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राजभाषा : भाषा-विज्ञानं : हिंदी प्रसार

राजभाषा : भाषा-विज्ञानं : हिंदी प्रसार
1000 Vishwa Prashnottari
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1000 Vishwa Prashnottari - PP2334 - राजभाषा : भाषा-विज्ञानं : हिंदी प्रसार..
₹ 350.00
Ex Tax:₹ 350.00
आप विद्यार्थी हैं, अध्यापक हैं, लेखक हैं, पत्रकार हैं या आम पाठक—यदि हिंदी पढ़ने-लिखने में आपकी थोड़ी भी रुचि है तो आपके काम की कुछ-न-कुछ मानसिक खुराक इस पुस्तक में जरूर मिलेगी। यों यह पुस्तक छात्र समुदाय को विशेष रूप से संबोधित है, पर अपने पूरे कलेवर में प्रायः हर वर्ग के हिंदी-प्रेमियों के लिए उपय..
₹ 700.00
Ex Tax:₹ 700.00
राजभाषा अधिनियम सन् 1963 के अनुसार, भारत सरकार में व्यापक रूप से द्विभाषा-हिंदी तथा अंग्रेजी-नीति का परिपालन अनिवार्य हो गया है । प्रत्येक भाषा में ऐसे अनेक मिलते-जुलते शब्द होते हैं जिनको पर्याय समझ लिया जाता है । ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो गया है कि इन मिलते-जुलते शब्दों की स्पष्‍ट संकल्पना, अंग्र..
₹ 450.00
Ex Tax:₹ 450.00
प्रस्तुत पुस्तक में अंतरिक्ष के विभिन्न विषयों- अंतरिक्ष स्टेशन, तारकीय / क्षुद्र ग्रहीय '' पुच्छल तारा अभियान, अंतरिक्ष परिवहन स्पेस शटल, अंतरिक्ष में प्रमोचन की प्रक्रिया, अंतरिक्ष के रिकॉर्ड, अंतरिक्ष दूरबीनें, कृत्रिम उपग्रह, स्पेस वॉक, अंतरिक्ष परिघटनाओं तथा अंतरिक्ष चयन और प्रशिक्षण का रोचक वर..
₹ 350.00
Ex Tax:₹ 350.00
विश्‍व भर में अलग-अलग भाषाओं का होना विभिन्न क्षेत्रों, देशों एवं संस्कृतियों को अलगाता-सा है, जबकि अनुवाद के माध्यम से उनमें परध्सपर संबद्धता-सी प्रतीत होती है। यह एक जटिल कार्य है, जिसके लिए अनुवाद कला की सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक जानकारी अपेक्षित है। इसी परिप्रेक्ष्य में, सफल अनुवादक तथा प्रसिद्..
₹ 500.00
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इस ग्रंथ में आधुनिक भारतीय भाषाओं की साहित्य-संपदा की रूपरेखा प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। इसमें संविधान में स्वीकृत चौदह भाषाओं के साहित्यिक विकास पर संक्षिप्‍त सर्वेक्षण-लेख संकलित हैं। हिंदी, सिंधी और कश्मीरी को छोड़कर ये सभी लेख मूलत: अंग्रेजीमें लिखे गये हैं जिनका प्रामाणिक हिंदी अनुवाद..
₹ 900.00
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भाषा अभिव्यक्ति का आयुध है, जिसके बिना हम न तो सार्थक बातचीत कर सकते हैं, न लिख-पढ़ सकते हैं। हिंदी-हिंदुस्तानी जिसकी नींव कभी महात्मा गांधी ने रखी, जिसे देश भर में प्रचारित-प्रसारित किया, स्वराज पाने का अचूक हथियार बनाया, वह भारत की राजभाषा बनने के बावजूद अपने हक से वंचित रही है। अरसे तक औपनिवेशिक ..
₹ 400.00
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हिंदी के ऐतिहासिक संदर्भ में जहाँ अपभ्रंश, अवहट्ट और पुरानी हिंदी महत्त्व है वहीं उसके स्वरूप-निर्धारण में उसकी उपभाषाओं-बोलियों का, विशेष रूप से ब्रजभाषा और अवधी का, अप्रतिम महत्त्व है। हिंदी की प्रमुख बोलियों और उनके पारस्परिक संबंध पर भी विवेचन प्रस्तुत किया गया है। हिंदी भाषा के मानकीकरण की समस्..
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प्रस्तुत पुस्तक में हिंदी के तीन अत्यधिक व्यावहारिक पक्षों को रखा गया है—वर्तनी, विरामचिह्न तथा प्रूफ-संशोधन। उक्त तीनों पक्ष एक-दूसरे से इतने अधिक संबद्ध हैं कि पृथक् करने में कठिनाई है। प्रूफ-संशोधन में जहाँ वर्तनी का शुद्ध रूप रखना पड़ता है, वहीं विरामचिह्नों के ठीक प्रयोग का। ‘मानक हिंदी वर्तनी..
₹ 400.00
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योतो विस्तृत क्षेत्रफल में बोली जानेवाली किसी भी भाषा मे क्षेत्रीयता, भौगोलिक परिस्थितियों, सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि आदि के कारण उच्चारणगत परिवर्तन दष्टिगोचर होते हैं, पर लेखन के स्तर पर व रानी की जैसी अराजकता आजकल हिंदी में दिखाई देती है, वैसी अन्य भाषाओं में नहीं है। संसार की सर्वाधिक वैज्ञानि..
₹ 500.00
Ex Tax:₹ 500.00
हिंदी साहित्य का भंडार पर्याप्त समृद्ध है। गद्य तथा पद्य की लगभग सभी विधाओं का प्रचुर मात्रा में साहित्य-सर्जन हुआ है। अनेक कालजयी कृतियाँ सामने आईं। लेखक-कवियों ने भी सर्जना के उच्च मानदंड स्थापित किए, जिन पर साहित्य-सृजन को कालबद्ध किया गया; वह युग उनके नामों से जाना गया। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने ..
₹ 900.00
Ex Tax:₹ 900.00
हिंदी साहित्य का भंडार पर्याप्त समृद्ध है। गद्य तथा पद्य की लगभग सभी विधाओं का प्रचुर मात्रा में साहित्य-सर्जन हुआ है। अनेक कालजयी कृतियाँ सामने आईं। लेखक-कवियों ने भी सर्जना के उच्च मानदंड स्थापित किए, जिन पर साहित्य-सृजन को कालबद्ध किया गया; वह युग उनके नामों से जाना गया। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने ..
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