कहानी - Prithvi-Putra
‘पृथिवी-पुत्र’ डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल द्वारा समय-समय पर लिखे गए उन लेखों और पत्रों का संग्रह है, जिनमें जनपदीय दृष्टिकोण से साहित्य और जीवन के सम्बन्ध में कुछ विचार प्रकट किए गए थे। इस दृष्टिकोण की मूल प्रेरणा पृथिवी या मातृभूमि के साथ जीवन के सभी सूत्रों को मिला देने से उत्पन्न होती है। ‘पृथिवी-पुत्र’ का मार्ग साहित्यिक कुतूहल नहीं है, यह जीवन का धर्म है। जीवन की आवश्यकताओं के भीतर से ‘पृथिवी-पुत्र’ भावना का जन्म होता है। ‘पृथिवी-पुत्र’ धर्म में इसी कारण प्रबल आध्यात्मिक स्फूर्ति छिपी हुई है। ‘पृथिवी-पुत्र’ दृष्टिकोण हमारे राष्ट्रीय अस्तित्व और विकास की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि के साथ हमारा परिचय कराता है।
पृथिवी को मातृभूमि और अपने आपको उसका पुत्र समझने का अर्थ बहुत गहरा है। यह एक दीक्षा है, जिससे नया मन प्राप्त होता है। पृथिवी-पुत्र का मन मानव के लिए ही नहीं, पृथिवी से सम्बन्धित छोटे-से तृण के लिए भी प्रेम से खुल जाता है। पृथिवी-पुत्र की भावना मन को उदार बनाती है। जो अपनी माता के प्रति सच्चे अर्थों में श्रद्धावान् है, वही दूसरे के मातृप्रेम से द्रवित हो सकता है। मातृभूमि को जो प्रेम करता है, वह कभी हृदय की संकीर्णता को सहन नहीं कर सकता।
जनता के पास नेत्र हैं, लेकिन देखने की शक्ति उनमें साहित्यसेवी को भरनी है। भारतीय साहित्यसेवी का कर्तव्य इस समय कम नहीं है। उसे अपने पैरों के नीचे की दशांगुल भूमि से पृथिवी-पुत्र धर्म का सच्चा नाता जोड़कर उसी भावना और रस से सींच देना है।अनुक्रमभूमिका—5द्वितीय संस्करण—71. पृथिवी-पुत्र—112. पृथिवी-सूक्त : एक अध्ययन—143. भूमि को देवत्व प्रदान—354. जनपदीय अध्ययन की आँख—395. जानपद जन—536. जनपदों का साहित्यिक अध्ययन—567. जनपदीय कार्यक्रम—598. जनपदों की कहानियाँ—649. लोकवार्त्ता शास्त्र—6910. राष्ट्रीय कल्पवृक्ष—7111. राष्ट्र का स्वरूप—7412. हिन्दी साहित्य का ‘समग्र’ रूप—7913. साहित्य-सदन की यात्रा—8314. लोकोक्ति-साहित्य का महत्त्व—9015. हिन्दी पत्रकार और भारतीय संस्कृति—10116. हमारी उपेक्षा का एक नमूना—10417. सम्पादक की आसन्दी—10618. ग्रामीण लेखक—10819. कैलास मानस-यात्रा—11220. राष्ट्र की अमूल्य निधि—12221. वणिक्-सूत्र—127परिशिष्ट (पत्र)—13222. लोक-कहानी—16123. गढ़वाली लोकगाथाएँ—16524. निमाड़ी लोक-गीत—17025. बाघेली लोक-गीत—17426. धुँयाल या गढ़वाली लोक-गीत—18227. गुजराती लोक-गीत—18828. धनुर्मह और गिरिमह—19329. ग्रामोद्योग शब्दावली—20230. किसान की जय में सबकी जय—20831. धरती—21032. हिन्दी साहित्य में लोक-तत्त्व—21733. गौ रूपी शतधार झरना—22334. वीर-ब्रह्म—24035. गाहा और पल्हाया—25136. कृषक जीवन सम्बन्धी शब्दावली—25737. यक्ष—263टिप्पणियाँ—272
कहानी - Prithvi-Putra
Prithvi-Putra - by - Prabhat Prakashan
Prithvi-Putra - ‘पृथिवी-पुत्र’ डॉ.
- Stock: 10
- Model: PP814
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP814
- ISBN: 9789352664450
- ISBN: 9789352664450
- Total Pages: 288
- Edition: Edition 1
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2018
₹ 600.00
Ex Tax: ₹ 600.00