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जीवनी - Bhakta Janani Maa Sharda

जीवनी - Bhakta Janani Maa Sharda
माँ’ एक ऐसा शब्द है, जिसे सुनते ही मन परम तृप्‍ति से भर जाता है। 'माँ’ , जिसमें संपूर्ण सृष्‍टि का सार समाया है; 'माँ’ , जो संतान के सारे कष्‍ट अपने ऊपर लेकर भी उसे आश्‍वस्त करती है; 'माँ’ , जो सही मायनों में जीवनदान देती है और फिर शुभ संस्कार देकर जीना सिखाती है; 'माँ’ , जिसके विभिन्न रूप हमारी कल्पना से भी परे हैं। 'माँ’ एक संपूर्ण आनंददायिनी शक्‍ति है, जो मनुष्यमात्र के जीवन में परम चेतना का संचार करती है और यदि वह 'माँ’ दिव्य शक्‍ति 'शारदा माँ’ के रूप में प्रकट हो तो बात और भी अलौकिक हो जाती है। श्रीरामकृष्ण परमहंसजी की लीला सहचरी 'माँ शारदा’ ही स्नेह से 'श्रीमाँ’ कही जाती हैं। वे अपने पति की दैवी शक्‍ति की ही एक अभिव्यक्‍ति थीं, एकरूप थीं। पति के लीला-संवरण करने के पश्‍चात‍् माँ ही शिष्यों का आधार बनीं, उनकी प्रेरणास्रोत बनीं, उनकी गुरुबनीं और 'संघमाता’ कहलाईं। प्रस्तुत पुस्तक में माँ के ही जीवन के विभिन्न रूपों को प्रस्तुत किया गया है। माँ का स्नेह शब्दों में व्यक्‍त नहीं होता, वह तो उनके प्रत्येक विचार, चिंतन व मुद्रा से कल-कल, छल-छल प्रवाहित होता जाता है। यद्यपि माँ के उस दिव्य रूप को शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता, किंतु उनके जीवन की कुछ झाँकियाँ निश्‍चय ही पाठकों के लिए प्रेरक सिद्ध होंगी।

जीवनी - Bhakta Janani Maa Sharda

Bhakta Janani Maa Sharda - by - Prabhat Prakashan

Bhakta Janani Maa Sharda -

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  • Stock: 10
  • Model: PP1219
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP1219
  • ISBN: 9788177211665
  • ISBN: 9788177211665
  • Total Pages: 120
  • Edition: Edition 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2017
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00