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कहानी - Wah Zindagi

कहानी - Wah Zindagi
‘तुम यहाँ हो! मैं तो तुम्हें अंदर ढूँढ़ रही थी।’ इतने में कृतिका मुझे ढूँढ़ती बाहर चली आई। ‘यह क्या हाल बना रखा है तुमने अपना?’ और वह खिलखिलाकर हँस दी। तभी दोनों बच्चे भी स्कूल जाने के लिए बाहर आए और कृतिका को हँसते देख वे भी मुझे देख हँसने लगे। ‘मजा आ गया आज तो?’  ‘अरे पिताजी! रोज ऐसा किया करिए, छुट्टी के दिन हम भी आपके साथ भीगेंगे...।’ कहकर वे हाथ हिलाते हुए स्कूल निकल पड़े।  कुहासा छँट रहा था। मैं अपने आपको बेहद हल्का महसूस कर रहा था। ऐसा लग रहा था, जैसे मैं आकाश में उड़ रहा हूँ। जिंदगी बहुत खूबसूरत है, बस जरूरत है तो उसे इस नजरिए से देखने की। ‘वाह जिंदगी!।’ मैंने मन ही मन उस जिंदगी को धन्यवाद दिया, जो कल ही मेरे पास कुछ समय के लिए आकर मुझे जीना सिखा गई थी।—इसी पुस्तक सेसाहित्य-सृजन के प्रति सचेत राजनीतिज्ञ एवं लेखक रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की कलम से निकला कहानी-संग्रह ‘वाह जिंदगी!’ जीवटता एवं जीवंतता का अद्भुत उदाहरण है। जीवन के विविध रंग उकेरता मनोरंजक और प्रेरणाप्रद कहानी-संग्रह। 

कहानी - Wah Zindagi

Wah Zindagi - by - Prabhat Prakashan

Wah Zindagi - ‘तुम यहाँ हो!

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  • Stock: 10
  • Model: PP907
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP907
  • ISBN: 9789351867203
  • ISBN: 9789351867203
  • Total Pages: 176
  • Edition: Edition 1
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2021
₹ 400.00
Ex Tax: ₹ 400.00