कहानी - Shravan Kumar Ki Prerak Kathayen
प्रस्तुत पुस्तक माता-पिता के अनन्य भक्त श्रवण कुमार के जीवन पर आधारित है। श्रवण के जीवन से जुड़ी छोटी-छोटी िशक्षाप्रद कहानियों में एक श्रेष्ठ, होनहार, कर्तव्यनिष्ठ तथा धर्मपालक पुत्र की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। श्रवण कुमार केवल मातृ-पितृभक्त ही नहीं अपितु एक संस्कारी, ज्ञानी, निष्ठावान, साधु, संत एवं गुरुओं का आदर-सत्कार करने में भी आगे रहता था। दयालुता तथा सेवा की भावना उसके मन में कूट-कूटकर भरी थी। अतः पुस्तक में ऐसी अनेक कहानियों को सरल भाषा एवं चित्रों के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है, जो एक बालक को संस्कारी, निष्ठावान, दयालु, माता-पिता तथा गुरुओं की सेवा के लिए प्रेरक रहेंगी।अनुक्रमअपनी बात —Pgs. 5श्रवण कुमार का जन्म —Pgs. 9नामकरण संस्कार —Pgs. 14श्रवण और विद्या का मिलन —Pgs. 16श्रवण की देशभक्ति —Pgs. 19श्रवण की दयालुता —Pgs. 22श्रवण का साहस —Pgs. 24गाँव को डूबने से बचाया —Pgs. 26श्रवण और वृद्ध —Pgs. 29श्रवण ने बचाए बालक के प्राण —Pgs. 31श्रवण और ऊधमी बालक —Pgs. 32वृद्ध की टोपी —Pgs. 34श्रवण और गृहस्थ —Pgs. 36गाड़ीवान को सहायता —Pgs. 38निंदक नहीं, शुभचिंतक —Pgs. 40ईश्वर की पहचान —Pgs. 42बालक श्रवण और संत —Pgs. 44सहायता —Pgs. 46जीवन की सार्थकता —Pgs. 48अनूठी सीख —Pgs. 50अनूठी भिक्षा —Pgs. 52अपनी तृष्णा त्यागो —Pgs. 54विश्वास का महत्त्व —Pgs. 56सबसे बड़ा धर्म —Pgs. 58स्वयं की रोशनी —Pgs. 60प्रकृति का नियम —Pgs. 62ज्ञान का सदुपयोग —Pgs. 64साधु की चिंता —Pgs. 66पहले स्वयं को सुधारो —Pgs. 68कर्मयोग का महत्त्व —Pgs. 70अहंकार की निशानी —Pgs. 72पहला कदम —Pgs. 74अिधकार और कर्तव्य —Pgs. 75सच्ची पूजा —Pgs. 77एक और झूठ —Pgs. 79जीने का ढंग —Pgs. 81गुरु बिन ज्ञान नाहि —Pgs. 84सम्मान और अपमान —Pgs. 86अपनी गलतियाँ स्वीकारें —Pgs. 88सच्ची आराधना —Pgs. 90दुःख के बीज —Pgs. 92श्रवण का विवाह —Pgs. 94नेत्रज्योति लौटाने का उपाय —Pgs. 96माता-पिता की तीर्थयात्रा —Pgs. 98महिर्ष वसिष्ठ का आशीर्वाद —Pgs. 101सती विद्या को वरदान —Pgs. 103श्रवण और शब्दबेधी बाण —Pgs. 106श्रवण की अंतिम इच्छा —Pgs. 108माता-पिता की व्याकुलता —Pgs. 110
कहानी - Shravan Kumar Ki Prerak Kathayen
Shravan Kumar Ki Prerak Kathayen - by - Prabhat Prakashan
Shravan Kumar Ki Prerak Kathayen - प्रस्तुत पुस्तक माता-पिता के अनन्य भक्त श्रवण कुमार के जीवन पर आधारित है। श्रवण के जीवन से जुड़ी छोटी-छोटी िशक्षाप्रद कहानियों में एक श्रेष्ठ, होनहार, कर्तव्यनिष्ठ तथा धर्मपालक पुत्र की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। श्रवण कुमार केवल मातृ-पितृभक्त ही नहीं अपितु एक संस्कारी, ज्ञानी, निष्ठावान, साधु, संत एवं गुरुओं का आदर-सत्कार करने में भी आगे रहता था। दयालुता तथा सेवा की भावना उसके मन में कूट-कूटकर भरी थी। अतः पुस्तक में ऐसी अनेक कहानियों को सरल भाषा एवं चित्रों के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है, जो एक बालक को संस्कारी, निष्ठावान, दयालु, माता-पिता तथा गुरुओं की सेवा के लिए प्रेरक रहेंगी।अनुक्रमअपनी बात —Pgs.
- Stock: 10
- Model: PP848
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP848
- ISBN: 9789380839998
- ISBN: 9789380839998
- Total Pages: 112
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2019
₹ 200.00
Ex Tax: ₹ 200.00