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व्यक्तित्व विकास : सैल्फहैल्प - Atmadeep Banen

व्यक्तित्व विकास : सैल्फहैल्प - Atmadeep Banen
आज के भौतिकवादी व उपभोगतावादी युग में हम आत्मिक रूप से कमजोर पड़ते जा रहे हैं। इससे हमारा मनोबल गिर रहा है। मनोबल की कमी के कारण आज हम वह उपलब्धि प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं, जिसके हम वास्तविक हकदार हैं। आज प्रत्येक व्यक्ति अपनी मानसिक कमजोरी को दूर करने के लिए जागरूक होकर प्रयास कर रहा है, लेकिन उसको सफलता नहीं मिल रही। आजकल हर बच्चा कहता है कि सकारात्मक सोचें, बाजार में सबसे अधिक पुस्तकें स्वयं-सुधार (सेल्फ इंप्रूवमेंट) की ही बिक रही हैं। लोग तनाव-प्रबंधन के लिए ट्रेनिंग कैंपों में भाग लेते हैं, प्रवचन और लैक्चर सुनते हैं, किंतु उन्हें वांछित लाभ नहीं मिल रहा है। प्रस्तुत पुस्तक में वर्णित अध्याय हमारे भीतर भाव एवं मनोविकार के मध्य चलनेवाले सकारात्मक विचारों पर केंद्रित हैं। प्रत्येक अध्याय एक-दूसरे से गुँथा है। अतः प्रयास यह किया गया है कि एक लय में रहकर मूल विचार से जुड़ा रहा जाए। स्वीकार भाव, माफ करना या माफी माँगना, स्वाभिमान होना, क्रोध पर नियंत्रण, शांति व खुशी इत्यादि, वे अवधारणाएँ हैं, जिनके सहारे हम नकारात्मक जीवन से दूर हो जाते हैं, साथ ही सकारात्मक जीवन अपनाकर सफलता अर्जित करते हैं।  यह पुस्तक विकार दूर करके सत्वृत्तियाँ उत्पन्न कर जीवन का उत्कर्ष करने का मार्ग दिखानेवाली अनुपमेय कृति है।अनुक्रममनोज जी की लेखनी धन्य हो!—7मेरी दृष्टि में ‘आत्मदीप बनें’—11भूमिका—13आभार—171. बौद्धिक संतुलन के आयाम—212. विचारों के आकर्षण का सिद्धांत—273. कार्मिक अकाउंट—394. क्रोध—445. स्वीकारभाव और जिम्मेदारी—556. माफी—697. पूर्वाग्रह एवं विश्वास की मान्यता—668. पैरेंटिंग—बच्चों की परवरिश—729. खुशी-शांति—7810. परिस्थिति, दृष्टिकोण और डिटैचमेंट—9011. सफलता—कंपीटिशन—10812. स्ट्रेस—तनाव—11713. वैल्यू—मूल्य—12114. इनर यूटी—आंतरिक सुंदरता—13115. अध्यात्म के विभिन्न आयाम—13716. महवपूर्ण सकारात्मक विचार—15917. उपसंहार—162

व्यक्तित्व विकास : सैल्फहैल्प - Atmadeep Banen

Atmadeep Banen - by - Prabhat Prakashan

Atmadeep Banen - आज के भौतिकवादी व उपभोगतावादी युग में हम आत्मिक रूप से कमजोर पड़ते जा रहे हैं। इससे हमारा मनोबल गिर रहा है। मनोबल की कमी के कारण आज हम वह उपलब्धि प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं, जिसके हम वास्तविक हकदार हैं। आज प्रत्येक व्यक्ति अपनी मानसिक कमजोरी को दूर करने के लिए जागरूक होकर प्रयास कर रहा है, लेकिन उसको सफलता नहीं मिल रही। आजकल हर बच्चा कहता है कि सकारात्मक सोचें, बाजार में सबसे अधिक पुस्तकें स्वयं-सुधार (सेल्फ इंप्रूवमेंट) की ही बिक रही हैं। लोग तनाव-प्रबंधन के लिए ट्रेनिंग कैंपों में भाग लेते हैं, प्रवचन और लैक्चर सुनते हैं, किंतु उन्हें वांछित लाभ नहीं मिल रहा है। प्रस्तुत पुस्तक में वर्णित अध्याय हमारे भीतर भाव एवं मनोविकार के मध्य चलनेवाले सकारात्मक विचारों पर केंद्रित हैं। प्रत्येक अध्याय एक-दूसरे से गुँथा है। अतः प्रयास यह किया गया है कि एक लय में रहकर मूल विचार से जुड़ा रहा जाए। स्वीकार भाव, माफ करना या माफी माँगना, स्वाभिमान होना, क्रोध पर नियंत्रण, शांति व खुशी इत्यादि, वे अवधारणाएँ हैं, जिनके सहारे हम नकारात्मक जीवन से दूर हो जाते हैं, साथ ही सकारात्मक जीवन अपनाकर सफलता अर्जित करते हैं।  यह पुस्तक विकार दूर करके सत्वृत्तियाँ उत्पन्न कर जीवन का उत्कर्ष करने का मार्ग दिखानेवाली अनुपमेय कृति है।अनुक्रममनोज जी की लेखनी धन्य हो!

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  • Stock: 10
  • Model: PP2582
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2582
  • ISBN: 9789352661091
  • ISBN: 9789352661091
  • Total Pages: 168
  • Edition: Edition 1
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2017
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00