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विज्ञान

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ज्वालामुखी भयंकरतम प्राकृतिक आपदा है। इसके कारण बड़े पैमाने पर जन और संपत्ति की हानि होती ही रहती है; परंतु न तो उसे रोका जा सकता है और न ही नियंत्रित किया जा सकता है। उससे बचने का कारगर उपाय है उद‍्गार के पूर्व-संकेत मिलते ही ज्वालामुखी से जितनी दूर और जितनी जल्दी संभव हो, भाग जाएँ। इसके लिए ज्वाला..
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सदियों से मानव द्वारा नैनो सामग्रियों का उपयोग किया जा रहा है, यह जाने बिना कि उन सामग्रियों का बीमा क्या है। यद्यपि प्रयोगशाला में नैनोकणों का सर्वप्रथम निर्माण 1857 ई. में माइकेल फैराडे द्वारा किया गया था; परंतु नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विषय ने पिछले 10 वर्षों में अपार महत्ता हासिल की है। यह ..
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विज्ञान आज जीवन के किसी भी क्षेत्र से अछूता नहीं रह गया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शैशवास्था के बावजूद नैनो प्रौद्योगिकी एक महत्त्वपूर्ण विषय बनकर उभर रही है। वस्तुत: नैनो टेक्नोलॉजी पदार्थों के अणुओं एवं परमाणुओं के परिचालन की एक नवीन तथा क्रांतिकारी तकनीक है। मापन के संदर्भ में ‘..
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ऊर्जा के लिए हम अधिकांशत: जीवाश्म स्रोतों का दोहन करते रहे हैं। देश में कुल विद्युत् उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत कोयला आधारित विद्युत्गृहों से होता है। लगभग सभी सड़क वाहन, पानी के जहाज, हवाई जहाज आदि में भी जीवाश्म ईंधन डीजल या पेट्रोल का उपयोग किया जाता है। भोजन पकाने में प्रयुक्त गैस भी एक जीवाश्म ..
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पहाड़, नदियाँ, कल-कल बहता पानी, पानी से बिजली और बिजली से समृद्धि व संपन्नता : यह सपना अधिकांश पहाड़ी राज्यों ने स्वतंत्रता के बाद कई दशकों तक देखा है। बीतते समय के साथ पानी से बिजली अन्य ऊर्जा साधनों की तुलना में महँगी होने लग पड़ी है। यदि इस संसाधन का उपयोग बहुत पहले हो जाता तो बात और थी। भविष्य म..
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आज दुनिया में ऐसा कोई भी व्यक्‍त‌ि नहीं मिलेगा, जो प्लास्टिक के पदार्थों को न जानता हो । गत पचास-साठ वर्षों से अनेक देशों में प्लास्टिक के पदार्थों का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है । किंतु आम आदमी इन सभी पदार्थों को प्लास्टिक ही कहता है । प्लास्टिक पदार्थों के कई रूप हैं; जैसेकि पॉलिइथिलीन, पाल..
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Pravasi Jeev-Jantu - PP2463 - विज्ञान..
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फारसी लोककथा के अनुसार पृथ्वी की आयु 12,000 वर्ष; बैबीलोन ज्योतिषियों के अनुसार 20 लाख वर्ष; बाइबल के अनुसार 6,000 वर्ष बताई गई है । आर्क बिशप उशर का मत था कि पृथ्वी का जन्म 4004 ई. पू प्रात: 9.00 बजे हुआ! आधुनिक अनुसंधानों से सिद्ध हो चुका है कि हमारे ग्रह पृथ्वी की आयु 40,000 लाख वर्ष है । पृथ्वी..
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बहुत पुराने समय से ही पारे से सोना बनाने के 'प्रयास किए जाते रहे हैं । ऐसा प्रयास करनेवालों को कीमियागिर तथा इस व‌िज्ञान को कीमियागिरी कहा जाता था । इसी को रसायनशास्त्र भी कहा जाता है । आयुर्वेद में इसे रसशास्त्र नाम से जाना जाता है । मानव-जीवन का कोई भी ऐसा पक्ष नहीं है, जिसमें रसायन विज्ञान का अं..
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आज यह विश्‍वास करना कठिन है कि केवल दो सौ वर्ष पहले तक पृथ्वी का एक पूरा महाद्वीप केवल कल्पनाओं और गल्प- कथाओं तक सीमित था। इस काल्पनिक महाद्वीप को ‘अंटार्कटिका’ का नाम दिया गया; ‘अंटार्कटिक’ शब्द का अर्थ है—‘एंटी-अंटार्कटिक’, यानी आर्कटिक के विपरीत। अगर आप ग्लोब उठाकर देखें तो उसके सबसे निचले भाग म..
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रॉकेट के विकास ने अंतरिक्ष अन्वेषण कार्य के लिए महान् संभावनाओं का रास्ता खोल दिया है। प्रायोगिक रूप में लाने के पहले रॉकेटों का प्रयोग अंतरिक्ष परिवहन के रूप में वैज्ञानिक दंत-कथाओं में भी काफी किया जा चुका है। प्रारंभ में रॉकेटों का उपयोग युद्धों में अस्‍‍त्रों व मिसाइलों के रूप में हुआ और समारोहो..
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पढने या सुनने में यह बात भले ही अटपटी लगे, पर यह सत्य है कि अब वह समय आ गया है जब हमे खाद्य, आवास, ऊर्जा, प्रदूषण आदि की बढती हुई समस्याओं के समाधान के लिए थल के सीमित संसाधनों से हटकर सागर की ओर उन्मुख होना चाहिए । सागर पृथ्वी के केवल 71% भाग को ही घेरे हुए नहीं है, उसमें कुल जल का 97% भाग ही नही ह..
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