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जीवनी

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भगिनी निवेदिता स्वामी विवेकानंदजी की मानस पुत्री थीं जिनका वास्तविक नाम ‘मारग्रेट नोबल’ था पर स्वामीजी के शिष्य उन्हें सम्मान के साथ ‘भगिनी निवेदिता’ कहकर पुकारते थे। बाद में उनका यही नाम प्रचलित हो गया। श्रीअरविंद घोष उन्हें ‘भगिनी निवेदिता’ कहते थे और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें ‘लोकमाता’ क..
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माँ’ एक ऐसा शब्द है, जिसे सुनते ही मन परम तृप्‍ति से भर जाता है। 'माँ’ , जिसमें संपूर्ण सृष्‍टि का सार समाया है; 'माँ’ , जो संतान के सारे कष्‍ट अपने ऊपर लेकर भी उसे आश्‍वस्त करती है; 'माँ’ , जो सही मायनों में जीवनदान देती है और फिर शुभ संस्कार देकर जीना सिखाती है; 'माँ’ , जिसके विभिन्न रूप हमारी कल्..
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अपनी आन के पक्के महाराणा प्रताप को मेवाड़ का शेर कहा जाता है। हल्दीघाटी के युद्ध में वह मुगल सेना से हार गए और उन्हें जंगलों में अपने परिवार के साथ शरण लेनी पड़ी। वहाँ कई-कई दिन उन्होंने भूखे-प्यासे और घास-पात की रोटियाँ खाकर गुजारे। महाराणा प्रताप का जन्म सिसोदिया राजपूतों के वंश में हुआ। उनके पित..
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गणित एक ऐसा विषय है, जिससे कम लोगों को ही लगाव होता है, लेकिन कम-से-कम अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान इस विषय को पूरी तन्मयता के साथ सभी को पढ़ना और समझना होता है, क्योंकि इस विषय की शिक्षा प्राप्त किए बिना किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती। इस पुस्तक में विश्व के कुछ महान् गणितज्ञों क..
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भारत के वॉरेन बफे' और 'बुल मार्केट के राजा' के रूप में विख्यात प्रसिद्ध निवेशक एवं बिजनेस मैग्नेट राकेश झुनझुनवाला शेयर और स्टॉक बाजार का सुपरिचित नाम हैं। उनकी संपत्ति लगभग 5.8 अरब डॉलर, लगभग 45 हजार करोड़ रुपए है। यह उन्हें पुश्तैनी नहीं मिली, बल्कि अपनी कर्मठता, सोच, परिश्रम और बुद्धिमत्ता से उन्..
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भारत की प्रथम महिलाएँ—आशा रानी व्होरादूसरों की बनाई राह पर तो सभी चलते हैं। परंपराओं की गिट्टियाँ तोड़, रूढ़ियों के काँटे बीनते हुए नई पगडंडी तैयार करना सचमुच बड़े साहस और जोखिम का काम होता है। भारतीय नारी की मुक्‍ति और उसे वर्तमान स्तर पर लाने के लिए न जाने कितनी स्‍‍त्रियों ने यह जोखिम उठाया है। ए..
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सृष्‍ट‌ि के आदि से लेकर अब तक नारी-शक्‍त‌ि का बार-बार चमत्कार देखने को मिला है । जब-जब अधर्म ने धर्म को, अन्याय ने न्याय को और असत्य ने सत्य को पराभूत करने का प्रयत्‍न किया, तब-तब ही नारी-शक्‍त‌ि ने आगे बढ़कर धर्म, न्याय और सत्य की रक्षा की है । उसीके कारण आज हम नारी-शक्‍त‌ि की पूजा करते हैं और युगों..
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इस पुस्तक में गुलामी प्रथा के उन्मूलन के बाद ब्रिटिश तथा अन्य यूरोपीय देशों द्वारा उन्नीसवीं शताब्दी के तीसरे दशक से लेकर बीसवीं शताब्दी के दूसरे दशक तक भारतीयों को छल-कपट द्वारा गिरमिटिया मजदूर बनाकर दुनिया भर में दक्षिण अमेरिका से लेकर प्रशांत क्षेत्र तक फैले अपने उपनिवेशों में भेजने, भारतीय गिरमि..
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परम वैभव के लिए सर्वांग स्वतंत्रता अखंड भारत भारतीयों के लिए भूमि का टुकड़ा न होकर एक चैतन्यमयी देवी भारतमाता है। जब तक भारत का भूगोल, संविधान, शिक्षाप्रणाली, आर्थिक नीति, संस्कृति, समाज-रचना, परसा एवं विदेशी विचारधारा से प्रभावित और पश्चिम के अंधानुकरण पर आधारित रहेंगे, तब तक भारत की पूर्ण स्वतंत्र..
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भारतरत्न डॉ. भीमराव रामजीराव अंबेडकर, जिन्हें आज लोग श्रद्धा से बाबा साहब कहकर पुकारते हैं। उनका व्यक्तित्व इतना वृहद् और बहुआयामी है, जिसका विस्तार आकाश के समान विस्तृत और समुद्र की भाँति गहन है। उनके विषय में लिखना बड़ा दुष्कर कार्य है, जिसने युग के प्रवाह को मोड़ दिया, रूढिय़ों को तोड़ दिया और जब ..
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कभी राजभवन में सोने की थाली में राजसी भोजन, कभी झोंपड़ी में गरीबों का भोजन, कभी भूखे पेट, कभी सुनसान जंगल में आधे पेट खाकर भ्रमण करना स्वामी विवेकानंद के जीवन के अंतिम दो दशकों की आश्चर्यजनक जीवनगाथा। पिछले लगभग डेढ़ सौ वर्षों से कई देशों में स्वामीजी के पाककला प्रेम की चर्चा के साथ महासागर के उस पा..
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इस कसौटी पर 21वीं सदी के दूसरे दशक में पहला यक्षप्रश्न यह है— गांधी के स्वराज को सुराज बनाना है, भारत को महान् बनाकर इतिहास लिखना है, मानसिकता बदलनी है, सेक्युलर भारत को वैदिक भारत बनाना है? सन् 1962 के चीन-भारत युद्ध में हुए शहीदों की दासता तो अभी भी हेंडरसन रिपोर्ट के अंदर ठंडे बस्ते में बंद पड़ी..
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