पर्यावरण : प्रदूषण - Mata Bhoomi
‘माता भूमि’ राष्ट्रीय स्वतंत्रता के संक्रमण काल में लिखे हुए आचार्य वासुदेवशरण अग्रवाल के कुछ लेखों का संग्रह है। इनमें राष्ट्र के उभरते हुए नए स्वरूप के प्रति तथ्यात्मक भावनाएँ हैं एवं उसके जीवन के जो बहुविध पहलू हैं, उनके प्रति ध्यान दिलाया गया है। भूमि, जन और संस्कृति—इन तीनों के मेल तथा विकास से राष्ट्र का स्वरूप बनता है। इन तीनों क्षेत्रों में भूतकाल का लंबा इतिहास भारत राष्ट्र के पीछे है। वह सब हमारे वर्तमान जीवन की रसायन-खाद बनकर उसे रस से सींच रहा है और भावी विकास के लिए पल्लवित कर रहा है। मानवीय विकास की यही सत्य विधि है। अतएव इन लेखों में बारंबार जीवन के प्राचीन सूत्रों की ओर ध्यान दिलाते हुए यह समझाने का प्रयत्न किया गया है कि उनसे हमारा राष्ट्र और जीवन किस प्रकार अधिक तेजस्वी, स्वावलंबी और अपने क्षेत्र में एवं विश्व के साथ समवाय तथा संप्रीति-संपन्न बन सकता है।राष्ट्रभाव जाग्रत् करने वाले भावपूर्ण लेखों का पठनीय और संग्रहणीय संकलन।अनुक्रमभूमिका—Pgs.७१. माता भूमि—Pgs.१३२. मंत्रों की मधुमती भूमिका में पृथिवी—Pgs.२२३. भारतीय वन-श्री का पुष्पहास—Pgs.२८४. क्षीर-गंगा—Pgs.३४५. हिमालय और गंगा—Pgs.३९६. हिंदी की उदार वाणी—Pgs.४३७. शब्दों का देश—Pgs.५१८. तुलसीदास—Pgs.५८९. सूरदास—Pgs.६४१०. भारतीय विचारों के मेघजल—Pgs.६८११. भारतीय ललित कला की परंपराएँ—Pgs.७४१२. भारतीय कला का स्वर्णयुग—Pgs.७९१३. जहाँ नाचते-गाते लोग—Pgs.८३१४. राष्ट्रीय उपवन कृष्ण गिरि—Pgs.८६१५. मुगल चित्रकला—Pgs.९२१६. राजस्थानी चित्रशैली—Pgs.९७१७. हिमाचल-चित्रकला—Pgs.१००१८. युगारंभ—Pgs.१०५१९. महते जानराज्याय—Pgs.१०७२०. संविधान की परंपरा—Pgs.११०२१. राष्ट्रीय उन्नति का छैरिया१ चक्र—Pgs.११९२२. जनजीवन के दो सूत्र—Pgs.१२६२३. उपदेशेन वर्तामि—Pgs.१३०२४. पाणिवाद—Pgs.१३३२५. व्यास का मानवीय दृष्टिकोण—Pgs.१३८२६. चरित्र का मानदंड—Pgs.१४२२७. भारत का विश्व-मानस—Pgs.१४९२८. प्रियदर्शी अशोक—Pgs.१५२२९. अशोक का नया उत्थान धर्म—Pgs.१५७३०. समवाय एव साधु—Pgs.१६३३१. एशिया की आँख—Pgs.१६६३२. एशिया और भारत—Pgs.१६९३३. प्रज्ञा-वृक्ष—Pgs.१७८३४. राष्ट्र का धर्म-शरीर —Pgs.१८१३५. चमकीला सत्य—Pgs.१८५३६. मैं स्वयं हवि हूँ—Pgs.१८९३७. दावानल-आचमन—Pgs.१९२३८. कर्तव्य कर्म की हुंडी—Pgs.१९५३९. गांधी पुण्य-स्तंभ—Pgs.२०१४०. गांधी राष्ट्रीय बुद्धि समवाय—Pgs.२११४१. चक्रध्वज—Pgs.२१८४२. राष्ट्रीय महामुद्रा—Pgs.२२१परिशिष्ट—Pgs.२२८
पर्यावरण : प्रदूषण - Mata Bhoomi
Mata Bhoomi - by - Prabhat Prakashan
Mata Bhoomi - ‘माता भूमि’ राष्ट्रीय स्वतंत्रता के संक्रमण काल में लिखे हुए आचार्य वासुदेवशरण अग्रवाल के कुछ लेखों का संग्रह है। इनमें राष्ट्र के उभरते हुए नए स्वरूप के प्रति तथ्यात्मक भावनाएँ हैं एवं उसके जीवन के जो बहुविध पहलू हैं, उनके प्रति ध्यान दिलाया गया है। भूमि, जन और संस्कृति—इन तीनों के मेल तथा विकास से राष्ट्र का स्वरूप बनता है। इन तीनों क्षेत्रों में भूतकाल का लंबा इतिहास भारत राष्ट्र के पीछे है। वह सब हमारे वर्तमान जीवन की रसायन-खाद बनकर उसे रस से सींच रहा है और भावी विकास के लिए पल्लवित कर रहा है। मानवीय विकास की यही सत्य विधि है। अतएव इन लेखों में बारंबार जीवन के प्राचीन सूत्रों की ओर ध्यान दिलाते हुए यह समझाने का प्रयत्न किया गया है कि उनसे हमारा राष्ट्र और जीवन किस प्रकार अधिक तेजस्वी, स्वावलंबी और अपने क्षेत्र में एवं विश्व के साथ समवाय तथा संप्रीति-संपन्न बन सकता है।राष्ट्रभाव जाग्रत् करने वाले भावपूर्ण लेखों का पठनीय और संग्रहणीय संकलन।अनुक्रमभूमिका—Pgs.
- Stock: 10
- Model: PP1363
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP1363
- ISBN: 9789353229443
- ISBN: 9789353229443
- Total Pages: 232
- Edition: Edition 1
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2020
₹ 500.00
Ex Tax: ₹ 500.00