उपन्यास - Abhishapta Katha
कच उठ बैठा। उसने आचार्य के चरण छुए।
“जीवेम शरद: शतम्।” आचार्य ने कहा।
कच ने एक विजयी दृष्टि जयंती पर डाली। वह भी सफलता पर मुसकरा रही थी।
“आपने अपना ज्ञान दिया, मैं कृतज्ञ हुआ, आचार्य!” कच ने विजयोन्माद में कहा।
“क्या!” आचार्य का मुख खुला-का-खुला रह गया। उन्हें ऐसा लगा जैसे विस्फोट हो गया है। धधकते ज्वालामुखी में वह गिरते चले जा रहे हैं। आकाश से नक्षत्र टूट-टूटकर उन पर भहरा रहे हैं। वे उटज से पागलों-सा चिल्लाते हुए निकले, “मेरे साथ धोखा हुआ! मैं लूट लिया गया! मेरे वैभव में उन छलियों ने आग लगा दी! मैं भस्म हो रहा हूँ। मुझे बचाओ! मुझे बचाओ!”
—इसी उपन्यास से
‘कृष्ण की आत्मकथा’ जैसे कालजयी उपन्यास के लेखक श्री मनु शर्मा द्वारा लिखित कच-देवयानी की बहुचर्चित पौराणिक कथा पर आधारित पठनीय उपन्यास। यह औपन्यासिक कृति पौराणिक इतिहास की जानकारी देने के साथ ही तत्कालीन आर्यावर्त के सामाजिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक इतिहास का भी लेखा-जोखा है।
उपन्यास - Abhishapta Katha
Abhishapta Katha - by - Prabhat Prakashan
Abhishapta Katha - कच उठ बैठा। उसने आचार्य के चरण छुए। “जीवेम शरद: शतम्।” आचार्य ने कहा। कच ने एक विजयी दृष्टि जयंती पर डाली। वह भी सफलता पर मुसकरा रही थी। “आपने अपना ज्ञान दिया, मैं कृतज्ञ हुआ, आचार्य!
- Stock: 10
- Model: PP639
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP639
- ISBN: 9788177212488
- ISBN: 9788177212488
- Total Pages: 248
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2017
₹ 450.00
Ex Tax: ₹ 450.00