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जीवनी

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ईश्वर ने प्रत्येक मनुष्य के जीवन का एक लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। इस लक्ष्य तक पहुँचने का प्रयत्न करते रहना मनुष्य का धर्म है। ऐसा कहाँ होता है कि सबको सबकुछ इच्छानुसार उपलब्ध हो जाए। नियति पर मनुष्य का कोई नियंत्रण नहीं है। प्रारब्ध के अनुसार जो मिले, उसी में संतुष्ट रहते हुए उसे क्रमश: अधिकाधिक स..
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यह छोटे से शहर में रहनेवाले एक बच्चे की दिलचस्प और प्रेरणादायी कहानी है, जिसे पढ़ाई में औसत माना जाता था। उसे भाषण-दोष की समस्या थी, फिर भी वह भारत का एक जाना-माना सर्जन और प्रेरक वक्ता बन गया।  यह आत्मचरित्र है डॉ. विनायक नागेश श्रीखंडे का जो अपने छात्रों के चहेते और उन हजारों मरीजों की श्रद्धा के..
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‘एक वैज्ञानिककी आत्मकथा’ (ए लाइफ इन साइंस) पुस्तक में प्रोफेसर सी.एन.आर. राव इस विषय में अपनी यात्रा की चर्चा के साथ ही हमें यह बहुमूल्य ज्ञान देते हैं कि एक महान् वैज्ञानिक बनने के लिए क्या करना पड़ता है। यह पुस्तक उनके शुरुआती जीवन तथा उन मुश्किलों के बारे में बताती है, जिनका सामना उन्हें विज्ञान ..
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"डॉ. श्यामा प्रसाद मुकर्जी पर अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, परंतु यह सत्य उजागर नहीं हो सका कि उनका बलिदान हुआ या किया गया? अर्थात्‌ उनकी मृत्यु स्वाभाविक थी या षड्यंत्र के तहत की गई? कोई नहीं जानता कि सच क्या है? परंतु यह तो सत्य है कि उनका बलिदान न होता तो कश्मीर अब तक भारत से अलग हो चुका हो..
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एकात्म  मानववाद’  के  प्रणेता   पं. दीनदयाल उपाध्याय का जन्म  25 सितंबर, 1916 को मथुरा जिले के छोटे से गाँव नगला चंद्रभान में हुआ था। अत्यंत अल्पायु में माँ-पिता का साया उनके सिर से उठ गया और उनके मामाओं ने उन्हें पाला-पोसा। उपाध्यायजी ने पिलानी, आगरा तथा प्रयाग में शिक्षा प्राप्त की। बी.एससी., बी..
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बीसवीं शताब्दी में, जहाँ दुनिया में अधिकांश देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित हुई, परंतु किस प्रकार की आर्थिक व्यवस्था हो, इस विषय में संशय की स्थिति बनी रही। भारत भी इस संशय की स्थिति से अपने आपको अलग न रख सका और साम्यवाद व पूँजीवाद को मिलाकर  मिक्स्ड इकोनॉमी की व्यवस्था को अपनाया, जिससे देश म..
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सरदार वल्लभभाई पटेल को पहले से जानता था। जब वह भारतीय संविधान परिषद् के सदस्य थे तो मेरा उनसे  परिचय बढ़ गया। वहाँ दिए हुए उनके भाषणों को मुझे अच्छी तरह स्मरण है। उनकी वाणी राष्ट्र की आवाज होती थी, जिसके संबंध में न तो कोई अशुद्धि कर सकता था और न भ्रांति हो सकती थी। जब वह बंबई के बिड़ला भवन में स्व..
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आपको जागने, भविष्य के बारे में उत्साहित होने और प्रेरित होकर जीने की आवश्यकता है। यदि आप सुबह उठते हैं और सोचते हैं कि भविष्य बेहतर होगा, तो यह एक उज्ज्वल दिन है। अन्यथा यह नहीं है। एक उद्यमी होना काँच खाने जैसा और मृत्यु के बाद अस्थियों को घूरने जैसा दुष्कर काम है। जो दिख रही है, वह आधी लड़ाई है..
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कहते हैं, अनि‍च्छा से चुना गया कैरियर सफल नहीं होता, पर लगन और लक्ष्‍य के प्रति प्रतिबद्धता हो तो क्या नहीं हो सकता! विदेश पढ़ने न जाने देने के अपने पिता डॉ. मानेकशॉ के निर्णय का विरोध करने के लिए सैम ने सेना में कमीशन लिया, और अपने अदम्य साहस, नेतृत्व कौशल और कुशल प्रशासनिक क्षमता के बल पर भारत के ..
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यह आम धारणा है कि सरदार पटेल कांग्रेस के तीन दिग्गजों-महात्मा गांधी, पं. नेहरू और सुभाषचंद्र बोस के खिलाफ थे। किंतु यह मात्र दुष्प्रचार ही है। हाँ कुछ मामलों में-खासकर सामरिक नीति के मामलों में-उनके बीच कुछ मतभेद जरूर थे, पर मनभेद नहीं था। परंतु जैसा कि इस पुस्तक में उद्घाटित किया गया है, सरदार पटेल..
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काका कालेलकर का पूरा नाम दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर था। उन्हें यायावर (घुमक्कड़) भी कहा जाता है। अगर हम काका के जीवनवृत्त का अध्ययन करें तो हमें उनके बहुत से रूप देखने को मिलते हैं—लेखक, शिक्षाविद्, पत्रकार, विद्वान्, समाज सुधारक और  इतिहासकार। काका कालेलकर प्रखर देशभक्त थे। महात्मा गांधी के साबरम..
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"यह पुस्तक योगी सरकार द्वारा प्रदेश के समावेशी व सतत विकास हेतु विशेष रूप से “महिलाओं, किसानों तथा युवाओं” के लिए उठाए गए कदमों की चर्चा करती है। साथ ही कानून-व्यवस्था, सामाजिक, आर्थिक व अवसंरचनात्मक स्तर पर होने वाले कार्यो, प्रगति व उपलब्धियों का विवरण तथा केंद्र व राज्य सरकार द्वारा प्रारंभ की गई..
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