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जीवनी - Santon Ke Prerak Prasang

जीवनी - Santon Ke Prerak Prasang
हमारा देश संत-महात्माओं एवं ऋषि-मुनियों का देश है। उनकी सांसारिक पदार्थों में आसक्ति नहीं होती। वे सिर्फ जीने भर के लिए जरूरी चीजों का सीमित मात्रा में उपभोग करते हैं। क्रोध, मान, माया और लोभ से संत का कोई प्रयोजन नहीं है। ऐसा सात्त्विक तपस्वी जीवन सबके लिए अनुकरणीय होता है। संत का जीवन जीना साधारण मानव के बस की बात नहीं है। संत-जीवन में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जो लोग आदर्श गृहस्थ धर्म को निभाते हैं, वे धन्य हैं। जो लोग मेहनत से, उचित साधनों से आजीविका अर्जित करते हैं, व्यवहार-कुशल हैं, परहितकारी हैं, खुद जीते हैं और दूसरों को जीने देते हैं, ऐसे मानव भी किसी संत से कम नहीं हैं। प्रस्तुत पुस्तक का प्रत्येक दृष्टांत जीवन के बारे में स्पष्ट दृष्टि देता हुआ अमूल्य संदेश देता है। इस आपाधापी भरे युग में जो व्यक्ति सत्संगों का लाभ नहीं उठा पाते, उन्हें इस पुस्तक के द्वारा बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। संतों के प्रेरणाप्रद जीवन का सार यदि हम जीवन में उतारें तो सुख-संतोष से परिपूर्ण होगा हमारा जीवन। अनुक्रम   दो शब्द —Pgs. 5 97. जाति का भेदभाव —Pgs. 78 1. संत की महानता —Pgs. 13 98. कागज की पुडि़या —Pgs. 79 2. राजा का अभिमान —Pgs. 14 99. भय का त्याग —Pgs. 79 3. दूध में मलाई —Pgs. 14 100. सेवा ही सबसे बड़ी पूजा —Pgs. 80 4. संत की दलील —Pgs. 15 101. धर्मग्रंथ —Pgs. 81 5. अनुकूलता —Pgs. 16 102. स्वर्ग और नरक —Pgs. 81 6. मोह बड़ा दुःखरूप —Pgs. 16 103. चार रत्न —Pgs. 82 7. श्रद्धा-भावना —Pgs. 17 104. हम एक हैं —Pgs. 83 8. चंचल मन —Pgs. 18 105. सहनशीलता और धैर्य —Pgs. 84 9. दुर्व्यसनों से छुटकारा —Pgs. 18 106. हँसी का संदेश —Pgs. 85 10. संतोष —Pgs. 19 107. ऊँचा उठने की लालसा —Pgs. 85 11. ईश्वर कहाँ है? —Pgs. 19 108. अपने कर्तव्य से मत डिगो —Pgs. 86 12. संत का हीरा —Pgs. 20 109. ईश्वर की पहचान —Pgs. 87 13. सत्य के मार्ग पर चलो —Pgs. 21 110. संत की सहनशीलता —Pgs. 88 14. बुरे लोगों पर रहम —Pgs. 21 111. प्रभु-भक्ति —Pgs. 89 15. स्वर्ग की प्राप्ति —Pgs. 22 112. अपवित्र हाथ —Pgs. 89 16. मेहनत की कमाई —Pgs. 23 113. मूर्खता पर ज्ञान की वरीयता —Pgs. 90 17. प्रेम के आँसू —Pgs. 23 114. सच्ची मित्रता —Pgs. 91 18. अमीरी-गरीबी —Pgs. 24 115. संस्कारों की प्रबलता —Pgs. 91 19. ईश्वरीय प्रेम —Pgs. 25 116. स्वर्ग की प्राप्ति —Pgs. 92 20. माँ की महानता —Pgs. 25 117. संन्यासी का अहंकार —Pgs. 93 21. पद्धति और शिल्प —Pgs. 26 118. विवेक दृष्टि —Pgs. 94 22. शिक्षा और संस्कार —Pgs. 27 119. आत्मा के दर्शन —Pgs. 94 23. श्रेष्ठ कौन? —Pgs. 28 120. संत की शिक्षा —Pgs. 95 24. अक्लमंद की पहचान —Pgs. 28 121. कलश का जल —Pgs. 96 25. गृहस्थ और संन्यासी —Pgs. 29 122. व्यर्थ का अहंकार —Pgs. 96 26. संत का प्रेम —Pgs. 29 123. ध्यान और योग की शक्ति —Pgs. 97 27. चार दिन की दुनिया —Pgs. 30 124. जीवन का आदर्श —Pgs. 98 28. आध्यात्मिक कमाई —Pgs. 31 125. अपना-अपना स्वभाव —Pgs. 98 29. पहले खुद को सुधारो —Pgs. 31 126. अनमोल हीरा —Pgs. 99 30. संतों की संगति —Pgs. 32 127. राजा और रंक में भेद —Pgs. 99 31. प्रशंसा और निंदा —Pgs. 33 128. मंत्र साधना —Pgs. 101 32. खोटे सिक्के —Pgs. 33 129. वातावरण का असर —Pgs. 101 33. अतिथि सत्कार —Pgs. 34 130. सच्चा ज्ञान —Pgs. 102 34. आसान उपाय —Pgs. 35 131. धर्म का उपदेश —Pgs. 103 35. बंधन मुक्त संन्यासी —Pgs. 36 132. अज्ञान और अंधकार —Pgs. 103 36. कर्म करो, फल की चिंता मत करो —Pgs. 36 133. समस्या का समाधान —Pgs. 104 37. छिद्र वाला पात्र —Pgs. 37 134. स्वर्ण और मिट्टी —Pgs. 105 38. भगवान् पर विश्वास —Pgs. 37 135. संगति का असर —Pgs. 106 39. कड़वे की पहचान —Pgs. 38 136. पापी से नहीं, पाप से घृणा करो —Pgs. 106 40. जीवन जीने का ढंग —Pgs. 39 137. समर्पण —Pgs. 107 41. पाँच साधु —Pgs. 40 138. प्रेम के बीज —Pgs. 107 42. भगवान् की सेवा —Pgs. 41 139. भूल का एहसास —Pgs. 108 43. संत का आशीर्वाद —Pgs. 42 140. महान् व्यक्ति —Pgs. 109 44. हिम्मत न हारिए —Pgs. 43 141. गुणों को जीवन में उतारो —Pgs. 109 45. अनोखी भिक्षा —Pgs. 43 142. ज्ञान का अभिलाषी —Pgs. 110 46. शराबी से सीख —Pgs. 44 143. अपनी भूल को सुधारो —Pgs. 111 47. दुर्गुणों का त्याग करो —Pgs. 45 144. परमात्मा का साथ —Pgs. 111 48. डाकू की उदासी —Pgs. 45 145. सोना तो सोना है —Pgs. 112 49. लकड़ी की सीख —Pgs. 46 146. हिंसा का मार्ग त्यागो —Pgs. 112 50. मनःस्थिति —Pgs. 46 147. महापुरुष के लक्षण —Pgs. 113 51. असली तीर्थयात्रा —Pgs. 47 148. दूध में मिलावट —Pgs. 114 52. असीम आस्था —Pgs. 48 149. समाज में सम्मान —Pgs. 115 53. सुख का स्रोत —Pgs. 48 150. जुलाहे का लोटा —Pgs. 115 54. वाणी पर संयम रखो —Pgs. 49 151. अनासक्ति का भाव —Pgs. 116 55. परछाइयाँ —Pgs. 49 152. प्रतिकार की अग्नि —Pgs. 117 56. जीवन और मृत्यु —Pgs. 50 153. दुःख के बीज —Pgs. 117 57. बाहर नहीं, अंदर ढूँढ़ो —Pgs. 51 154. संतोष धन —Pgs. 118 58. शाश्वत सत्य —Pgs. 52 155. सच्चा साधु —Pgs. 119 59. दोषों से रहित ईश्वर —Pgs. 52 156. स्वर्ण-रसायन —Pgs. 120 60. आनंद की वर्षा —Pgs. 53 157. रूपांतरण का सशक्त सूत्र —Pgs. 120 61. सात प्रकार के फूल —Pgs. 54 158. कामना कष्टदायिनी —Pgs. 121 62. सच्चा समाजसेवी —Pgs. 54 159. असीम प्रेम —Pgs. 121 63. स्वर्ग का रास्ता —Pgs. 55 160. तीन प्रकार की बुद्धियाँ —Pgs. 122 64. संत की दया —Pgs. 56 161. प्रेम की शक्ति —Pgs. 123 65. संन्यासी और चोर —Pgs. 57 162. विलक्षण फल —Pgs. 123 66. स्वर्ग की टिकट —Pgs. 57 163. संत की परीक्षा —Pgs. 124 67. पश्चात्ताप के आँसू —Pgs. 58 164. विचित्र आशीर्वाद —Pgs. 124 68. मोह माया को त्याग दो —Pgs. 59 165. आत्मज्ञान —Pgs. 125 69. अंतःकरण की खेती —Pgs. 60 166. क्रोध असुर है —Pgs. 126 70. ईश्वर का राज्य —Pgs. 60 167. पहले अपनी तृष्णा त्यागो —Pgs. 126 71. उग्र स्वभाव —Pgs. 61 168. माया से मुक्ति —Pgs. 127 72. संत का स्वभाव —Pgs. 61 169. धन का संग्रह —Pgs. 128 73. प्रशंसा और अपमान —Pgs. 62 170. मन को शिक्षा —Pgs. 128 74. बंधन नहीं मुक्ति —Pgs. 63 171. सर्वश्रेष्ठ भूमि —Pgs. 129 75. मौनव्रत —Pgs. 64 172. दान की महिमा —Pgs. 130 76. पाँच बोरियाँ —Pgs. 64 173. जीवनरूपी कमंडल —Pgs. 130 77. जन-विश्वास का महत्त्व —Pgs. 65 174. अनूठी भिक्षा —Pgs. 131 78. अज्ञानी ही दुःखी —Pgs. 66 175. दया की शिक्षा —Pgs. 132 79. निंदा और प्रशंसा —Pgs. 66 176. नियम पालन का लाभ —Pgs. 132 80. आँख और कान में भेद —Pgs. 67 177. शांति का पाठ —Pgs. 133 81. स्वर्ग-नरक की परिभाषा —Pgs. 67 178. अपशब्द —Pgs. 134 82. समस्या का समाधान —Pgs. 68 179. बैर को अबैर से जीतो —Pgs. 134 83. सच्चा समर्पण —Pgs. 69 180. अपने प्रति अन्याय —Pgs. 135 84. मोक्ष प्राप्ति का मार्ग —Pgs. 69 181. स्थिर-दृष्टि —Pgs. 136 85. सबसे अपवित्र है क्रोध —Pgs. 70 182. लोभ से दूर रहो —Pgs. 136 86. स्वयं का मालिक —Pgs. 71 183. पारस से भी कीमती वस्तु —Pgs. 137 87. सांसारिक मायाजाल —Pgs. 72 184. असत्य का सहारा —Pgs. 137 88. संत की सद्प्रेरणा —Pgs. 72 185. दुःख का कारण —Pgs. 138 89. एक शब्द का उपदेश —Pgs. 73 186. मिठास और आत्मीयता —Pgs. 138 90. सच्चा सुख —Pgs. 73 187. संत की उदारता —Pgs. 139 91. शरीर का संस्कार —Pgs. 74 188. परमात्मा को कैसे खोजें —Pgs. 140 92. मोक्ष की चाह —Pgs. 75 189. संत का उपदेश —Pgs. 141 93. पुराना साथी —Pgs. 75 190. तीन प्रश्न —Pgs. 141 94. सच्ची भक्ति —Pgs. 76 191. ज्ञान और भक्ति की कुंजी —Pgs. 142 95. संन्यासी का जवाब —Pgs. 76 192. हँसी का राज —Pgs. 143 96. धन का सदुपयोग —Pgs. 77 193. भौतिक पीड़ा का अनुभव —Pgs. 143

जीवनी - Santon Ke Prerak Prasang

Santon Ke Prerak Prasang - by - Prabhat Prakashan

Santon Ke Prerak Prasang - हमारा देश संत-महात्माओं एवं ऋषि-मुनियों का देश है। उनकी सांसारिक पदार्थों में आसक्ति नहीं होती। वे सिर्फ जीने भर के लिए जरूरी चीजों का सीमित मात्रा में उपभोग करते हैं। क्रोध, मान, माया और लोभ से संत का कोई प्रयोजन नहीं है। ऐसा सात्त्विक तपस्वी जीवन सबके लिए अनुकरणीय होता है। संत का जीवन जीना साधारण मानव के बस की बात नहीं है। संत-जीवन में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जो लोग आदर्श गृहस्थ धर्म को निभाते हैं, वे धन्य हैं। जो लोग मेहनत से, उचित साधनों से आजीविका अर्जित करते हैं, व्यवहार-कुशल हैं, परहितकारी हैं, खुद जीते हैं और दूसरों को जीने देते हैं, ऐसे मानव भी किसी संत से कम नहीं हैं। प्रस्तुत पुस्तक का प्रत्येक दृष्टांत जीवन के बारे में स्पष्ट दृष्टि देता हुआ अमूल्य संदेश देता है। इस आपाधापी भरे युग में जो व्यक्ति सत्संगों का लाभ नहीं उठा पाते, उन्हें इस पुस्तक के द्वारा बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। संतों के प्रेरणाप्रद जीवन का सार यदि हम जीवन में उतारें तो सुख-संतोष से परिपूर्ण होगा हमारा जीवन। अनुक्रम   दो शब्द —Pgs.

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  • Stock: 10
  • Model: PP1288
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP1288
  • ISBN: 9788189573744
  • ISBN: 9788189573744
  • Total Pages: 144
  • Edition: Edition 1
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2016
₹ 200.00
Ex Tax: ₹ 200.00