लेख : निबंध : पत्र - Nayi Naari : Sita Ki Maa : Shakuntala
हिंदी गद्य के इतिहास में श्रीरामवृक्ष बेनीपुरी अपनी असाधारण शैली के लिए याद किए जाते रहे हैं। उन्होंने इस पुस्तक के प्रबंधों में उत्पीड़न तथा शोषण से संत्रस्त नारी-जीवन के कटु यथार्थ को एक न्यायाधीश की भाँति निष्पक्षता, तार्किकता एवं निर्भीकता के साथ सोचकर वस्तुनिष्ठ रूप से सामने रखा है। कहीं-कहीं पर उनकी भाषा ने तीखा रूप ग्रहण किया है, लेकिन जैसा कि उन्होंने आरंभिक अति संक्षिप्त भूमिका में स्पष्ट किया है, हमारे समाज में नारी संबंधी विचारों में जो जड़ता देखी जाती है, उसे दूर करने के लिए झकझोरनेवाली झिंझोर की आवश्यकता थी, इसीलिए बेनीपुरी कई जगहों पर सख्त-सुस्त सुनाते हुए दिखाई देते हैं।
यह पुस्तक श्रीरामवृक्ष बेनीपुरी की गंभीर विचार-प्रधान कृति है, जो नारी-समस्या के अलग-अलग पक्षों पर प्राचीन समय से लेकर वर्तमान काल तक की स्थितियों के आधार पर तर्कसम्मत नई धारणाएँ प्रस्तुत करती है।
नारी की अस्मिता और उसके
गौरव को पुनर्स्थापित करने के प्रयासों को बल देनेवाली, सुलझे विचारों की एक पठनीय पुस्तक।अनुक्रम‘नई नारी’ : नारी-समस्या का विश्लेषणात्मक दस्तावेज — Pgs. 5नई नारी — Pgs. 11नई नारी — Pgs. 13नई नारी1. मालिनी के तट पर — Pgs. 232. सीता और द्रौपदी — Pgs. 283. पंचकन्या — Pgs. 364. जंजीरें और दीवारें — Pgs. 435. वेश्या बनाम सती — Pgs. 506. नारी-जागरण और विवाह-बंधन — Pgs. 607. सतीत्व का भारतीय आदर्श — Pgs. 698. कॉलेज की लड़कियाँ — Pgs. 769. तीर देती जा रानी — Pgs. 80सीता की माँ1. प्रतीक्षा — Pgs. 852. पहला दृश्य — Pgs. 883. दूसरा दृश्य — Pgs. 944. तीसरा दृश्य — Pgs. 985. चौथा दृश्य — Pgs. 1036. पाँचवाँ दृश्य — Pgs. 109शकुंतलाशकुंतला — Pgs. 115
लेख : निबंध : पत्र - Nayi Naari : Sita Ki Maa : Shakuntala
Nayi Naari : Sita Ki Maa : Shakuntala - by - Prabhat Prakashan
Nayi Naari : Sita Ki Maa : Shakuntala - हिंदी गद्य के इतिहास में श्रीरामवृक्ष बेनीपुरी अपनी असाधारण शैली के लिए याद किए जाते रहे हैं। उन्होंने इस पुस्तक के प्रबंधों में उत्पीड़न तथा शोषण से संत्रस्त नारी-जीवन के कटु यथार्थ को एक न्यायाधीश की भाँति निष्पक्षता, तार्किकता एवं निर्भीकता के साथ सोचकर वस्तुनिष्ठ रूप से सामने रखा है। कहीं-कहीं पर उनकी भाषा ने तीखा रूप ग्रहण किया है, लेकिन जैसा कि उन्होंने आरंभिक अति संक्षिप्त भूमिका में स्पष्ट किया है, हमारे समाज में नारी संबंधी विचारों में जो जड़ता देखी जाती है, उसे दूर करने के लिए झकझोरनेवाली झिंझोर की आवश्यकता थी, इसीलिए बेनीपुरी कई जगहों पर सख्त-सुस्त सुनाते हुए दिखाई देते हैं। यह पुस्तक श्रीरामवृक्ष बेनीपुरी की गंभीर विचार-प्रधान कृति है, जो नारी-समस्या के अलग-अलग पक्षों पर प्राचीन समय से लेकर वर्तमान काल तक की स्थितियों के आधार पर तर्कसम्मत नई धारणाएँ प्रस्तुत करती है। नारी की अस्मिता और उसके गौरव को पुनर्स्थापित करने के प्रयासों को बल देनेवाली, सुलझे विचारों की एक पठनीय पुस्तक।अनुक्रम‘नई नारी’ : नारी-समस्या का विश्लेषणात्मक दस्तावेज — Pgs.
- Stock: 10
- Model: PP2405
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP2405
- ISBN: 9789383111961
- ISBN: 9789383111961
- Total Pages: 144
- Edition: Edition 1
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2016
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00