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पर्यावरण : प्रदूषण - 1000 Paryavaran Prashnottari

पर्यावरण : प्रदूषण - 1000 Paryavaran Prashnottari
हमारी पृथ्वी का एक नाम ' वसुधा ' भी है । ' वसुधैव कुटुम्बकम् ' भारतीय संस्कृति का उद‍्घोष है । हमारी वसुधा, जो इनसानों, पशु-पक्षियों और वनस्पतियों का घर है, संकट से घिरी है । वातावरण के प्रदूषण ने उसका गला घोंट रखा है । औद्योगिक विकास की गति बढ़ने से, शहरीकरण और वाहनों की बढ़ती संख्या से वायु-प्रदूषण की समस्या अनुभव की जा रही है । पर्यावरण से संबंधित बहुत से मुद‍्दे हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े हैं-पानी का बेकार बहना, ऊर्जा खपत, ईंधन खपत, कूड़ा-कचरा, मल-मूत्र निपटान आदि की समस्या । प्रकृति की साझेदारी में वायुमंडल एवं जीवमंडल का एक निश्‍च‌ित अनुपात है । यह अनुपात जब भी बिगड़ता है, प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाता है । यदि मनुष्य कुदरत के साथ अनावश्यक छेड़छाड़ न करे तो विपदाओं मे बचा जा सकेगा । सदियों से प्रकृति के प्रति हमारा अगाध स्नेह रहा है । इसीलिए आज भी इस बात की जरूरत है कि हम प्रकृति के बोर में सजग बनें । प्रस्तुत पुस्तक पर्यावरण के संबंध में अनेक महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ देने के साथ- साथ विषय के प्राति पाठकों में उत्सुकता व जिज्ञासा का भाव भी उत्पन्न करेगी, ऐमा विश्‍वास है ।

पर्यावरण : प्रदूषण - 1000 Paryavaran Prashnottari

1000 Paryavaran Prashnottari - by - Prabhat Prakashan

1000 Paryavaran Prashnottari -

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  • Stock: 10
  • Model: PP1359
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP1359
  • ISBN: 9788177213409
  • ISBN: 9788177213409
  • Total Pages: 192
  • Edition: Edition Ist
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2019
₹ 350.00
Ex Tax: ₹ 350.00