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हास्य-व्यंग्य

हास्य-व्यंग्य
आड़ी-टेढ़ी बात ' वस्तुत: अपने आस- पास की विसंगतियों के प्रति प्रबुद्ध वर्ग को सावधान करने और व्यवस्था को सचेत करने का एक ऐसा अचूक अस्त्र है, जिसकी तिरछी मार से आहत होना तयशुदा है । थोड़ा कहना, ज्यादा समझना ' आड़ी-टेढ़ी बात ' की शैली है । वैसे ज्यादा कहना आसान होता है; परंतु उसकी मार उतनी तेज नहीं होती, क..
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फ्लैप मैटर-1 इस व्यंग्य संकलन की रचनाओं को पढ़कर मैं कह सकता हूँ कि डॉ. रवि शर्मा ‘मधुप’ में विसंगतियों को पहचानने का माद्दा है। रचना में प्रत्येक शब्द उचित जगह पर प्रयोग करना उनकी खूबी है, इसलिए उनके व्यंग्य चाहे कथा हैं या लेख, वे सफल व्यंग्य हैं। —डॉ. शेरजंग गर्ग वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ. रवि शर..
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इस मुल्क में सब ठीक चल रहा है। नेतागीरी, भाईगीरी, दादागीरी, गुंडागर्दी, चंदा-उगाही चल रही है। माफियागीरी चल रही है। गांधीगीरी-अन्नागीरी चल रही है। तरह-तरह के बेमेल खेल और खिचड़ी गठबंधन चल रहे हैं। हवाला, घोटाला, भ्रष्‍टाचार चल रहे हैं। अदालतों में मुकदमे चल रहे हैं। ट्वेंटी फोर आवर बे-लगाम चैनल चल र..
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बेस्ट ऑफ अल्हड़ बीकानेरी दोउ कर जोरे, खीस निपोरे हर वोटर पर डालें डोरे चपरासी को बोलें चाचा पुलिसमैन को कहें पिताजी वोट माँगन निकले नेताजी। चाल रेशमी, ढाल रेशमी काँधे ऊपर शॉल रेशमी सिर पर खादी-कैप ओढ़कर लगें लोमड़ी के फूफाजी वोट माँगन निकले नेताजी। आगे झंडे, पीछे डंडे दाएँ-बाएँ दस मुसटंडे आरती-वंद..
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बेस्ट ऑफ ओमप्रकाश आदित्य मैंने लिक्खा पानीपत का दूसरा युद्ध भर सावन में जापान-जर्मनी बीच हुआ अठारह सौ सत्तावन में। राणा प्रताप ने मोहम्मद गोरी को दस बार हराया था अकबर ने हिंद महासागर अमरीका से मँगवाया था महमूद गजनबी उठते ही दो घंटे रोज नाचता था औरंगजेब रंग में आकर औरों की जेब काटता था। तैमूर लंग ह..
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हिंदी मंचों के धुरंधर हास्य-कवियों में प्रदीप चौबे का नाम अग्रणी है। वे ‘हास्य-गैस सिलेंडर’ कहे जाते हैं। नॉन स्टॉप ठहाकों की गारंटी माने जाते हैं। हँसाने की उनकी शैली और अंदाज़े-बयाँ सबसे अलग एवं अनूठा है। भारत-प्रसिद्ध मुंबई के हास्य समारोह के आयोजक स्व. रामावतार चेतन ने उनके सम्मान में मिर्जा गालि..
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प्रेम आध्यात्मिक चिंतन को उजागर करता है, किशोर बालमन को आकर्षित करता है और पटाखा हास्य-व्यंग्य के रंग की आतिशबाजी अपने रंगों से खिलखिलाती है। हर उम्र और हर पड़ाव के पाठकों को लेखन से अपनी ओर आकर्षित करने में पटाखाजी की लोकप्रियता है। विगत पचास वर्षों से अधिक समय से लेखन से जुडे़ हैं। बताते हैं, एक क..
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हमने कहा, ‘‘भगवान् जानेदेश की जनता का क्या होगा?’’वे बोले, ‘‘जनता दर्द का खजाना हैआँसुओं का समंदर है,जो भी उसे लूट लेवही मुकद्दर का सिकंदर है।’’हमने पूछा, ‘‘देश का क्या होगा?’’ वे बोले, ‘‘देश बरसों से चल रहा हैमगर जहाँ का तहाँ हैकल आपको ढूँढ़ना पड़ेगाकि देश कहाँ हैकोई कहेगा—ढूँ..
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इसके बाद भगवान् का स्वर उदास हो आया, “मेरे इस मंदिर का सोने का कलश कब से टूटा हुआ है और मुझे अच्छी तरह मालूम है कि चढ़ावा इतना तो आता ही है कि कलश पर सोने का पत्तर चढ़वा दिया जाए। लेकिन पुजारी सब आपस में ही बाँट-बूँटकर खा जाते हैं। प्रबंध न्यासी भी इसमें काफी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। और फिर प्रेस व..
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लंबे समय से पत्रकारिता में सक्रिय भूमिका निभाते हुए रमेश नैयर का अनुभव-संसार बहुत व्यापक हुआ है । श्रेष्‍ठ स्तंभकार के रूप में चर्चित श्री नैयर ने सदैव वैचारिक गरमाहट का वातावरण बनाए रखा । दृष्‍ट‌ि की मौलिकता, विश्‍लेषण की क्षमता और व्यंग्यपूर्ण चुटीली भाषा के कारण उनके लेखन को गंभीरता से लिया जाता ..
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महात्मा गांधी विश्व की महान् हस्ती थे। वे जीवन के प्रति संघर्ष करनेवाले एक अद्वितीय योद्धा थे।  उनके व्यक्तित्व की विराटता, दृढ निश्चयात्मकता, रहस्यवादी सहजता, उत्कट संघर्षशीलता ने भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर के तत्कालीन प्रख्यात व्यंग्य चित्रकारों को अपनी ओर आकृष्ट किया। स्वयं गांधीजी ने भी अपने व..
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बुरके से बिकनी तक का फासला उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक के फासले से भी ज्यादा है। एक तरफ बुरके में औरतों की आजादी को कैद करने की कोशिश है, दूसरी तरफ बिकनी युग के शुभागमन की तैयारी है। बिकनी युग में सबकुछ आजाद होगा। सबसे ज्यादा आजाद होगी बेहयाई। अखबारवाले भी सवाल पूछने को स्वतंत्र होंगे; बल्कि कह..
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