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Fiction

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ज़ोरदार कथानक, कहानी कहने की अपनी अनोखी शैली, सशक्त और सजीव चित्रांकन कि कहानी पढ़ते हुए पाठक उसी परिवेश में सराबोर हो जाता है जिस कारण हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार काशीनाथ सिंह ने इसे सराहा है। युवा लेखक प्रवीण कुमार की इन चार लम्बी कहानियों में छोटे-बड़े शहरों और कस्बों की ज़िन्दगी का हर पहलू, वहाँ..
₹ 275.00
Ex Tax:₹ 275.00
"ग्यारहवें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार के विजेता प्रसिद्ध तमिल साहित्यकार श्री. पी. वी. अखिलाण्डम साहित्य में 'अखिलन' के नाम से विख्यात हैं। 'अखिलन' का जन्म तिरुचिरापल्ली जिले के एक छोटे-से नगर फेरुलूर में 7 फरवरी, 1923 को हुआ। मेट्रिकुलेशन करते-न-करते वह सम्पूर्ण रूप से देश के स्वतंत्रता संग्राम में ज..
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पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ की आठ कहानियों का संकलन चाकलेट आधुनिक हिन्दी साहित्य में समलैंगिक रिश्तों पर पहली पुस्तक मानी जाती है। 1927 में इसके प्रकाशित होते ही पक्ष-विपक्ष में एक ज़ोरदार बहस छिड़ गयी जिसमें प्रेमचंद से लेकर महात्मा गाँधी तक शामिल थे। उग्र का मानना था कि समलैंगिकता पर लिखकर वे लोगों ..
₹ 175.00
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रवीन्द्रनाथ टैगोर का उपन्यास चोखेर बाली हिन्दी में ‘आँख की किरकिरी’ के नाम से प्रचलित है। प्रेम, वासना, दोस्ती और दाम्पत्य-जीवन की भावनाओं के भंवर में डूबते-उतरते चोखेर बाली के पात्रों-विनोदिनी, आशालता, महेन्द्र और बिहारी-की यह मार्मिक कहानी है। 1902 में लिखा गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर का यह उपन्यास ..
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राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा के पठारी और बीहड़ क्षेत्र को ‘डांग’ के नाम से जाना जाता है। यहाँ के डाकू अपने को डाकू नहीं, बल्कि बागी कहते हैं। यहाँ आज भी स्त्रियों के खरीद-फरोख़्त होती है, ज़बदस्त जातिगत संघर्ष है, किसानों की हालत दयनीय है और अत्यंत गरीबी और भ्रष्टाचार है। ऐसी विषम पर..
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रैदास या जिन्हें रविदास के नाम से भी जाना जाता है, पन्द्रहवीं सदी के संत थे जो उत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय हुए और आज भी हैं। संत रैदास के पिता चमार थे जो उस समय के समाज में अछूत माने जाते थे। लेकिन रैदास का यह मानना था कि मनुष्य की पहचान उसकी जाति से नहीं, उसके कर्म से होती है और ईश्वर की भक्ति करन..
₹ 395.00
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Dansh - Hardbound - RAJPAL176 - Biographical..
₹ 225.00
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मेरा कुछ नहीं है इस दुनिया में। औरत के पास उसके बदन के अलावा अपना और क्या है? इसके अलावा सब कुछ उसके बाप का है, पति का है, बेटे का है। बच्चे तुम्हारे हैं, क्योंकि तुमने मिडवाइफ और नर्स को पैसा दिया है। तुम इनके कपड़ों और पढ़ाई का खर्चा देते हो और यह सब भी लो...’ यह कहकर उसने अपनी हीरे की अँगूठी, नथ,..
₹ 165.00
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मेरा कुछ नहीं है इस दुनिया में। औरत के पास उसके बदन के अलावा अपना और क्या है? इसके अलावा सब कुछ उसके बाप का है, पति का है, बेटे का है। बच्चे तुम्हारे हैं, क्योंकि तुमने मिडवाइफ और नर्स को पैसा दिया है। तुम इनके कपड़ों और पढ़ाई का खर्चा देते हो और यह सब भी लो...’ यह कहकर उसने अपनी हीरे की अँगूठी, नथ,..
₹ 195.00
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संस्कृत साहित्य में महाकवि दण्डी का विशिष्ट स्थान है। ‘दशकुमारचरित’ उनकी लोकप्रिय व प्रसिद्ध रचना है। इसमें दस कुमारों के माध्यम से उस समय के समाज के सभी वर्गों-राजमहलों से लेकर आम जन-जीवन तक का रोचकतापूर्ण विस्तृत वर्णन है। ‘दशकुमारचरित’ में यथार्थवाद अपनी अभिव्यक्ति में बहुत ही निर्मम बनकर उतरा है..
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‘तिरिया जनम झन देव’ या काहे को दीनो यह मनुआ रामजी, काहे को दीनी यह काया-यह इस कृति का मर्म बिन्दु है जिस में संसार में नारी की स्थिति, पीड़ा, विडम्बना और विसंगतियों को मुखर किया गया है। इसमें वास्तविक नारी चरित्रों पर लिखी अनेक कहानियां हैं जिनमें लेखिका ने समाज की और मन की दीवारों से आरम्भ करके कार..
₹ 135.00
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‘‘अब कभी नहीं पैदा होगा इस धरती पर ऐसा आदमी। ऐसा निर्भीक, ऐसा समतावादी, ऐसा मानवता-प्रेमी, ऐसा राम-भक्त और सबसे ऊपर ऐसा आशु-कवि जिसके मुख से दोहे और साखियां, रमैनी और उलटबांसियां झरने से निकलते जल की तरह झरती थीं-निर्बाध, निद्वन्द्व, अनायास, अप्रयास।’’..
₹ 450.00
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