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राजभाषा : भाषा-विज्ञानं : हिंदी प्रसार - Angrezi-Hindi Shabdon Ka Theek Prayog

राजभाषा : भाषा-विज्ञानं : हिंदी प्रसार - Angrezi-Hindi Shabdon Ka Theek Prayog
राजभाषा अधिनियम सन् 1963 के अनुसार, भारत सरकार में व्यापक रूप से द्विभाषा-हिंदी तथा अंग्रेजी-नीति का परिपालन अनिवार्य हो गया है । प्रत्येक भाषा में ऐसे अनेक मिलते-जुलते शब्द होते हैं जिनको पर्याय समझ लिया जाता है । ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो गया है कि इन मिलते-जुलते शब्दों की स्पष्‍ट संकल्पना, अंग्रेजी-हिंदी दोनों में, हो । साहित्यपरक शब्दों पर तो ऐसा कार्य हुआ है, पर दिन-प्रतिदिन प्रयोग में आनेवाले शब्दों के सूक्ष्म अर्थभेद 7 अर्थच्छटाएँ स्पष्‍ट हों, ऐसा प्रयास नहीं हुआ था । प्रयोग और संदर्भ- भेद से ही अर्थ- भेद निश्‍च‌ित होता है । इस प्रक्रिया से शब्दों के ठीक प्रयोग की ओर प्रयोगकर्ता उन्मुख हो सकेंगे और श‍ब्‍दों क अर्थो के सूक्ष्म अंतर को भी समझने का प्रयास कर सकेंगे । प्रकारांतर से इस कार्य से यह बात भी स्वयं सिद्ध हो जाती है कि अंग्रेजी की तुलना में हिंदी की अभिव्यंजना-शक्‍त‌ि किसी भी प्रकार कम नहीं है । विश्‍वास है कि व्यावहारिक क्षेत्र में इस पुस्तक का विशेष उपयोग होगा ।

राजभाषा : भाषा-विज्ञानं : हिंदी प्रसार - Angrezi-Hindi Shabdon Ka Theek Prayog

Angrezi-Hindi Shabdon Ka Theek Prayog - by - Prabhat Prakashan

Angrezi-Hindi Shabdon Ka Theek Prayog -

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  • Stock: 10
  • Model: PP2339
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2339
  • ISBN: 9789351867692
  • ISBN: 9789351867692
  • Total Pages: 236
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2018
₹ 450.00
Ex Tax: ₹ 450.00