कहानी - Shiksha Jagat Ki Kahaniyan
जो शिक्षा कभी मानव -मस्तिष्क की धात्री का काम करती थी, जो शिक्षा मानव को असभ्यता के जंगल से निकालकर सभ्यो-शिक्षितों के संसार में प्रतिष्ठित करती थी, जो शिक्षा व्यक्ति की प्रगति का सबसे कारगर और सबल माध्यम हुआ करती थी, जो शिक्षा जीविकोपार्जन के सही रास्ते दिखाती थी वही शिक्षा आज मानव को निर्माण के रास्ते से हटाकर नाश की ओर प्रवृत्त करती-सी दिखती है । इसका प्रमुख कारण है उसका भ्रष्ट और गंदी राजनीति के दलदल में जा फँसना ।
आज के भ्रष्ट और धंधबाज राजनीतिज्ञों ने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए हमारे शिक्षकों एवं शिक्षार्थियों दोनों का पूरा दोहन किया है । युवा पीढ़ी को गलत दिशा में भटका दिया गया है । ऐसे में सबसे पहले यह आवश्यक है कि उनमें राष्ट्रीयता की भावना का संचार कर उन्हें सही दिशा प्रदान की जाए । अन्यथा इस युवा पीढ़ी के साथ ही समूचे देश के अधःपतन को रोकना मुश्किल हो जाएगा । शिक्षा जगत् की अनेक ज्वलंत समस्याओं का प्रभावशाली चित्रण करना ही इन कहानियों का उद्देश्य है ।
कहानी - Shiksha Jagat Ki Kahaniyan
Shiksha Jagat Ki Kahaniyan - by - Prabhat Prakashan
Shiksha Jagat Ki Kahaniyan -
- Stock: 10
- Model: PP818
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP818
- ISBN: 8173151431
- ISBN: 8173151431
- Total Pages: 160
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2010
₹ 200.00
Ex Tax: ₹ 200.00