पुस्तकालय विज्ञान - Radio Prasaran
भारत जैसे बहुरंगी संस्कृतिवाले देश में जहाँ अनेक धर्म, भाषाएँ, पर्व-त्योहार, रीति-रिवाज तथा खान-पान हैं—रेडियो प्रसारण ने अपने दायरे में सबको समेटा है। इसके कारण स्थानीय संस्कृति, लोक-साहित्य, संगीत आदि को संरक्षण मिला है। वास्तव में रेडियो प्रसारण के कारण ही यह धरोहर श्रव्य रूप में संरक्षित है। सार्वजनिक हितों की अनेक प्रकार की सूचनाएँ नियमित रेडियो प्रसारण का हिस्सा हैं। विश्वास है, सुधी पाठक इस पुस्तक के माध्यम से रेडियो प्रसारण से संबंधित सभी जिज्ञासाओं का शमन कर सकेंगे और रेडियो प्रसारण के क्षेत्र में अपने ज्ञान में वृद्धि करेंगे।
‘‘भारत में प्रसारण के विकास हेतु विशेष अवसर हैं। यहाँ दूरियों और विस्तृत भूभाग के कारण अनेक संभावनाएँ हैं। भारत के सुदूर गाँवों में कई अधिकारी तथा अन्य व्यक्ति हैं जिन्हें अपने-अपने काम के कारण दूर-दराज के गाँवों में जाना पड़ता है, जहाँ वे अपने मित्रों के साथ अथवा मानवीय साहचर्य के इच्छुक होते हैं। कई ऐसे लोग हैं, जो सामाजिक परंपराओं के कारण मनोरंजन हेतु घर से बाहर नहीं जा सकते। उनके तथा असंख्य अन्य लोगों के लिए प्रसारण एक वरदान की तरह होगा। इसकी संभावनाएँ अनंत हैं, जिनकी हमने अभी पूरी तरह कल्पना नहीं की है। भारत में प्रसारण आज शैशवावस्था में है; लेकिन मुझे पूर्ण विश्वास है कि शीघ्र ही इसके श्रोताओं की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी और विज्ञान के इस नए प्रयोग के प्रशंसक भारत के हर भाग में होंगे।’
—लॉर्ड इरविन द्वारा 25 जुलाई, 1927 को बंबई केंद्र के उद्घाटन के अवसर पर दिया गया वक्तव्य।
पुस्तकालय विज्ञान - Radio Prasaran
Radio Prasaran - by - Prabhat Prakashan
Radio Prasaran -
- Stock: 10
- Model: PP1383
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP1383
- ISBN: 8188266264
- ISBN: 8188266264
- Total Pages: 200
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2015
₹ 200.00
Ex Tax: ₹ 200.00