हास्य-व्यंग्य - Neta Nirman Udyog
अगले ही दिन सेठ, कलेक्टर के दर्शनार्थ बँगले पर पहुँच जाते हैं। कुछ प्रतीक्षा कराने के बाद—
कलेक्टर—“कहिए सेठजी, आपको क्या कष्ट हो गया है?”
“सर, अपना कष्ट बताने नहीं, आपका कष्ट दूर करने आया हूँ।”
कलेक्टर साहब बोले, “अच्छा-अच्छा, बताओ, मेरा कौन सा कष्ट दूर कर रहे हैं?”
“मुझे सुनने को मिला है, पिताजी चारों धाम की यात्रा पर जाने की इच्छा सँजोए हैं, मैंने सोचा, क्यों न उनकी तीर्थयात्रा का पुण्य-लाभ मैं भी ले लूँ?” सेठजी ने प्रस्ताव रखा।
“तो सेठजी! आपके सरीखा पापी, मेरे पिताजी के पुण्य-लाभों में कैसी भागीदारी करेगा?”
“क्यों सर, क्या मैं इतना गया-गुजरा हूँ। एक ए.सी. कार और ड्राइवर की व्यवस्था करा देता हूँ। पिताजी को तो बस बैठना है, तीर्थयात्रा करनी है और घर चले आना है। होटल में ठहरने की, फूल-माला, हवन, कपूर, शुद्ध घी, धूप, अगरबत्ती—सभी की व्यवस्था स्वत: ही होती जाएगी। यदि पिताजी चाहेंगे तो कोई ब्राह्मण ही इनके नाम से पूजा कर लेगा, पुण्य इनको मिल जाएगा।”
—इसी संग्रह से
प्रसिद्ध व्यंग्य लेखक श्री हरि जोशी का मानना है कि जहाँ जीवन के प्रत्येक क्षेत्र की समीक्षा अपने-अपने ढंग से की जाती हो, जहाँ बहुरुपिए यत्र-तत्र विराजमान हों, वहाँ लिखते रहने, चलते रहने में ही सुखानुभूति पाना श्रेयस्कर है।
समाज के अलग-अलग ढंग, भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण, जटिलताएँ, विद्रूपताएँ—सबको अपने-आप में समेटे पठनीय एवं मन को झकझोर देनेवाले व्यंग्य।
हास्य-व्यंग्य - Neta Nirman Udyog
Neta Nirman Udyog - by - Prabhat Prakashan
Neta Nirman Udyog - अगले ही दिन सेठ, कलेक्टर के दर्शनार्थ बँगले पर पहुँच जाते हैं। कुछ प्रतीक्षा कराने के बाद— कलेक्टर—“कहिए सेठजी, आपको क्या कष्ट हो गया है?
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- Model: PP2971
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP2971
- ISBN: 9788177211245
- ISBN: 9788177211245
- Total Pages: 152
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2011
₹ 200.00
Ex Tax: ₹ 200.00