जीवनी - Ekatma Manavvad Bhajapa Ka Sankalp
बीसवीं शताब्दी में, जहाँ दुनिया में अधिकांश देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित हुई, परंतु किस प्रकार की आर्थिक व्यवस्था हो, इस विषय में संशय की स्थिति बनी रही। भारत भी इस संशय की स्थिति से अपने आपको अलग न रख सका और साम्यवाद व पूँजीवाद को मिलाकर मिक्स्ड इकोनॉमी की व्यवस्था को अपनाया, जिससे देश में महात्मा गांधी की अवधारणा को पूर्ण रूप से भुला दिया गया। ऐसे में पं. दीनदयाल उपाध्याय ने ‘एकात्म मानववाद’ नामक परिकल्पना दी, जिसका केंद्रबिंदु मानव-कल्याण है। विषय का स्वरूप, उसकी व्याप्ति और उसकी गहराई को ध्यान में रख इसे ‘वाद’ के बजाय ‘दर्शन’ कहा गया। इस कृति का निर्माण ‘सर्वजन सुखाय, सर्वजन हिताय’ एवं सर्वत्र राष्ट्रीयता का भाव जगाने हेतु किया जा रहा है। इस पुस्तक में एकात्म मानव-दर्शन का निरालापन, इसकी प्रासंगिकता तथा भारतीय जन संघ एवं बाद में भाजपा का संकल्प कैसे है, यह बताया गया है।एकात्म मानववाद के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय के प्रेरणाप्रद जीवन तथा उनके व्यक्तित्व, कृतित्व व विचारों को लोगों तक पहुँचाने में सक्षम अत्यंत पठनीय कृति।अनुक्रमप्राक्कथन — Pgs. 5भूमिका — Pgs. 11प्रस्तावना — Pgs. 131. एकात्म मानववाद के जनक पं. दीनदयाल उपाध्याय
(संक्षिप्त जीवन-परिचय) — Pgs. 192. दीनदयालजी कभी अप्रासंगिक नहीं हो सकते — Pgs. 233. एकात्म मानववाद क्या है? — Pgs. 274. एकात्म मानववाद एवं आर्थिक विकास — Pgs. 345. एकात्म मानववाद एवं दलित समाज — Pgs. 406. पं. दीनदयाल उपाध्याय की दृष्टि में भारतीय संस्कृति — Pgs. 457. व्यक्ति, समाज व राष्ट्र की प्राथमिकताएँ — Pgs. 488. एकात्म मानववाद एकमात्र विकल्प — Pgs. 519. भारतीय जनसंघ की स्थापना का उद्देश्य—अंत्योदय — Pgs. 5610. जनसंघ (भा.ज.पा.) का मूल सिद्धांत — Pgs. 6011. सुदृढ़ विचारधारा का दल भा.ज.पा. 6512. एकात्म मानववाद के वैचारिक पक्ष को उजागर
करनेवाले युग पुरुष (भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी) — Pgs. 7013. प्रधानमंत्री के रूप में अटलजी का
कार्यकाल उपलब्धियों भरा रहा — Pgs. 7414. नैतिक मूल्यों और एकात्म मानववाद के
अग्रदूत श्रीलालकृष्ण आडवाणी — Pgs. 7615. राष्ट्र के पुनरुत्थान व अंत्योदय के लिए
कृतसंकल्प प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी — Pgs. 81
जीवनी - Ekatma Manavvad Bhajapa Ka Sankalp
Ekatma Manavvad Bhajapa Ka Sankalp - by - Prabhat Prakashan
Ekatma Manavvad Bhajapa Ka Sankalp - बीसवीं शताब्दी में, जहाँ दुनिया में अधिकांश देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित हुई, परंतु किस प्रकार की आर्थिक व्यवस्था हो, इस विषय में संशय की स्थिति बनी रही। भारत भी इस संशय की स्थिति से अपने आपको अलग न रख सका और साम्यवाद व पूँजीवाद को मिलाकर मिक्स्ड इकोनॉमी की व्यवस्था को अपनाया, जिससे देश में महात्मा गांधी की अवधारणा को पूर्ण रूप से भुला दिया गया। ऐसे में पं.
- Stock: 10
- Model: PP1062
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP1062
- ISBN: 9788177212587
- ISBN: 9788177212587
- Total Pages: 96
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2015
₹ 150.00
Ex Tax: ₹ 150.00