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कविता - Prakriti Ki God Mein Maa Ki Paathshala

कविता - Prakriti Ki God Mein Maa Ki Paathshala
‘याद आता है मुझको  अपना तरौनी ग्राम,   याद आती लीचियाँ  और आम’ बाबा नागार्जुन की इन पंक्तियों में अत्यंत सूक्ष्म संकेतों में उनके ‘तरौनी ग्राम’ की स्मृति अवश्य बँध गई है, लेकिन उत्तराखंड के गौरवकवि डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की ‘कोरोना काल’ में रची गई ‘प्रकृति की गोद में माँ की पाठशाला’ कविता संग्रह की कविताओं में तो उनके ‘बचपन’ की लगभग हर स्मृति के साथ माँ के वात्सल्य का अमृत पाठकों को मिलेगा, जो सहज ही प्रत्येक पाठक के हृदय को झकझोरकर रख देगा।  डॉ. ‘निशंक’ की इन ‘स्मृति-कविताओं’ में पहाड़ की धड़कन को महसूस किया जा सकता है। पर्वतीय लोक-जीवन, लोक-संस्कृति और संवेदनाओं से महकती हुई डॉ. ‘निशंक’ की ये कविताएँ पर्वतीय समाज की अदम्य जिजीविषा का निर्मल दर्पण कही जा सकती हैं।  निश्चित रूप से विश्वव्यापी ‘कोरोना महामारी’ की भयंकर विभीषिका में कवि ‘निशंक’ ने इन रचनाओं के रूप में ‘स्मृति-काव्य’ का अनुपम उपहार हिंदी जगत् को  दिया है।  देवभूमि की पावन स्मृतियों को अपनी कविताओं में साकार करने वाले कवि डॉ. ‘निशंक’ की भावनाओं में ‘पर्वतीय समाज और परिवेश’ आपको शब्दशः जीवंत मिलेगा। —इसी पुस्तक की भूमिका से 

कविता - Prakriti Ki God Mein Maa Ki Paathshala

Prakriti Ki God Mein Maa Ki Paathshala - by - Prabhat Prakashan

Prakriti Ki God Mein Maa Ki Paathshala - ‘याद आता है मुझको  अपना तरौनी ग्राम,   याद आती लीचियाँ  और आम’ बाबा नागार्जुन की इन पंक्तियों में अत्यंत सूक्ष्म संकेतों में उनके ‘तरौनी ग्राम’ की स्मृति अवश्य बँध गई है, लेकिन उत्तराखंड के गौरवकवि डॉ.

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  • Stock: 10
  • Model: PP769
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP769
  • ISBN: 9789390923847
  • ISBN: 9789390923847
  • Total Pages: 200
  • Edition: Edition 1
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 0
₹ 400.00
Ex Tax: ₹ 400.00