जीवनी - Bhagini Nivedita
भगिनी निवेदिता स्वामी विवेकानंदजी की मानस पुत्री थीं जिनका वास्तविक नाम ‘मारग्रेट नोबल’ था पर स्वामीजी के शिष्य उन्हें सम्मान के साथ ‘भगिनी निवेदिता’ कहकर पुकारते थे। बाद में उनका यही नाम प्रचलित हो गया। श्रीअरविंद घोष उन्हें ‘भगिनी निवेदिता’ कहते थे और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें ‘लोकमाता’ का संबोधन दिया। उन्होंने तन-मन-धन से भारतवासियों को सदा सच्ची सेवा का पाठ पढ़ाया, तत्कालीन नारी समाज में जागृति का शंखनाद किया और स्वतंत्रता संग्राम में भी अपना अमूल्य योगदान दिया। स्वामीजी ने उनके सामने एक हिंदू नारी का आदर्श रखा था, जो त्याग, सेवा, सहनशीलता, लज्जा, स्नेह, मर्यादा आदि गुणों से विभूषित हो, जो अपनी चारित्रिक दृढ़ता के बल पर संसार को जीना सिखाती है। निवेदिता ने सहर्ष इसी रूप को अपनाया और भारतवासियों की सेवा के व्रत से कभी नहीं डिगीं। उनके विषय में गुरुदेव टैगोर ने एक बार कहा था—‘अधिकतर लोग समय से, धन से व तन से सेवा करते देखे गए हैं, किंतु निवेदिता दिल से सेवा करती हैं।’
मानवता की सच्ची सेवा करनेवाली भगिनी निवेदिता की प्रेरणादायी जीवन-कथा जो न केवल पठनीय है, अपितु अनुकरणीय भी है।अनुक्रम1. बाल्यकाल — Pgs. 132. व्याकुल हृदय — Pgs. 163. सत्य की खोज में — Pgs. 204. दाक मातृभूमि भारत — Pgs. 255. मारग्रेट नोबल से भगिनी निवेदिता — Pgs. 296. आध्यात्मिक विलयन — Pgs. 337. शिव और शति से परिचय — Pgs. 368. एक नया अध्याय — Pgs. 429. लक्ष्य की ओर — Pgs. 4510. लोकमाता निवेदिता — Pgs. 4811. निराशा और आशा — Pgs. 5012. एक सार्थक यात्रा — Pgs. 5313. परिवार से भेंट — Pgs. 5514. निष्काम कर्मयोगिनी — Pgs. 5715. कटु वास्तविकता — Pgs. 5916. आंतरिक संघर्ष — Pgs. 6217. आशीर्वचन — Pgs. 6418. धर्मपिता के आदर्श — Pgs. 6619. कर्मस्थली की ओर — Pgs. 6920. स्वामीजी से अंतिम भेंट — Pgs. 7121. सेवा-कार्यों में नए आयाम — Pgs. 7422. नई उड़ान — Pgs. 7723. दक्षिण भारत में अलख — Pgs. 7924. बुद्घ की धरती पर — Pgs. 8125. भारत माता की जय! — Pgs. 8326. राजनीति और युवा शति — Pgs. 8527. राष्ट्रध्वज की कल्पना — Pgs. 8728. विदेश की ओर — Pgs. 8929. परिवार से अंतिम भेंट — Pgs. 9130. अखंड भारत — Pgs. 9431. संदेहों के बीच — Pgs. 9632. एक और हिमालय यात्रा — Pgs. 9833. मानसिक आघातों की शृंखला — Pgs. 10134. महाप्रयाण — Pgs. 105परिशिष्ट1. माँ शारदा और निवेदिता — Pgs. 1082. ममतामयी दीदी : निवेदिता — Pgs. 1123. महान् व्यतियों के बीच — Pgs. 1174. आत्मीय संबंध — Pgs. 1205. गुरु के पत्र शिष्या के नाम — Pgs. 1226. निवेदिता की साहित्यिक उपलधियाँ — Pgs. 128
जीवनी - Bhagini Nivedita
Bhagini Nivedita - by - Prabhat Prakashan
Bhagini Nivedita - भगिनी निवेदिता स्वामी विवेकानंदजी की मानस पुत्री थीं जिनका वास्तविक नाम ‘मारग्रेट नोबल’ था पर स्वामीजी के शिष्य उन्हें सम्मान के साथ ‘भगिनी निवेदिता’ कहकर पुकारते थे। बाद में उनका यही नाम प्रचलित हो गया। श्रीअरविंद घोष उन्हें ‘भगिनी निवेदिता’ कहते थे और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें ‘लोकमाता’ का संबोधन दिया। उन्होंने तन-मन-धन से भारतवासियों को सदा सच्ची सेवा का पाठ पढ़ाया, तत्कालीन नारी समाज में जागृति का शंखनाद किया और स्वतंत्रता संग्राम में भी अपना अमूल्य योगदान दिया। स्वामीजी ने उनके सामने एक हिंदू नारी का आदर्श रखा था, जो त्याग, सेवा, सहनशीलता, लज्जा, स्नेह, मर्यादा आदि गुणों से विभूषित हो, जो अपनी चारित्रिक दृढ़ता के बल पर संसार को जीना सिखाती है। निवेदिता ने सहर्ष इसी रूप को अपनाया और भारतवासियों की सेवा के व्रत से कभी नहीं डिगीं। उनके विषय में गुरुदेव टैगोर ने एक बार कहा था—‘अधिकतर लोग समय से, धन से व तन से सेवा करते देखे गए हैं, किंतु निवेदिता दिल से सेवा करती हैं।’ मानवता की सच्ची सेवा करनेवाली भगिनी निवेदिता की प्रेरणादायी जीवन-कथा जो न केवल पठनीय है, अपितु अनुकरणीय भी है।अनुक्रम1.
- Stock: 10
- Model: PP1224
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP1224
- ISBN: 9788192850788
- ISBN: 9788192850788
- Total Pages: 136
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2020
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00