प्रत्येक शब्द का अपना इतिहास होता है। एक शब्द का ठीक व समुचित उपयोग व्यक्ति को आगे बढ्ने का अवसर प्रदान करता है, जबकि एक शब्द के दुरुपयोग से (अंधों के अंधे होते हैं) महाभारत भी हो सकता है। शब्द के उचित प्रयोग और उसकी उपयोगिता तथा हिंदी भाषा संबंधी पर्याय, विलोम, युग्म, पुनरुक्ति, अनेकार्थक आदि ..
पारिभाषिक शब्दावली याद करने में विद्यार्थी अकसर अरुचि तथा असमर्थता दिखाते हैं। भाषा शिक्षण के बंधन में बँधे होने के कारण अध्यापन में वही परंपरागत विद्या अपनाई जाती रही है। कुछ समय से विशेषण का भाषा में प्रयोग और उसका महत्त्व वाक्यों के माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया, जो काफी लोकप्रिय हुआ। अपने ..
हिंदुत्व एक ऐसी भू-सांस्कृतिक अवधारणा है, जिसमें सभी के लिए आदर है, स्थान है और सह-अस्तित्व का भाव भी । इस सह-अस्तित्व-प्रधान सांस्कृतिक चेतना ने इसे अत्यंत उदार, सहिष्णु और लचीला भी बनाया । बात तब बिगड़ी, जब विदेशी आक्रमणकारियों की संस्कृतियों ने इस अति सहिष्णु संस्कृति की उदारता का लाभ उठाकर इसकी ज..
’70 के दशक के बाद की नवउदारवादी नीतियों, वृहद् नव-पूँजीवाद और बदलते बाजारूपन ने हिंदी को कई तरह की ‘करणत्रयी’ का शिकार बना दिया। एक ओर हिंदी भूमंडलीकरण, वैश्वीकरण तथा बाजारीकरण की गिरफ्त में आई तो दूसरी तरफ सत्ता और स्वार्थ के खेल ने इसे अंग्रेजीकरण, अरबीकरण तथा फारसीकरण में जकड़ दिया। परिणाम हुआ—ह..
भारतीय संविधान में ‘राजभाषा’ के रूप में हिंदी को स्वीकृति मिले काफी समय हो गया है; किंतु अभी तक इससे संबद्ध सारी बातें पुसतक रूप में नहीं आ सकी हैं। प्रसिद्ध भाषा-शास्त्री डॉ. भोलानाथ तिवारी ने इस पुस्तक में पहली बार राजभाषा के रूप में हिंदी के उद्भव, विकास, उसकी वर्तमान स्थिति तथा उसके मानकीकरण,..
Rajnitik Vyastha Evem Shasan Pranali Bharat Evam Rajastha (Constitution, Political System ,Governance And Administrative System Of India & Rajasthan) For Ras/Rts And Other Rpsc Exams - PP2336 - राजभाषा : भाषा-विज्ञानं : हिंदी प्रसार..
सूचना विस्फोट के इस दौर में अधिक- से- अधिक सूचनाओं को हथियाने की जबरदस्त होड़ लगी है । इन सूचनाओं को बटोरकर रखने के इस प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिकी युग में कई साधन उपलब्ध हैं । एक ओर तो अधिकाधिक सूचनाओं प्राप्त करने की लालसा बलवती हो है और दूसरी ओर मानव की व्यस्तता में दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ोतरी ह..