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विज्ञान - Sagar Vigyan

विज्ञान - Sagar Vigyan
पढने या सुनने में यह बात भले ही अटपटी लगे, पर यह सत्य है कि अब वह समय आ गया है जब हमे खाद्य, आवास, ऊर्जा, प्रदूषण आदि की बढती हुई समस्याओं के समाधान के लिए थल के सीमित संसाधनों से हटकर सागर की ओर उन्मुख होना चाहिए । सागर पृथ्वी के केवल 71% भाग को ही घेरे हुए नहीं है, उसमें कुल जल का 97% भाग ही नही है, वरन् उसमें अपार खनिज संपदा, असंख्य जीव - जंतु और ऊर्जा का असीम भडार भी है । यद्यपि पृथ्वी के प्रथम जीव का विकास सागर में ही हुआ था और मनुष्य से उसका परिचय आदि काल में ही हो गया था, फिर भी आज तक वैज्ञानिकों के लिए सागर एक रहस्य ही बना हुआ है, थल खंडों को अलग करनेवाली जलराशि मात्र । विचित्र प्रतीत होते हुए भी यह सत्य है किं 1960 के दशक तक सामान्य विद्यार्थी को चाँद के बारे में अधिक जानकारी थी, पर अपने देश को तीन ओर से घेरे हुए हिंद महासागर के बारे में कम । सागर मे आश्रय पाने के लिए हमे उसकी तली, उसके पानी और खनिजों के साथ -साथ उसके जीव-जंतुओं के गुणों, उसकी लहरों, ज्वार- भाटाओं और जलधाराओं में निहित ऊर्जा के बारे मे भी पर्याप्‍त ज्ञान की आवश्यकता है ताकि वह हमारे लिए आध‌िकाध‌िक उपयोगी सिद्ध हो सके । श्यामसुदर शर्मा कृत सागर विज्ञान इसी दिशा में एक प्रयास है, जो सागर के बारे में उपलब्‍ध महत्त्वपूर्ण जानकारियों को सीधी-सादी भाषा में जनसाधारण तक पहुँचाती है ।

विज्ञान - Sagar Vigyan

Sagar Vigyan - by - Prabhat Prakashan

Sagar Vigyan -

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  • Stock: 10
  • Model: PP2462
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2462
  • ISBN: 9788177213027
  • ISBN: 9788177213027
  • Total Pages: 200
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2021
₹ 400.00
Ex Tax: ₹ 400.00