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कहानी - Chabootara

कहानी - Chabootara
सरकारी नौकर की स्थिति बिलकुल उस बँगले में रहनेवाले कुत्ते की तरह होती है, जिसे सबकुछ मिला हो मगर जिससे भौंकने की स्वतंत्रता छीन ली गई हो। कुत्ता बगैर खाए-पिए रह सकता है, मगर बिना भौंके उसके लिए जीना मुश्किल हो जाएगा। कमोबेश यही परिस्थिति मानव की भी है। स्वयं को स्वतंत्रता से अभिव्यक्‍त करना मनुष्य की एक बुनियादी आवश्यकता है। यदि यह आवश्यकता पूरी न हो तो जीवन ही बेमानी जैसा लगने लगता है। और सरकारी नौकर वह जीव होता है जो कुछ हजार रुपयों और चंद सुविधाओं के लिए अपनी इस बुनियादी जरूरत और अधिकार का सौदा कर चुका होता है।’ —इसी उपन्यास सेएक मर्मस्पर्शी उपन्यास जो मनोरंजन तो करता ही है, साथ में पाठक को झकझोरता है और सोचने के लिए विवश करता है। हमारे देश और समाज में मूल्यों में आ रही निरंतर गिरावट और उसके साथ-साथ चल रही पैसे और 'पावर’ की अंधी दौड़ का सशक्‍त चित्रण करता हुआ एक ऐसा उपन्यास, जिसे आप बार-बार पढऩा चाहेंगे।

कहानी - Chabootara

Chabootara - by - Prabhat Prakashan

Chabootara -

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  • Stock: 10
  • Model: PP816
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP816
  • ISBN: 9789380186641
  • ISBN: 9789380186641
  • Total Pages: 128
  • Edition: Edition 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2012
₹ 150.00
Ex Tax: ₹ 150.00