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कहानी - Apharan

कहानी - Apharan
‘हम लोग अपनी शैक्षिक योग्यता प्रमाणित कर चुके हैं। जवान हैं, मेहनत कर सकते हैं। कोई कमी नहीं है, किंतु आपकी महान् व्यवस्था हमारे लिए दैनिक मजूर के बराबर वेतन का भरोसा भी तो हमें नहीं दे पाती। हम क्या करें अपनी योग्यता का? हम क्या करें अपनी ऊर्जा का? क्या करें अपने खौलते लहू का? और अपने उबलते हुए गुस्से का क्या करें? हमारे साथ पढ़नेवाले फिसड्डी लड़के पाँच सितारा जिंदगी जी रहे हैं, सिर्फ इसलिए कि वे किसी मंत्री के बेटे हैं या आई.ए.एस. अफसर के दामाद हैं या बड़े तस्कर के सपूत हैं!’ ‘जिन्होंने हमें पहचाना, हमारे माथे पर लगा बेरोजगार का दाग पोंछ दिया, हमें बीस, तीस, कभी-कभी चालीस हजार रुपए महीने तक वेतन देते हैं, वे कौन हैं, हम नहीं जानते? जानने की उत्सुकता न रखना ही हमारी ‘योग्यता’ है। आपकी न्याय-व्यवस्था देश को बेचकर स्विस बैंक भरनेवालों को गंदा नहीं कहती। भूख से बिलबिलाता बच्चा होटल से रोटी चुराकर खा ले तो उसके लिए जेल की सजा है और देश को हर तरह से लूटनेवालों के लिए है सार्वजनिक अभिनंदन-समारोह।’ —इसी संग्रह से ‘अपहरण’ की कहानियाँ समाज में व्याप्‍त सामाजिक-आर्थिक असमानता, कुरूपता और विसंगतियों को तो उजागर करती ही हैं, साथ ही राजनीति, चुनाव और मानवीय संबंधों का गहराई से विश्‍लेषण करती हैं। पठनीयता से भरपूर सुरुचिपूर्ण कहानियाँ।

कहानी - Apharan

Apharan - by - Prabhat Prakashan

Apharan - ‘हम लोग अपनी शैक्षिक योग्यता प्रमाणित कर चुके हैं। जवान हैं, मेहनत कर सकते हैं। कोई कमी नहीं है, किंतु आपकी महान् व्यवस्था हमारे लिए दैनिक मजूर के बराबर वेतन का भरोसा भी तो हमें नहीं दे पाती। हम क्या करें अपनी योग्यता का?

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  • Stock: 10
  • Model: PP902
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP902
  • ISBN: 9788177212303
  • ISBN: 9788177212303
  • Total Pages: 159
  • Edition: Edition 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2014
₹ 200.00
Ex Tax: ₹ 200.00