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कविता

कविता
पत्ते, पतझर, मलय पवन कोंपल, कोयल, भ्रमर, सूर्य-किरण, ओस बिंदु, इंद्रधनुष, तितली-पंख, मेहँदी, मृगछौना आदि उन्हें प्रभावित करते हैं या इन्हें वे प्रतीकों के रूप में इस्तेमाल करती हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि उषा का यह द्वितीय काव्य-संग्रह भी चर्चित और प्रशंसित होगा। अनुजावत् अपनी प्रिय शिष्या को पुनः ..
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डॉ़ अनिल कुमार पाठक का नवीनतम काव्य-संग्रह ‘अप्रतिम’ प्रेम और समर्पण के अन्यतम क्षणों का सृजन है। भारतीय संस्कृति एवं परंपरा में प्रबल आस्था रखनेवाले कवि ने इस कृति में शाश्वत मानवीय मूल्य ‘प्रेम’ को आधार बनाया है। डॉ. पाठक आध्यात्मिक विचारों से परिपूर्ण हैं, जिसका आभास इस संग्रह की रचनाओं में भी हो..
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रंग-बिरंगे फूल खिले हैं मन का कोना है क्यों सूना लाख जतन कर लो माली सूखी बगियाँ लुभा नहीं पाती। दुनिया तो है रंग-बिरंगी इनसान बन बैठा क्यों कठपुतली हाथ डोर तो, जोर से पकड़े फिर भी खुल जाती क्यों मुट्ठी रंगों को कमजोर न समझे जीवन में है इसका बड़ा मेल खुले मन से मित्र बना तो हो जाओगे सबसे अ..
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प्रस्तुत कविता-संग्रह 'बस यही स्वप्न, बस यही लगन’ श्री जय शंकर मिश्र की काव्य-यात्रा का पंचम सोपान है। इससे पूर्व की रचनाएँ 'यह धूप-छाँव, यह आकर्षण’ , 'हो हिमालय नया, अब हो गंगा नई’ , 'चाँद सिरहाने रख’ तथा 'बाँह खोलो, उड़ो मुक्‍त आकाश में’ साहित्य- जगत् में अत्यधिक रुचि, उल्लास एवं संभावना के साथ स्..
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हर लहर से पनपती बनती-बिगड़ती परछाइयाँ बहती हुई खुशियाँ या फिर सिमटी हुई तनहाइयाँ कभी लम्हों से झाँकते वो हँसी के हसीं झरोखे कभी खुद से ही छुपाते खुद होंठों से आँसू रोके कभी दिलरुबा का हाथ पकड़ा तो कभी माँ की उँगली थामी कभी दोस्तों से वो झगड़ा तो कभी चुपके से भरी हामी कभी सवाल बने समंदर ..
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इक नई जिंदगी की चाहत में चाक पर घूमती रही मिट्टी अपनी मिट्टी, अपनी जमीन और अपने लोगों की ख़ुशी तथा ग़म को महसूस करके संवेदनशीलता के साथ उन्हें शायरी का हिस्सा बनाने का हुनर आराधना प्रसाद की विशिष्टता है । आराधना प्रसाद की ग़ज़लों में भाषा की सरलता के साथ-साथ छंद, शिल्प व कथ्य का स्तर उत्कृष्ट है । ..
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सोलह बरस के पत्रकारिता कॅरियर और छत्तीस बरस की ज़िंदगी के स़फर में जो रंग देखे, उन्हें बस कह दिया, ताकि यहाँ की बातें यहीं कहता चलूँ और जाते व़क्त दिल पर कोई बोझ न हो। जो कहा, वो रत्ती भर भी काल्पनिक नहीं है, सब देखा, सुना और महसूस किया और बिना किसी ल़फ़़्फाज़ी के वैसा-का-वैसा कह दिया और यही मेरी कित..
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भारतीय कवि और साहित्यकार प्रारम्भ से ही राष्ट्रीयता की पवित्र भावना को अपने काव्य औैर चिंतन का विषय बनाते रहे हैं, जब-जब भी आवश्यकता हुई है, कवियों ने वीरों की शिराओं में बहते रक्त की गति को तीव्र करने के लिए ओज और वीरता के गीत गाए हैं ताकि शत्रु की ललकार को अपने लिए चुनौती मानकर वे राष्ट्रीय सीमाओं..
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गीतों का बहुत बड़ा महत्त्व है। कहानी की अपेक्षा गीत किसी विषय को संप्रेषित करने से अधिक सफल हैं।विद्यालयों यें विभिन्न अवसरों यथा—महापुरुषों की जयंतियों, राष्‍ट्रीय पर्वों और अन्य उत्सवों पर गीत गाने की परंपरा है। ये गीत छात्रों-अध्यापकों को उस अवसर विशेष के भावों में सराबोर होने की क्षमता रखते हैं।..
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कवि-हृदय राजनेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी संवेदनशील मन के ओजस्वी रचनाकार हैं। राजनीति में सक्रिय रहते हुए भी उनके संवेदनशील और हृदयस्पर्शी भाव कविताओं के रूप में प्रकट होते रहे। उनकी कविताओं ने अपनी विशिष्‍ट पहचान बनाई और पाठकों द्वारा सराही गईं। उनकी कविताओं में स्वाभिमान, देशानुराग, त्याग, बलिदान, ..
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Dear ज़िंदगी—ज़िंदगी का ऐहतराम करती मेरी पहली किताब पेश है आप सबके सामने। इसमें ज़िंदगी की दी हुई खुशियों का जश्न भी शामिल है और इसके दिए गमों की शि़कायत भी। अगर इस किताब  को चंद अल़्फाज़ों में निचोड़ना हो तो शायद कुछ यों होगा— यह चंद स़फहों की किताब है मेरे कुछ महीनों का हिसाब है फलस़फे ज़िंदगी के है..
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कविता वही है, जो अपने सारे अर्थ खोले और फिर एक मौके पर कवि चुप हो जाए और पाठक बोले। कवयित्री आत्ममुग्धा चंचल नदी की तरह लिखती हैं। वह हमारे रास्ते में आनेवाली ऐसी मुश्किलों से घबराते हुए लोगों को संबल देती हैं, जो हर मोड़ पर घबराते हुए सौ-सौ बल खाने लगते हैं। हमारे जीवन की रातें कैसे हवा के परों पर ..
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