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कहानी - 101 Laghukathayen

कहानी - 101 Laghukathayen
प्रतिष्‍ठित लेखक डॉ. विजय अग्रवाल की ये लघुकथाएँ स्वयं पर लगाए जानेवाले इस आरोप को झुठलाती हैं कि लघुकथाएँ लघु तो होती हैं, लेकिन उनमें कथा नहीं होती। इस संग्रह की लघुकथाओं में कथा तो है ही, साथ ही उन्हें कहने के ढंग में भी ‘कहन’ की शैली है। इसलिए ये छोटी-छोटी रचनाएँ पाठक के अंतर्मन में घुसकर वहाँ बैठ जाने का सामर्थ्य रखती हैं। ये लघुकथाएँ मानव के मन और मस्तिष्क के द्वंद्वों तथा उनके विरोधाभासों को जिंदगी की रोजमर्रा की घटनाओं और व्यवहारों के माध्यम से हमारे सामने लाती हैं। इनमें जहाँ भावुक मन की तिलमिलाती हुई तरंगें मिलेंगी, वहीं कहीं-कहीं तल में मौजूद विचारों के मोती भी। पाठक इसमें मन और विचारों के एक ऐसे मेले की सैर कर सकता है, जहाँ बहुत सी चीजें हैं—और तरीके एवं सलीके से भी हैं। इस संग्रह की विशेषता है—सपाटबयानी की बजाय किस्सागोई। निश्‍चय ही ये लघुकथाएँ सुधी पाठकों को कुरेदेंगी, गुदगुदाएँगी और सोचने पर विवश करेंगी।अनुक्रम ५१. संतोष—८३ १. अनंत खोज —११ ५२. रुटीन—८४ २. मिलन—१२ ५३. स्टॉपर—८५ ३. सच्चा प्रेम—१३ ५४. राजनीति—८७ ४. प्रेम—१४ ५५. नेता—८८ ५. घृणा—१६ ५६. अधिकारी—८९ ६. आर्द्रता—१८ ५७. अनुशासन—९० ७. चाहत—२० ५८. पालन—९२ ८. अस्तित्व—२२ ५९. शासन—९३ ९. विश्वास—२३ ६०. सुनवाई—९४ १०. संग्रह—२४ ६१. अपराध और न्याय—९६ ११. सीखना—२६ ६२. आत्ममुग्धा—९८ १२. देखभाल—२७ ६३. मीटिंग—१०० १३. विद्रोह—२८ ६४. चाहना—१०२ १४. नियम—२९ ६५. एक क्षण—१०४ १५. तब और अब—३० ६६. जरूरी धा—१०६ १६. मूल्यांकन—३१ ६७. कानून—१०८ १७. दृष्टि—३३ ६८. आजादी—१०९ १८. आशा—३४ ६९. प्रमोशन—१११ १९. भति—३५ ७०. पूर्वग्रह—११२ २०. अपमान—३६ ७१. मीठा जहर—११४ २१. सौंदर्य—३७ ७२. वजूद—११५ २२. अभिव्यति—३८ ७३. भटकन—११७ २३. उदासी—३९ ७४. कहाँ—११९ २४. भति-भाव—४० ७५. समकक्ष—१२१ २५. ईर्ष्या—४२ ७६. बुद्धिजीवी—१२३ २६. हितैषी—४४ ७७. पहचान—१२४ २७. आमंत्रण—४६ ७८. सौदा—१२५ २८. दोष—४७ ७९. छोटा या बड़ा—१२७ २९. नश्वरता—४८ ८०. मन—१२८ ३०. सीढ़ियाँ—४९ ८१. कंजूस—१३० ३१. गलती—५० ८२. कीमत—१३२ ३२. ढूँढ़ना—५१ ८३. बदला—१३५ ३३. निर्णय—५२ ८४. दु:ख—१३६ ३४. सर्वत्र—५३ ८५. परिचय—१३९ ३५. परंपरा—५४ ८६. आरती—१४१ ३६. मनाही—५५ ८७. तीर्थ-यात्रा—१४३ ३७. नारी—५६ ८८. भिखारी—१४६ ३८. लव्स सो मच—५८ ८९. अच्छा—१४८ ३९. मैं वह नहीं हूँ—६० ९०. वृद्धाश्रम—१५० ४०. सृजन—६२ ९१. तब और अब—१५२ ४१. शायर की मौत—६४ ९२. कन्फेशन—१५४ ४२. ठेस—६७ ९३. आखिरी खत—१५६ ४३. अनुरित—६९ ९४. प्रवेश—१५८ ४४. आश्रय—७० ९५. ऊँचाई—१६० ४५. आह्वान—७१ ९६. कन्या का भोज—१६२ ४६. मन की बात—७३ ९७. आजादी (एक)—१६४ ४७. सत्य की खोज—७५ ९८. आजादी (दो)—१६६ ४८. बच्ची—७७ ९९. कुत्ता (एक)—१६८ ४९. पुरस्कार—७९ १००. कुत्ता (दो)—१७० ५०. आदेश—८१ १०१. एहसास—172   

कहानी - 101 Laghukathayen

101 Laghukathayen - by - Prabhat Prakashan

101 Laghukathayen - प्रतिष्‍ठित लेखक डॉ.

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  • Stock: 10
  • Model: PP975
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP975
  • ISBN: 9788177212563
  • ISBN: 9788177212563
  • Total Pages: 172
  • Edition: Edition 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2018
₹ 350.00
Ex Tax: ₹ 350.00