जीवनी - Field Marshal Sam Manekshaw
कहते हैं, अनिच्छा से चुना गया कैरियर सफल नहीं होता, पर लगन और लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता हो तो क्या नहीं हो सकता! विदेश पढ़ने न जाने देने के अपने पिता डॉ. मानेकशॉ के निर्णय का विरोध करने के लिए सैम ने सेना में कमीशन लिया, और अपने अदम्य साहस, नेतृत्व कौशल और कुशल प्रशासनिक क्षमता के बल पर भारत के पहले फील्ड मार्शल बने।
बर्मा में गंभीर रूप से घायल होने के कारण युद्ध में साहस और वीरता के लिए उन्हें ‘मिलिट्री क्रॉस’ से सम्मानित किया गया। तदुपरांत उन्हें अनेक महत्त्वपूर्ण दायित्व सौंपे गए। इससे उनकी प्रतिभा निखरी और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ी, जिसने उन्हें उच्च कमान करने में दक्ष बनाया। अपने पूरे कैरियर के दौरान फील्ड मार्शल ने अतुल्य नैतिक साहस दिखाकर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।सूची-क्रम1. आरंभिक वर्ष — Pgs. 232. पूर्वी कमांड — Pgs. 583. चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ — Pgs. 874. सन् 1971 का युद्ध — Pgs. 1445. सन् 1971 के बाद — Pgs. 1986. सेना से बाद के दिन — Pgs. 2247. नेतृत्व : मानेकशॉ की शैली — Pgs. 2438. सैम बहादुर के अंतिम दिन — Pgs. 266
जीवनी - Field Marshal Sam Manekshaw
Field Marshal Sam Manekshaw - by - Prabhat Prakashan
Field Marshal Sam Manekshaw - कहते हैं, अनिच्छा से चुना गया कैरियर सफल नहीं होता, पर लगन और लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता हो तो क्या नहीं हो सकता!
- Stock: 10
- Model: PP1281
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP1281
- ISBN: 9788173157103
- ISBN: 9788173157103
- Total Pages: 280
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2020
₹ 500.00
Ex Tax: ₹ 500.00