कहानी - Srijan Ke Beej
यशस्वी शब्दसाधक डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के चिरंतन-चिंतक व्यक्तित्व की अक्षय प्रतीक 'सृजन के बीज' की ये कविताएँ निश्चय ही 'सृजन की चेतना' से अनुप्राणित हैं। यह कविता-संग्रह वस्तुतः कवि डॉ. निशंक के इंद्रधनुषी जीवनानुभवों का प्यारा-सा गुलदस्ता है, जिसमें हर्ष-विषाद, आशा-निराशा और सत्य-असत्य के शाश्वत झूले से झूलते हृदय की सजीव और सृजनात्मक झाँकियाँ पाठकों को अनायास मोहित कर लेंगी। 'सृजन के बीज' कविता-संग्रह की कविताएँ साहित्य की सभी कसौटी पर पूर्णतः खरी उतरती हैं। डॉ. 'निशंक' उदात्त-चिंतन और मानवीय संवेदनाओं के प्रति पूर्णतः समर्पित रचनाकार तथा समाज के उच्चतर जीवन-मूल्यों के पक्षधर हैं। इस कविता-संग्रह में भी उनका यही उदात्त-चिंतन यत्र-तत्र मुखर हुआ है। प्रकृति, मानवीय संबंधों, जीवन-मूल्यों को भावप्रवण रूप में उद्घाटित करती लोकप्रिय कविताओं का पठनीय संकलन।अनुक्रम
डॉ. ‘निशंक’ का चिरंतन-चिंतन 49. मायूस न हो — Pg. 75
1.मैं ऐसा होऊँ — Pg. 13 50. लकीरें — Pg. 76
2.दीन-हीन — Pg. 14 51. बेजुबान — Pg. 78
3.तुम ही हो — Pg. 16 52. वे सदा सफल — Pg. 80
4.आभूषण — Pg. 17 53. फलदार पेड़ झुकता है — Pg. 81
5.कुछ रिश्ते — Pg. 19 54. पूँजी — Pg. 82
6.कसौटी — Pg. 20 55. खामोशी — Pg. 84
7.अनुभव — Pg. 21 56. कब तक — Pg. 85
8.आह से उपजा — Pg. 22 57. ऐ जिंदगी — Pg. 87
9.अपने तो अपने ही हैं — Pg. 23 58. जब तक — Pg. 88
10.वत — Pg. 25 59. हौसला — Pg. 89
11.पानी के बुलबुले-सी है जिंदगी — Pg. 26 60. ऐसा यों हुआ? — Pg. 90
12.एक विराट् दुनिया — Pg. 28 61. बाँसुरी — Pg. 91
13.तुम सिर्फ कर्म करो — Pg. 29 62. अपनी जमीन — Pg. 92
14.तुम्हारा सौंदर्य — Pg. 31 63. ये झूठ — Pg. 94
15.कितने सारे लोग — Pg. 32 64. बाँसुरी की सीख — Pg. 95
16.इच्छाओं के कारण — Pg. 33 65. मेरी जिद है — Pg. 96
17.अंत:करण — Pg. 34 66. सब कर डालो — Pg. 97
18.ऐसी क्रांति — Pg. 35 67. एहसास — Pg. 98
19.परख — Pg. 36 68. मेरे लिए — Pg. 99
20.भीगा हुआ आदमी — Pg. 37 69. मुट्ठी में बँधे हैं, जो प्रश्न — Pg. 100
21.बिना बात — Pg. 38 70. अहिंसा — Pg. 101
22.पीड़ा का मरहम — Pg. 39 71. संसार-यात्रा — Pg. 102
23.एक दिन पेड़ बनकर — Pg. 40 72. कोई ऐसा साथ — Pg. 103
24.दीप का संघर्ष — Pg. 41 73. मेरी शिकायत उससे — Pg. 104
25.चींटी — Pg. 43 74. अभाव — Pg. 105
26.सुख और दु:ख — Pg. 45 75. अनुशासन — Pg. 106
27.सृजन के बीज — Pg. 46 76. रसयुत बनो — Pg. 107
28.इनसान — Pg. 47 77. बूँद मचाएगी हाहाकार — Pg. 108
29.सबको साथ लेकर — Pg. 48 78. जड़ — Pg. 110
30.लोकतंत्र बचाना पड़ेगा — Pg. 49 79. मन — Pg. 112
31.न जाने ऐसा यों होता है — Pg. 50 80. मन और वत मेरी पूँजी है — Pg. 114
32. तुम्हीं को करना है — Pg. 51 81. खट्टे-मीठे अनुभव — Pg. 115
33. तैयारी करो — Pg. 52 82. कठोर बना दिया — Pg. 116
34. सुखद नशा है — Pg. 53 83. काश! तुम सुन सकते — Pg. 117
35. आओ मंथन करें — Pg. 54 84. मन और वत है मेरे पास — Pg. 119
36. सर्वेक्षण लसर — Pg. 55 85. गलतियाँ — Pg. 120
37. तुम भूल जाते हो — Pg. 58 86. मुकाबला — Pg. 121
38. एक रेखा — Pg. 60 87. सब ठीक चाहिए — Pg. 122
39. दुनिया को बदल दिया — Pg. 61 88. ये दर्द भी — Pg. 124
40. फिर न पाएगा — Pg. 62 89. दर्द का दरिया — Pg. 125
41. वह कल — Pg. 63 90. परेशानी — Pg. 126
42. ये दिल — Pg. 64 91. प्यार का आकार — Pg. 128
43. गिरगिट की तरह — Pg. 65 92. निंदिया — Pg. 129
44. भोला पहाड़ — Pg. 66 93. सेतु का काम कर — Pg. 131
45. आज नहीं तो कल — Pg. 68 94. मैं हूँ तुम्हारा मन — Pg. 132
46. हथेली की लकीरें — Pg. 70 95. मुकाम — Pg. 134
47. लकीरों में — Pg. 72 96. घमंडी व्यति — Pg. 135
48. विचार-तरंग — Pg. 73
कहानी - Srijan Ke Beej
Srijan Ke Beej - by - Prabhat Prakashan
Srijan Ke Beej - यशस्वी शब्दसाधक डॉ.
- Stock: 10
- Model: PP905
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP905
- ISBN: 9789390101467
- ISBN: 9789390101467
- Total Pages: 136
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2020
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00