Menu
Your Cart

उपन्यास - Vividha

उपन्यास - Vividha
डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी अपने समय के सुचिंतित विचारक तथा विभिन्न विषयों के प्रसिद्ध विद्वान् थे। उनके चिंतन का आधार उनका राष्‍ट्र-प्रेम तथा भारतीय धरोहर के प्रति उनकी अनन्य निष्‍ठा थी। इसी आधारपीठिका पर वह अपने चिंतन का साम्राज्य फैलाते थे, चाहे वह भारतवंशियों के सांस्कृतिक जुड़ाव की बात हो या प्रकृति संबंधित जैन घोषणा-पत्र हो या वेद संहिताएँ हों अथवा वेदांत या फिर सगुण या निर्गुण साधना हो। डॉ. सिंघवी मानते थे कि भाषा, साहित्य और संस्कृति मनुष्य की सामाजिक अस्मिता के अंग और अवयव हैं। इनकी सुरक्षा और संवर्धन की बात राष्‍ट्रीय एकता को संपुष्‍ट करने के लिए जरूरी है। ‘विविधा’ में संकलित उनके 21 निबंधों में भारत की निरंतरता को समझने की कोशिश है और अतीत के उत्तराधिकार को सँजोकर आगे बढ़ने का आह्वान है। इन सब निबंधों में भारत की झलक दिखाई पड़ती है। डॉ. सिंघवी के लिए भारत स्वयं मनुष्यजाति की एक बहुत बड़ी कविता है। उसकी सांस्कृतिक आराधना में भारत के वाक् और अर्थ को डॉ. सिंघवी ने हमेशा संपृक्‍त पाया है। इन निबंधों का बार-बार पारायण भारत और उसकी संस्कृति तथा उसके विचार को समझने के लिए बहुत जरूरी है।

उपन्यास - Vividha

Vividha - by - Prabhat Prakashan

Vividha - डॉ.

Write a review

Please login or register to review
  • Stock: 10
  • Model: PP628
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP628
  • ISBN: 9789380183022
  • ISBN: 9789380183022
  • Total Pages: 136
  • Edition: Edition 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2017
₹ 175.00
Ex Tax: ₹ 175.00