा प्रदान की। ‘नाम..
भगवान अटलानी की कृतियों को सन् 1988 से पढ़ता रहा हूँ। उनमें नए युग के विषयों को पकड़ने और कथा के रूप में पिरोने की चामत्कारिक क्षमता है। भाषा में विस्तार के साथ प्रवाह है। कथानक प्रस्तुत करने की उनकी अलहदी व अंदर उतर जानेवाली अनूठी शैली है। जिन चरित्रों की अटलानी सृष्टि करते हैं, जिन कथ्यों को वे कह..
विश्वप्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉण्ड का भारत के बारे में कहना है कि मेरे मन में बसनेवाला भारत वह नहीं है, जो हमेशा चर्चा में रहता है। मेरे मन में बसनेवाला भारत वह है, जिसमें आम जनों का सद्भाव और हास्य वृत्ति है, सभी के रीति-रिवाजों के प्रति सहिष्णुता की भावना है, दूसरों के व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप..
विश्वप्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉण्ड का भारत के बारे में कहना है कि मेरे मन में बसनेवाला भारत वह नहीं है, जो हमेशा चर्चा में रहता है। मेरे मन में बसनेवाला भारत वह है, जिसमें आम जनों का सद्भाव और हास्य वृत्ति है, सभी के रीति-रिवाजों के प्रति सहिष्णुता की भावना है, दूसरों के व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप..
भारतीय जीवन दृष्टिप्रो. बृज किशोर कुठियाला का जीवन और दर्शन उनके लेखों में व्यापक रूप से दृश्यमान है, जो भारतीय संस्कृति का प्रतिमान है। जीवन पंचतत्त्व से उत्पन्न और पंचतत्त्व में समा जाने की यात्रा का वृत्तांत है। तत्त्वों के पारस्परिक उपयुक्त साहचर्य ही संतुलन कारक हैं। आत्मा और परमात्मा का संबं..
नीलेंदु का वह भयावह प्रलाप, ‘देख लूँगा! तुम सब बदमाशों को एक-एक करके सबक नहीं सिखाया तो मेरा नाम नहीं!’
सुरम्या मौसी के नवरात्र व्रत का अंतिम दिन था वह। बुझी हुई हवन-वेदिका सी वह काया उपासना कक्ष के बीच निश्चेष्ट पड़ी थी।
शेफाली ने बड़े यत्न से अंतिम प्रसाधन किया था—‘गौरांग बाबू, बड़ी दीदी की व..
यह कहानी है साधारण से शहर बीकानेर के पारिवारिक व्यवसाय हल्दीराम की, जिसने स्वयं को एक अंतरराष्ट्रीय चहेते ब्रांड में बदल दिया। बीसवीं सदी की शुरुआत में, गंगा बिशन अग्रवाल उर्फ हल्दीराम नाम का युवक बीकानेर शहर में सबसे अच्छी भुजिया बनानेवाले के रूप में विख्यात हो गया। समय पंख लगाकर उड़ा और एक सदी के ..
प्रस्तुत पुस्तक में ईसामसीह के जन्म तथा उनसे संबंधित कथाएँ संकलित हैं। कथाओं को सरल भाषा तथा चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है, ताकि पाठकों को कथाएँ सरल एवं रोचक लगें।..
दफ्तर की अवधि में बिलकुल ठीक समय पर बैजनाथ बाबू कार्यालय में पहुँचते, हाजिरी रजिस्टर पर दस्तखत करते, कुरसी-टेबल को चपरासी से झड़वाते, अलमारी की चाबी देते, टेबल पर दो-चार फाइलें रखवाते, कलमों का स्टैंड करीने से रखते, घंटी को बजाकर देखते; फिर कुरसी पर बैठते । किसी-न- किसी बहाने साहब के चेंबर में जाते ।..
संदर सृजन बिना पीड़ा के कब संभव हो पाया है, जब पीड़ा घनी हो जाती है तब उसे बरसना ही पड़ता है। लो बरस गई पीड़ा बोनसाई कहानियों के रूप में। ये कहानियाँ आपको नारी सशक्तीकरण, नारी समानता, नारी हिंसा, कन्याभ्रूण हत्या पर गहन विश्लेषण करती दिखाई देंगी। इन कहानियों में जहाँ एक ओर मानवीय संवेदना दिखाई देत..
सरकारी नौकर की स्थिति बिलकुल उस बँगले में रहनेवाले कुत्ते की तरह होती है, जिसे सबकुछ मिला हो मगर जिससे भौंकने की स्वतंत्रता छीन ली गई हो। कुत्ता बगैर खाए-पिए रह सकता है, मगर बिना भौंके उसके लिए जीना मुश्किल हो जाएगा। कमोबेश यही परिस्थिति मानव की भी है। स्वयं को स्वतंत्रता से अभिव्यक्त करना मनुष्य क..