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Drama Studies Books - Padhte Sunte Dekhte

Drama Studies Books - Padhte Sunte Dekhte
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि हिन्दी परिदृश्य में देवेन्द्र राज अंकुर हमारे समय के सबसे विश्वसनीय और सक्रिय रंग-चिन्तक हैं। वे जिस दृष्टि से समकालीन रंगकर्म को देख रहे हैं, वह कहीं से उधार ली हुई नहीं, उनके अपने रंगानुभव से अर्जित की हुई है। अपनी बात को वे आम पाठक के, तक़रीबन बातचीत के, मुहावरे में कहते हैं। शायद यही कारण है कि रंगमंच के छात्र, रंगकर्मी, दर्शक और सामान्य पाठक—सभी उन्हें बड़े प्रेम और भरोसे के साथ पढ़ते रहे हैं।हिन्दी में रंगमंच विषयक अच्छी और समकालीन सरोकारों से लैस पुस्तकों के अभाव को भी उन्होंने काफ़ी हद तक पूरा किया है। यह पुस्तक नाटक के पाठ को पढ़ने, नाटककार की ज़बानी उसे सुनने और अन्त में निर्देशक के हाथों से गुज़रने के बाद देखने—इन तीनों चरणों से होकर गुज़रती है।कोई संवादपरक पाठ नाटक कैसे बनता है, अभिनेताओं द्वारा खेले गए किसी खेल को कब एक सफल प्रस्तुति कहा जाए, मंच के लिए अव्यावहारिक मानी जाती रही नाट्य रचनाएँ कैसे किसी कल्पनाशील निर्देशक के हाथों में आकर यादगार मंच रचनाएँ हो गईं और किन-किन व्यक्तियों ने बाक़ायदा संस्थाओं की हैसियत से भारतीय रंगमंच को नई पहचान व अस्मिता दी, उनकी रचना-प्रक्रिया क्या रही—यह सब पढ़ने-सुनने-देखने की विषयवस्तु है। इधर कई विश्वविद्यालयों में थिएटर को एक विषय के रूप में भी पढ़ाया जाना शुरू किया गया है। इस लिहाज़ से यह पुस्तक विशेष महत्त्व रखती है।हमें पूरा विश्वास है कि सिद्धान्त और व्यवहार के बीच से अपना रास्ता तलाश करती यह पुस्तक उन सबके लिए उपादेय साबित होगी जो वर्तमान हिन्दी रंगमंच की सम्यक् समझ हासिल करना चाहते हैं।

Drama Studies Books - Padhte Sunte Dekhte

Padhte Sunte Dekhte - by - Rajkamal Prakashan

Padhte Sunte Dekhte -

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  • Stock: 10
  • Model: RKP1689
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP1689
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 308p
  • Edition: 2008, Ed. 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back
  • Year: 2008
₹ 400.00
Ex Tax: ₹ 400.00