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कहानी - Dalit Jivan Ki Kahaniyan

कहानी - Dalit Jivan Ki Kahaniyan
विकास के प्रारंभिक चरण में जब अधिक मानव- श्रम की आवश्यकता अनुभव हुई तो आदमी ने आदमी का शोषण करना शुरू कर दिया, और इसके साथ ही आदिम समाज के कृषियुग में दासप्रथा का जन्म हुआ । शोषित और दलित वर्ग की जो समस्याएँ स्वतंत्रता से पूर्व सामाजिक स्तर पर थीं, उसके बाद उन्होंने आर्थिक-राजनीतिक भयावह शक्ल अख्तियार कर ली । इन विषम समस्याओं से अवगत होने और उनका समाधान खोजने के लिए हमने सुधारवादी, प्रगतिशील और क्रांतिकारी होने का ढोंग रचा । किंतु अपनी सुख-सुविधा और उच्च वर्गीय पहचान को कायम रखने के लिए निर्बलों और दलितों का शोषण करने से हम बाज न आ सके, न हमने अपनी इस घिनौनी हवस से कभी गुरेज ही किया । हमारी कुलीनता और रईसाना आदतों का शिकार आजादी से पहले भी दलित वर्ग था और आजादी के प्रायः चालीस वर्ष बाद भी हमारा शिकार यही वर्ग है-नितात निरीह और बेचारा । इस विषम स्थिति से निबटने का अब एकमात्र विकल्प रह गया है वर्ग-संघर्ष । एक दिन शोषक वर्ग इस विकल्प के सामने शोषितों और दलितों के विरुद्ध छेड़ी गई मुहिम पर मुँह की खाकर हथियार डाल देगा । प्रस्तुत संकलन की कहानियों भारतीय मनीषा को झकझोरती हुई उसकी मानसिक ऊहापोह का ऐसा चित्र प्रस्तुत करती हैं जिसमें शोषक वर्ग बेनकाब होकर रह जाता है और दलित-शोषित वर्ग हमसे सहानुभूति की माँग कर बैठता है ।

कहानी - Dalit Jivan Ki Kahaniyan

Dalit Jivan Ki Kahaniyan - by - Prabhat Prakashan

Dalit Jivan Ki Kahaniyan -

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  • Stock: 10
  • Model: PP820
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP820
  • ISBN: 9789352664092
  • ISBN: 9789352664092
  • Total Pages: 158
  • Edition: Edition 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2018
₹ 400.00
Ex Tax: ₹ 400.00