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कविता - Bas Yahi Swapna, Bas Yahi Lagan

कविता - Bas Yahi Swapna, Bas Yahi Lagan
प्रस्तुत कविता-संग्रह 'बस यही स्वप्न, बस यही लगन’ श्री जय शंकर मिश्र की काव्य-यात्रा का पंचम सोपान है। इससे पूर्व की रचनाएँ 'यह धूप-छाँव, यह आकर्षण’ , 'हो हिमालय नया, अब हो गंगा नई’ , 'चाँद सिरहाने रख’ तथा 'बाँह खोलो, उड़ो मुक्‍त आकाश में’ साहित्य- जगत् में अत्यधिक रुचि, उल्लास एवं संभावना के साथ स्वीकार की गई हैं। अपनी सहजता, सरलता एवं आह्लदमय संदेश के साथ-साथ इन रचनाओं में अंतर्निहित युग-मंगल की कामना, जीवन को सौंदर्यमय एवं शिवमय बनाने की भावना रचनाकार को एक विशिष्ïट पहचान देती है। इस संग्रह की रचनाएँ विविध स्वप्न, अनुभव, आशा-निराशा, स्नेह-प्रीति, प्रणय व जन-जन के उन्नयन की आशा, आकांक्षा एवं प्रयास पर आधारित भावनाओं का सशक्‍त प्रतिनिधित्व करती हैं। इस काव्य संग्रह में आशा-विश्‍वास का प्रीतिकर स्वर व्याप्त है। इन रचनाओं में प्रकृति चित्रों के माध्यम से जीवन के उल्लास, प्रेम, सौंदर्य एवं शिवं-सुंदरम की अत्यंत मनोरम अभिव्यक्‍ति हुई है। कवि जीवन-सौंदर्य में निर्बाध बहना चाहता है। इन रचनाओं में मानवीय चिंतन, जिजीविषा, सौंदर्य के प्रति पावन भाव आदि के जो स्वर गुंजित हुए हैं, वे आज की व्यवस्था में सर्वाधिक वांछनीय हैं; परंतु इन दिनों काव्य रचनाओं में कम ही दिखाई देते हैं। अनुभूति की सघनता एवं यथार्थ के संश्लेष से सृजित रचनाओं की विविधता, सरलता एवं सहजता कवि की असीम संभावनाओं की भावभूमि है।

कविता - Bas Yahi Swapna, Bas Yahi Lagan

Bas Yahi Swapna, Bas Yahi Lagan - by - Prabhat Prakashan

Bas Yahi Swapna, Bas Yahi Lagan -

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  • Stock: 10
  • Model: PP752
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP752
  • ISBN: 9789350481455
  • ISBN: 9789350481455
  • Total Pages: 96
  • Edition: Edition 2012
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2012
₹ 200.00
Ex Tax: ₹ 200.00