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हास्य-व्यंग्य - Aadi-Tedi Baat

हास्य-व्यंग्य - Aadi-Tedi Baat
आड़ी-टेढ़ी बात ' वस्तुत: अपने आस- पास की विसंगतियों के प्रति प्रबुद्ध वर्ग को सावधान करने और व्यवस्था को सचेत करने का एक ऐसा अचूक अस्त्र है, जिसकी तिरछी मार से आहत होना तयशुदा है । थोड़ा कहना, ज्यादा समझना ' आड़ी-टेढ़ी बात ' की शैली है । वैसे ज्यादा कहना आसान होता है; परंतु उसकी मार उतनी तेज नहीं होती, क्योंकि कील नुकीली होकर ही दीवार में जल्दी घुस पाती है । देखिए- ' एक युग पहले हमारे एक रहमदिल कुल-प्रबंधक ने सड़कें बनवाने के लिए किसी ठेकेदार से दर्जनों जगह किनारे-किनारे गिट्टी-पत्थर डलवा दिए थे । अब वे सारे कैंपस में सच्चे समाजवादी भाव से फैल गए हैं-सड़कों पर, मैदानों में, मकानों के दरवाजों तक । इससे एक जबरदस्त लाभ हो गया है कि कुत्तों को भगाने के लिए पत्थर उठाने के लिए एक कदम से ज्यादा कहीं नहीं चलना पड़ता । ' --- ' किसी मरीज के इलाज के मामले में जब डॉक्टर जवाब दे देते हैं तब कहा जाता है कि अब दवा से नहीं, दुआ से काम चलेगा । डॉक्टरों से ऐसा जवाब (कि अब ' दुआ ' करो) काफी जल्दी मिलनेवाला एक अस्पताल है. ' डी.के. ', अर्थात् ' दुआ करो अस्पताल ' । ' --- ' लोग नेता क्यों बनना चाहते हैं? इसलिए कि उसमें किसी भी दुकान को चलाने की तुलना में कम मेहनत करनी पड़ती है । दूसरे इसलिए कि कोई अन्य धंधा शुरू करने के लिए पूँजी चाहिए जबकि नेतागिरी खाली जेब से भी शुरू हो सकती है । अन्य धंधों में रुपए जाते भी हैं और आते भी हैं, पर नेतागिरी में बस आते-ही-आते हैं । नेतागिरी कोई नौकरी न होकर धंधा इसलिए है कि इसमें कोई रिटायरमेंट एज नहीं होती, जिसका कारण यह है कि नेता बनते ही आदमी अधिकाधिक जवान होता चला जाता है । '

हास्य-व्यंग्य - Aadi-Tedi Baat

Aadi-Tedi Baat - by - Prabhat Prakashan

Aadi-Tedi Baat - आड़ी-टेढ़ी बात ' वस्तुत: अपने आस- पास की विसंगतियों के प्रति प्रबुद्ध वर्ग को सावधान करने और व्यवस्था को सचेत करने का एक ऐसा अचूक अस्त्र है, जिसकी तिरछी मार से आहत होना तयशुदा है । थोड़ा कहना, ज्यादा समझना ' आड़ी-टेढ़ी बात ' की शैली है । वैसे ज्यादा कहना आसान होता है; परंतु उसकी मार उतनी तेज नहीं होती, क्योंकि कील नुकीली होकर ही दीवार में जल्दी घुस पाती है । देखिए- ' एक युग पहले हमारे एक रहमदिल कुल-प्रबंधक ने सड़कें बनवाने के लिए किसी ठेकेदार से दर्जनों जगह किनारे-किनारे गिट्टी-पत्थर डलवा दिए थे । अब वे सारे कैंपस में सच्चे समाजवादी भाव से फैल गए हैं-सड़कों पर, मैदानों में, मकानों के दरवाजों तक । इससे एक जबरदस्त लाभ हो गया है कि कुत्तों को भगाने के लिए पत्थर उठाने के लिए एक कदम से ज्यादा कहीं नहीं चलना पड़ता । ' --- ' किसी मरीज के इलाज के मामले में जब डॉक्टर जवाब दे देते हैं तब कहा जाता है कि अब दवा से नहीं, दुआ से काम चलेगा । डॉक्टरों से ऐसा जवाब (कि अब ' दुआ ' करो) काफी जल्दी मिलनेवाला एक अस्पताल है.

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  • Stock: 10
  • Model: PP2990
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2990
  • ISBN: 8188140287
  • ISBN: 8188140287
  • Total Pages: 164
  • Edition: Edition 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2008
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00