पुस्तकालय विज्ञान - Bal Mukund Gupta
हिंदी पत्रकारिता की संपादन-चर्या के आदि चरण पर ही बालमुकुंद गुप्त ने जोखिम भरी देश-प्रीति का प्रमाण दिया था। कालाकांकर के ‘हिंदोस्थान’ की सेवा से वे इस अपराध के आधार पर विमुक्त कर दिए गए थे कि ‘सरकार के खिलाफ बहुत कड़ा’ लिखते थे। पराधीन भारत की हिंदी पत्रकारिता का यह एक प्रेरक तथ्य है। ‘हिंदी बंगवासी’ के अंतरंग रिश्ते के टूटने के मूल में गुप्तजी का जीवन-सत्य ही प्रधान कारण बना था। गुप्तजी अवसर पर उसूल को वरीयता देने के आग्रही थे। सैद्धांतिक आग्रह से ही उन्होंने अपने समय के लोकप्रिय पत्र ‘हिंदी बंगवासी’ से अपने को अलग कर लिया था।
हिंदी पत्रकारिता की समृद्धि के प्रतिमान के रूप में ‘भारतमित्र’ हिंदी जगत् में चर्चित-स्वीकृत हो गया। इतना ही नहीं, ‘भारतमित्र’ और संपादक बालमुकुंद गुप्त एक-दूसरे के पर्याय बन गए। ‘भारतमित्र’ ने ही पत्रकार गुप्तजी की विशिष्ट हिंदी शैलीकार की छवि लोक में उजागर की।
पुस्तकालय विज्ञान - Bal Mukund Gupta
Bal Mukund Gupta - by - Prabhat Prakashan
Bal Mukund Gupta -
- Stock: 10
- Model: PP1384
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP1384
- ISBN: 9789350482537
- ISBN: 9789350482537
- Total Pages: 104
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2013
₹ 125.00
Ex Tax: ₹ 125.00