पर्यावरण : प्रदूषण - Sagar Pradushan
सागर खाद्य और अन्य उत्पादों का बहुत बड़ा स्रोत है । सागरीय पर्यावरण जीव -जंतुओं के निवास के लिए थलीय और ताजा पानी के क्षेत्रों से तीन गुने मे भी आधिक है । वह खाद्य का अपार भंडार तो है ही, ऊर्जा का भी असीमित स्रोत है । सागर में प्रचुर मात्रा में मैंगनीज, लोहा, निकेल, कोबाल्ट और ताँबा जैसी धातुएँ ही नहीं, चाँदी, सोना, यूरेनियम और प्लेटिनम भी इतनी है कि शताब्दियों तक हम उनका इस्तेमाल कर सकें । सागर में पेट्रोलियम उत्पादों की भी अपार मात्रा छिपी पड़ी है ।
सागर देशों को आपस में जोड़नेवाली जलराशि ही नहीं है, वरन् वह प्रत्येक देश के जीवन और राजनीति की प्रभावशाली कड़ी है । परंतु आज उसी सागर को हम जाने - अनजाने कचराघर बनाते जा रहे हैं । नतीजा यह है कि आज सागर के हर जीव के शरीर में पीड़कनाशी, क्लोरीनीकृत हाइड्रोकार्बन और मनुष्य निर्मित रेडियो धर्मिता के अंश मौजूद हैं । साथ ही पारा, सीसा और कार्बन डाइऑक्साइड भी चिंताजनक स्तर तक पहुँच गया है । मिनीमाता व्याधि इस सबका ही परिणाम है ।
प्रस्तुत पुस्तक में सागर प्रदूषण से संबंधित कारणों और संभावित निदानों का सरल -सुबोध भाषा में वर्णन किया गया है । पुस्तक विद्यार्थियों के साथ-साथ आम जनता के लिए भी परमोपयोगी सिद्ध होगी, ऐसा हमारा विश्वास है ।
पर्यावरण : प्रदूषण - Sagar Pradushan
Sagar Pradushan - by - Prabhat Prakashan
Sagar Pradushan -
- Stock: 10
- Model: PP1375
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP1375
- ISBN: 9789382901761
- ISBN: 9789382901761
- Total Pages: 118
- Edition: Edition 1
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2018
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00