कहानी - Kathghare Se
मैं सुखी राम। कैदी नंबर पाँच सौ बत्तीस। कठघरे से बोल रहा हूँ। जो भी सुन रहे हों, मेरे घरवालो को इत्तला दे दें, मैं यहाँ अच्छी तरह हूँ। पक्का मकान है। बरसात में छप्पर चूने का भय नहीं। सवेरे चाय मिल जाती है। नाश्ते में चना-गुड़ और भोजन के लिए पूछो मत। सप्ताह में मांस, मछली और अंडे भी मिल जाते हैं। रोटी, चावल, चने की दाल और हरी सब्जी प्रतिदिन का भोजन है।
ओढ़ने और बिछाने को दो कंबल, पहनने को कपड़े, साबुन और तेल, सबकुछ मिलता है।
कह दें गिरधारी से, कर दे हरिकिशन का खून और चले आएँ जेल। इस प्रजातंत्र
में घर की व्यवस्था से जेल की व्यवस्था अच्छी है।
—इसी संग्रह से
मन को झकझोर देनेवाली मर्मस्पर्शी व संवेदनशील कहानियों का संकलन, जिन्हें पढ़कर आप भावुक हो जाएँगे और आपकी संवेदना झंकृत हो जाएगी।अनुक्रमभूमिका— Pgs. 51. कठघरे से— Pgs. 112. फिर एक नेता— Pgs. 123. सा की राजनीति— Pgs. 134. टेस्ट— Pgs. 155. मंत्रीजी का प्रोग्राम— Pgs. 166. प्रश्नोार— Pgs. 187. वसीयत— Pgs. 198. स्वर्ग में वकील— Pgs. 209. गाली— Pgs. 2210. भगवान का मूल्य— Pgs. 2311. समझदारी— Pgs. 2412. छोड़ो कल की बातें— Pgs. 2513. चैलेंज— Pgs. 2614. पत्नी— Pgs. 2715. बेईमान चेहरा— Pgs. 2816. कर्तव्य— Pgs. 2917. सवाल— Pgs. 3018. यक्ष प्रश्न— Pgs. 3119. जन्मकुंडली— Pgs. 3320. सा का सच— Pgs. 3521. टोपीवाले को नसीहत— Pgs. 3722. अथ सामाजिक न्याय गाथा— Pgs. 3923. भीड़ का मर्म— Pgs. 4324. संरक्षण— Pgs. 4525. बड़ी सोच— Pgs. 4626. शति परीक्षण— Pgs. 4727. बिहार बनाम नरक— Pgs. 4828. आदमी और परिंदा— Pgs. 5129. संक्षेपण— Pgs. 5230. गांधीवादी— Pgs. 5431. तुलसी जयंती और नेताजी— Pgs. 5532. माँ, बेटा और पत्नी— Pgs. 5733. एकाग्रता की जाँच— Pgs. 5834. गांधीजी का सपना— Pgs. 6035. बहुमत— Pgs. 6236. सा की राजनीति— Pgs. 6437. अखबारी सूचना— Pgs. 7238. विश्वास करें : सच है— Pgs. 7339. बिरादरी— Pgs. 7840. इनरदेव भैया— Pgs. 7941. आइए डॉटर बनिए— Pgs. 9842. डॉटर का फेर— Pgs. 10543. बाज आए मोबाइल से— Pgs. 11144. भीड़ का आदमी— Pgs. 11945. थाना— Pgs. 129
कहानी - Kathghare Se
Kathghare Se - by - Prabhat Prakashan
Kathghare Se - मैं सुखी राम। कैदी नंबर पाँच सौ बत्तीस। कठघरे से बोल रहा हूँ। जो भी सुन रहे हों, मेरे घरवालो को इत्तला दे दें, मैं यहाँ अच्छी तरह हूँ। पक्का मकान है। बरसात में छप्पर चूने का भय नहीं। सवेरे चाय मिल जाती है। नाश्ते में चना-गुड़ और भोजन के लिए पूछो मत। सप्ताह में मांस, मछली और अंडे भी मिल जाते हैं। रोटी, चावल, चने की दाल और हरी सब्जी प्रतिदिन का भोजन है। ओढ़ने और बिछाने को दो कंबल, पहनने को कपड़े, साबुन और तेल, सबकुछ मिलता है। कह दें गिरधारी से, कर दे हरिकिशन का खून और चले आएँ जेल। इस प्रजातंत्र में घर की व्यवस्था से जेल की व्यवस्था अच्छी है। —इसी संग्रह से मन को झकझोर देनेवाली मर्मस्पर्शी व संवेदनशील कहानियों का संकलन, जिन्हें पढ़कर आप भावुक हो जाएँगे और आपकी संवेदना झंकृत हो जाएगी।अनुक्रमभूमिका— Pgs.
- Stock: 10
- Model: PP809
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP809
- ISBN: 9788193397480
- ISBN: 9788193397480
- Total Pages: 136
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2017
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00