Menu
Your Cart

कहानी - Dharamveer Bharti Ki Lokpriya Kahaniyan

कहानी - Dharamveer Bharti Ki Lokpriya Kahaniyan
‘‘कुबड़ी-कुबड़ी का हेराना?’’ ‘‘सुई हेरानी।’’ ‘‘सुई लैके का करबे?’’ ‘‘कंथा सीबै!’’ ‘‘कंथा सीके का करबे?’’ ‘‘लकड़ी लाबै!’’ ‘‘लकड़ी लाय के का करबे?’’ ‘‘भात पकइबे!’’ ‘‘भात पकाय के का करबे?’’ ‘‘भात खाबै!’’ ‘‘भात के बदले लात खाबे।’’ और इससे पहले कि कुबड़ी बनी हुई मटकी कुछ कह सके, वे उसे जोर से लात मारते और मटकी मुँह के बल गिर पड़ती। उसकी कुहनियाँ और घुटने छिल जाते, आँख में आँसू आ जाते और ओठ दबाकर वह रुलाई रोकती।  बच्चे खुशी से चिल्लाते, ‘‘मार डाला कुबड़ी को! मार डाला कुबड़ी को!’’ —इसी पुस्तक से साहित्य एवं पत्रकारिता को नए प्रतिमान देनेवाले प्रसिद्ध साहित्यकार एवं संपादक श्री धर्मवीर भारती के लेखन ने सामान्य जन के हृदय को स्पर्श किया। उनकी कहानियाँ मर्मस्पर्शी, संवेदनशील तथा पठनीयता से भरपूर हैं। प्रस्तुत है उनकी ऐसी कहानियाँ, जिन्होंने पाठकों में अपार लोकप्रियता अर्जित की।अनुक्रमभूमिका — 71. गुलकी बन्नो — 152. बंद गली का आखिरी मकान — 313. आश्रम — 754. यह मेरे लिए नहीं — 1065. मुरदों का गाँव — 1276. स्वर्ग और पृथ्वी — 1307. चाँद और टूटे हुए लोग — 1378. कुलटा — 1489. हरिनाकुस और उसका बेटा — 15410. एक बच्ची की कीमत — 16111. धुआँ — 16512. कफन-चोर — 17113. नारी और निर्वाण — 17514. मंजिल — 181

कहानी - Dharamveer Bharti Ki Lokpriya Kahaniyan

Dharamveer Bharti Ki Lokpriya Kahaniyan - by - Prabhat Prakashan

Dharamveer Bharti Ki Lokpriya Kahaniyan - ‘‘कुबड़ी-कुबड़ी का हेराना?

Write a review

Please login or register to review
  • Stock: 10
  • Model: PP808
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP808
  • ISBN: 9789351865483
  • ISBN: 9789351865483
  • Total Pages: 184
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2020
₹ 350.00
Ex Tax: ₹ 350.00