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कहानी

कहानी
उस दिन घोड़े की लीद या गाय के गोबर पर भी अपचे अनाज के दाने नहीं मिले थे। बच्चे की भूख जब शोभन बरदाश्त नहीं कर सका, तब उसने हिम्मत कर लेफ्टिनेंट हडसन के रसोईघर से थोड़े से चने चुरा लिये थे, पर पिछले दरवाजे से निकलते हुए वह पकड़ा गया। लेफ्टिनेंट हडसन ने चोरी करने के जुर्म में शोभन के साथ आग का खेल खेल..
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‘दीवारों के भी कान होते हैं’, हिंदी में इस कहावत का क्या आधार है? इसकी परिभाषा या व्याख्या की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि एक अनपढ़ भी इसका मतलब समझता है। जासूसी का इतिहास बहुत लंबा है। पाँच हजार साल पीछे जाएँ तो महाभारत में भी कई मिसाल मिल जाएँगी। पांडवों का अज्ञातवास भंग करने का प्रयास एक जासूसी प्र..
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भगवान् बुद्ध के अनुयायी बुद्ध घोष ने लगभग दो हजार वर्ष पहले जातक कथाएँ लिखीं। जातक कथाएँ बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक के सुत्त पिटक के खुद्दकनिकाय का हिस्सा हैं।  जातक कथाओं में भगवान् बुद्ध के 547 जन्मों का वर्णन है। कथाओं की विविधता, शैक्षिकता, रोचकता और उपयोगिता को बढ़ाने के लिए इस पुस्तक में भगवान् बुद..
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मैं उसके हस्तक्षेप से थक चुकी थी। मैं बोली, ‘ठीक है, मुझे इस बारे में सोचने दीजिए। हम बाद में बात करते हैं।’ अगले दिन उसने फिर मुझे फोन किया। ‘मैडम, हमारी फैक्टरी में लंबे लोग भी हैं। क्या मैं आपको अलग-अलग सूची भेज दूँ, ताकि आप उनके लिए अधिक कपड़ा खरीद सकें?’ ‘सुनिए, मेरे पास संशोधनों के लिए समय न..
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‘माटी माँगे खून’ में जिन लोगों की कहानियाँ दी गई हैं, वे ऐसे लोग थे, जिन्होंने अपने साहस, शौर्य, सूझबूझ, पराक्रम और चारित्रिक उत्कृष्‍टता एवं निष्‍ठा के दम पर दया, प्रेम, करुणा, त्याग और बलिदान जैसे शाश्‍वत मानवीय मूल्यों को अक्षुण्ण बनाए रखने का स्तुत्य उपक्रम किया तथा अपने कर्तव्य-कर्म से इनसानियत..
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हर भाषा में कथा-साहित्य सबसे समृद्ध साहित्य-विधा है और कहानी पाठकों का सबसे बड़ा आकर्षण रही है। कहानी के लिए कोई विषय वर्ण्य नहीं होता, भावना की उत्कटता ही कहानी का प्राण होता है। मराठी की प्रसिद्ध लेखिका शुभांगी भडभडे मराठी साहित्य को दस कहानी-संग्रह भेंट कर चुकी हैं, परंतु हिंदीभाषियों के लिए यह उ..
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ये कहानियाँ मेरे उपन्यासों के अंतराल की उत्पाद हैं; पर ये उपन्यास नहीं हैं—न आकार में और न प्रकार में। यद्यपि आज यह बात भी उठ रही है कि कहानी कोई विधा ही नहीं है। जो कुछ है वह उपन्यास ही है। आकार की लघुता में भी वह उपन्यास है—और विशालता में तो है ही। दोनों में कथा-शिल्प एक है। मेरा ‘पात्र’ जिन ऊबड़..
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“ससुरी, शंकर धामी के तंत्र को बबाल कहती है?” शंकरधामी ने, उसके सिर के बालों को फिर खींचकर, सिंदूर मलना शुरू किया, “ठकुरानी, इसकी बातों में मत आओ। यह तुम्हारा बेटा नहीं बोल रहा है। ऐसा बोलनेवाला कल तक क्यों नहीं बोलता था? क्यों री, शंकर धामी से चाल चलती है? बचने का सहारा ढूँढ़ती है? बोल, सिंदूर-चूड़ी..
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अंतर्ग्लानि अकेली मेरी नहीं, दाह उनके कलेजे में भी है। दूसरी कोई संतान नहीं, अकेला मैं...और मैं भी तो...लेकिन सुवर्णा, मेरी समझ से नियति अपने क्रियाकलापों में कोई भी हस्तक्षेप बरदाश्त नहीं कर सकती...। तुम लोग अपने एकाकीपन का भार मुझे इसी तरह उठा लेने दो...बड़े सौभाग्य से मानव-जन्म की मर्यादा का निर्..
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“कितनी ही बार तो मैंने इस खुशी को तुममें देखा है! मैंने इसे तुम्हारी आँखों में देखा और अनुमान किया है। तुमने अपने बच्चों को अपनी जीत समझकर उनसे प्यार किया, इसलिए नहीं कि वे तुम्हारा अपना खून थे। वे तो मेरे ऊपर तुम्हारी जीत के प्रतीक थे। वे प्रतीक थे मेरी जवानी, मेरी खूबसूरती, मेरे आकर्षण, मेरी प्रशं..
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मीरा सीकरी की कहानियाँ अधिकतर स्त्री-पुरुष संबंधों को लेकर लिखी गई हैं। संबंधों की एक ऐसी शृंखला, जो बाहर से भीतर की तरफ मुड़ी हुई है। बाहरी संबंध यहाँ एक भीतरी घटना की तरह हो गए हैं और इस घटना के साथ जुड़ा हुआ है कई तरह का अवसाद, अकेलापन और अस्तित्व के प्रश्न, जो संबंधों को नए-नए रूपों में परिभाषित..
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हिंदी कथा-साहित्य के सुप्रसिद्ध गांधीवादी रचनाकार श्री विष्णु प्रभाकर अपने पारिवारिक परिवेश से कहानी लिखने की ओर प्रवृत्त हुए बाल्यकाल में ही उन दिनों की प्रसिद्ध ' उन्होंने पढ़ डाली थीं । उनकी प्रथम कहानी नवंबर 1931 के 'हिंदी मिलाप ' में छपी । इसका कथानक बताते हुए वे लिखते हैं-' परिवार का स्वामी जु..
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