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कविता - Main Aavaz Hoon

कविता - Main Aavaz Hoon
कुसुम वीर की कविताएँ बहुत कुछ कहती हैं । जीवन से जुड़े अनेक संघर्ष और अनुभव उनकी कविताओं में झलकते हैं । सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण चुनौती तो अभिव्यक्‍त‌ि की है, जिसे उन्होंने अपनी कविता ' मैं आवाज़ हूँ ' के माध्यम से सुदृढ़ आत्मविश्‍वास के साथ व्यक्‍त किया है । कवयित्री समाज की उन शक्‍त‌ियों के सामने झुकने को तैयार नहीं । दमन और अन्याय के खिलाफ़ उसकी आवाज़ बुलंद है और रहेगी, ताकि बाधाओं और अंधविश्‍वास की दीवारें गिराई जा सकें । कवयित्री का साहस अदम्य है और आत्मविश्‍वास अपराजेय । ये कविताएँ जीवन की ऊहापोह से गुजरते हुए एक निश्छल मन की अभिव्यक्‍त‌ियाँ हैं । इन कविताओं में भावनाएँ विचार, रुचियाँ-उनका समूचा व्यक्‍त‌ित्व परिलक्षित होता है । जैसे मनुष्य के व्यक्‍त‌ित्व के अनेक पहलू होते हैं, कुसुम वीर की कविताओं के भी कई रंग हैं । एक ओर सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश की जकड़न का गहरा अहसास है, वहीं मन की कोमलतम संवेदनाओं को भी ये कविताएँ उजागर करती हैं । इन कविताओं का एक अहम विषय है सामाजिक एवं राजनीतिक परिवेश की विसंगतियाँ । भारत की गौरवमयी सांस्कृतिक विरासत के बावजूद वर्तमान समाज में बहुत सी बातें असहनीय हैं । उनके विरोध में कवयित्री के मन का आक्रोश कई कविताओं में मुखर हुआ है । और भी बहुत-कुछ कहा जा सकता है कुसुम वीर की कविताओं के बारे में, उनकी संभावनाओं के बारे में । परंतु बेहतर यह है कि पाठक सीधे कविताओं मे हो सुनें कि वे क्या कहती हैं!

कविता - Main Aavaz Hoon

Main Aavaz Hoon - by - Prabhat Prakashan

Main Aavaz Hoon - कुसुम वीर की कविताएँ बहुत कुछ कहती हैं । जीवन से जुड़े अनेक संघर्ष और अनुभव उनकी कविताओं में झलकते हैं । सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण चुनौती तो अभिव्यक्‍त‌ि की है, जिसे उन्होंने अपनी कविता ' मैं आवाज़ हूँ ' के माध्यम से सुदृढ़ आत्मविश्‍वास के साथ व्यक्‍त किया है । कवयित्री समाज की उन शक्‍त‌ियों के सामने झुकने को तैयार नहीं । दमन और अन्याय के खिलाफ़ उसकी आवाज़ बुलंद है और रहेगी, ताकि बाधाओं और अंधविश्‍वास की दीवारें गिराई जा सकें । कवयित्री का साहस अदम्य है और आत्मविश्‍वास अपराजेय । ये कविताएँ जीवन की ऊहापोह से गुजरते हुए एक निश्छल मन की अभिव्यक्‍त‌ियाँ हैं । इन कविताओं में भावनाएँ विचार, रुचियाँ-उनका समूचा व्यक्‍त‌ित्व परिलक्षित होता है । जैसे मनुष्य के व्यक्‍त‌ित्व के अनेक पहलू होते हैं, कुसुम वीर की कविताओं के भी कई रंग हैं । एक ओर सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश की जकड़न का गहरा अहसास है, वहीं मन की कोमलतम संवेदनाओं को भी ये कविताएँ उजागर करती हैं । इन कविताओं का एक अहम विषय है सामाजिक एवं राजनीतिक परिवेश की विसंगतियाँ । भारत की गौरवमयी सांस्कृतिक विरासत के बावजूद वर्तमान समाज में बहुत सी बातें असहनीय हैं । उनके विरोध में कवयित्री के मन का आक्रोश कई कविताओं में मुखर हुआ है । और भी बहुत-कुछ कहा जा सकता है कुसुम वीर की कविताओं के बारे में, उनकी संभावनाओं के बारे में । परंतु बेहतर यह है कि पाठक सीधे कविताओं मे हो सुनें कि वे क्या कहती हैं!

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  • Stock: 10
  • Model: PP756
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP756
  • ISBN: 8188266876
  • ISBN: 8188266876
  • Total Pages: 102
  • Edition: Edition 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2010
₹ 150.00
Ex Tax: ₹ 150.00