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शिक्षा - Kannad Ki Lokpriya Kahaniyan

शिक्षा - Kannad Ki Lokpriya Kahaniyan
कन्नड़ में कहानी साहित्य की अत्यंत पुरानी परंपरा है। कन्नड़ में आधुनिक कहानियों की परंपरा अन्य भारतीय भाषाओं के आधुनिक साहित्य की तरह उन्नीसवीं सदी के अंतिम भाग तथा बीसवीं सदी के आरंभकाल से शुरू होती है। भारतीय साहित्य में ही प्रमुख रूप से  उभरकर  दिखनेवाले  वरिष्ठ साहित्यकारों के समकालीन होकर कई युवा लेखकों के परिश्रम के फलस्वरूप कन्नड़ साहित्य भारतीय साहित्य की अग्रपंति में खड़े होने की स्थिति में पहुँचा है। सार के दशक के बाद आगे बढ़कर महिला संवेदना से परिपूर्ण महिला जीवन के दु:ख-दर्द, शोषण, महिला-पुरुष के बीच सामाजिक दृष्टि, भू्रण हत्या, कामकाजी महिला की स्थिति को लेकर लिखी गई कहानियाँ; मुसलिम संवेदना—जैसे बोळुवार मोहम्मद कुभ, फकीर अहमद काटपाडी, रंजान, दर्गा, सारा अबूबकर जैसे लेखकों द्वारा रचित कहानियाँ कन्नड़ भाषा को भारतीय साहित्य में विशिष्ट स्थान दिलवाती हैं। कन्नड़ के मूर्धन्य कथाकारों के विशिष्ट लेखन की झलक है ‘कन्नड़ की लोकप्रिय कहानियाँ’।अनुक्रमकन्नड़ कहानी : एक परिदृश्य——51. महर्षि टॉलस्टाय के भूर्ज्व वृक्ष—मास्ति वेंकटेश अय्यंगार ‘श्रीनिवास’—112. धन्वंतरी की चिकित्सा—कुवेम्पु—173. माँ—यू.आर. अनंतमूर्ति—274. छूटा लक्ष्य—यशवंत चिल—345. आग से जलता जंगल—हनूर कृष्णमूति:—416. रुद्रप्पा का खंग—कुं. वीरभद्रप्पा—497. पूर्वी अंचल में हत्या आदि—देवनूर महादेव—558. अंक—बोळुवार महमद कुञि—649. अकाल—बरगुरु रामचंद्रप्पा—7810. निर्णय—सारा अबू बकर—8711. अंतरगंगी—राघवेंद्र पाटील—9812. निर्गमन—क.त. चिकणा—10213. दगडू परब का अश्वमेध—जयंत कायिकिणि—11214. काँटों बीच फूल—एच.एस. अनुपमा—12015. भंगरा—मोगल्ली गणेश—13916. अलबामा की अपान वायु—गुरु प्रसाद कागिनेले—15917. नोटों का परिंदा—केशव रेड्डी हंट्राळ—173

शिक्षा - Kannad Ki Lokpriya Kahaniyan

Kannad Ki Lokpriya Kahaniyan - by - Prabhat Prakashan

Kannad Ki Lokpriya Kahaniyan - कन्नड़ में कहानी साहित्य की अत्यंत पुरानी परंपरा है। कन्नड़ में आधुनिक कहानियों की परंपरा अन्य भारतीय भाषाओं के आधुनिक साहित्य की तरह उन्नीसवीं सदी के अंतिम भाग तथा बीसवीं सदी के आरंभकाल से शुरू होती है। भारतीय साहित्य में ही प्रमुख रूप से  उभरकर  दिखनेवाले  वरिष्ठ साहित्यकारों के समकालीन होकर कई युवा लेखकों के परिश्रम के फलस्वरूप कन्नड़ साहित्य भारतीय साहित्य की अग्रपंति में खड़े होने की स्थिति में पहुँचा है। सार के दशक के बाद आगे बढ़कर महिला संवेदना से परिपूर्ण महिला जीवन के दु:ख-दर्द, शोषण, महिला-पुरुष के बीच सामाजिक दृष्टि, भू्रण हत्या, कामकाजी महिला की स्थिति को लेकर लिखी गई कहानियाँ; मुसलिम संवेदना—जैसे बोळुवार मोहम्मद कुभ, फकीर अहमद काटपाडी, रंजान, दर्गा, सारा अबूबकर जैसे लेखकों द्वारा रचित कहानियाँ कन्नड़ भाषा को भारतीय साहित्य में विशिष्ट स्थान दिलवाती हैं। कन्नड़ के मूर्धन्य कथाकारों के विशिष्ट लेखन की झलक है ‘कन्नड़ की लोकप्रिय कहानियाँ’।अनुक्रमकन्नड़ कहानी : एक परिदृश्य——51.

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  • Stock: 10
  • Model: PP2769
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2769
  • ISBN: 9789352663781
  • ISBN: 9789352663781
  • Total Pages: 184
  • Edition: Edition First
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2018
₹ 350.00
Ex Tax: ₹ 350.00