कहानी - Gusse Ka Software Aur Operating System
अथॉरिटी में एंगर नहीं है। हमें अपना रोल, अपनी रिस्पोंसिबिलिटी निभानी है, लेकिन सभी कार्य बिना डिस्टर्ब होकर करने हैं।
हम अथॉरिटी का प्रयोग करें, लेकिन गुस्सा नहीं करें। गुस्से में हम अंदर से डिस्टर्ब होकर अपने ऊपर कंट्रोल खो देते हैं। हम ऊपर से नीचे तक पूरी तरह हिल जाते हैं, लेकिन अथॉरिटी में हम पूरी तरह शांत व स्थिर रहकर कार्य करते हैं। अथॉरिटी में रहकर हम एक-एक शब्द सोच-समझकर बोलते जाते हैं। हम सकारात्मक रहते हैं।
सामान्य जीवन में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जिसे क्रोध न आता हो, लेकिन एक सीमा के बाद क्रोध हमारे जीवन को डिस्टर्ब करने लगता है। हमें इस सीमा की पहचान करनी आवश्यक है। हम क्रोध को नेचुरल कहकर अपने क्रोध का बचाव नहीं कर सकते हैं। हमें क्रोधित होने की व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेनी होगी। जिम्मेदारी लेने से हम मजबूत बनते हैं और बहाना बनाने से हम कमजोर हो जाते हैं। यदि हम अपने क्रोध की जिम्मेदारी लेते हैं, तब हमें क्रोध-मुक्ति का रास्ता भी मिलेगा।
यदि पुस्तक में दिए गए उपायों का पालन किया जाए, तो हमें क्रोध से शत-प्रतिशत मुक्ति मिल सकती है, परंतु यदि पुस्तक में दिए गए थोड़े भी उपाय का पालन किया जाए, तो हमारा गुस्सा न्यूनतम स्तर पर अवश्य आ जाएगा।अनुक्रमलेखकीय —Pgs. 7दो शब्द —Pgs. 9आभार —Pgs. 11क्रोध का अर्थ —Pgs. 15गुस्सा करना जरूरी है? —Pgs. 19क्रोध के दार्शनिक पहलू —Pgs. 24क्रोध हमारी शक्ति नहीं, बल्कि कमजोरी है —Pgs. 42ऑफिस और क्रोध —Pgs. 47ऑफिस की कार्य संस्कृति —Pgs. 63पारिवारिक संबंधों में क्रोध —Pgs. 70गुस्से का संस्कार —Pgs. 82क्रोध के मूलभूत कारण —Pgs. 88गुस्से का सॉफ्टवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम —Pgs. 94ईगो और क्रोध —Pgs. 99एक्सेप्टेंस और क्रोध —Pgs. 104सहनशीलता और क्रोध —Pgs. 111क्रोध का शरीर पर प्रभाव —Pgs. 116क्रोध और माफी —Pgs. 121क्रोध करने की आदत बदली जा सकती है —Pgs. 131क्रोध-मुक्ति के सामान्य उपाय —Pgs. 135क्रोध का समाधान—मेडिटेशन के साथ —Pgs. 150क्रोध-मुक्ति में सहायक, सकारात्मक विचार —Pgs. 158संदर्भ सूची —Pgs. 166
कहानी - Gusse Ka Software Aur Operating System
Gusse Ka Software Aur Operating System - by - Prabhat Prakashan
Gusse Ka Software Aur Operating System - अथॉरिटी में एंगर नहीं है। हमें अपना रोल, अपनी रिस्पोंसिबिलिटी निभानी है, लेकिन सभी कार्य बिना डिस्टर्ब होकर करने हैं। हम अथॉरिटी का प्रयोग करें, लेकिन गुस्सा नहीं करें। गुस्से में हम अंदर से डिस्टर्ब होकर अपने ऊपर कंट्रोल खो देते हैं। हम ऊपर से नीचे तक पूरी तरह हिल जाते हैं, लेकिन अथॉरिटी में हम पूरी तरह शांत व स्थिर रहकर कार्य करते हैं। अथॉरिटी में रहकर हम एक-एक शब्द सोच-समझकर बोलते जाते हैं। हम सकारात्मक रहते हैं। सामान्य जीवन में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जिसे क्रोध न आता हो, लेकिन एक सीमा के बाद क्रोध हमारे जीवन को डिस्टर्ब करने लगता है। हमें इस सीमा की पहचान करनी आवश्यक है। हम क्रोध को नेचुरल कहकर अपने क्रोध का बचाव नहीं कर सकते हैं। हमें क्रोधित होने की व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेनी होगी। जिम्मेदारी लेने से हम मजबूत बनते हैं और बहाना बनाने से हम कमजोर हो जाते हैं। यदि हम अपने क्रोध की जिम्मेदारी लेते हैं, तब हमें क्रोध-मुक्ति का रास्ता भी मिलेगा। यदि पुस्तक में दिए गए उपायों का पालन किया जाए, तो हमें क्रोध से शत-प्रतिशत मुक्ति मिल सकती है, परंतु यदि पुस्तक में दिए गए थोड़े भी उपाय का पालन किया जाए, तो हमारा गुस्सा न्यूनतम स्तर पर अवश्य आ जाएगा।अनुक्रमलेखकीय —Pgs.
- Stock: 10
- Model: PP933
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP933
- ISBN: 9788177214208
- ISBN: 9788177214208
- Total Pages: 168
- Edition: Edition Ist
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2019
₹ 350.00
Ex Tax: ₹ 350.00