Fiction : Novel - Asantosh Ke Din
हिन्दी उपन्यास-जगत् में राही मासूम रज़ा का प्रवेश एक सांस्कृतिक घटना-जैसा ही था। ‘आधा गाँव’ अपने-आप में मात्र एक उपन्यास ही नहीं, सौन्दर्य का पूरा प्रतिमान था। राही ने इस प्रतिमान को उस मेहनतकश अवाम की इच्छाओं और आकांक्षाओं को मथकर निकाला था, जिसे इस महादेश की जन-विरोधी व्यवस्था ने कितने ही आधारों पर विभाजित कर रखा है।राही का कवि-हृदय व्यवस्था द्वारा लादे गए झूठे जनतंत्र की विभीषिकाओं को उजागर करने में अत्यन्त तत्पर, विकल, संवेदनशील और आक्रोश से भरा हुआ रहा है। यही हृदय और अधिक व्यंजनाक्षम होकर ‘असन्तोष के दिन’ में व्याप रहा है। आक्रोश और संवेदना की यह तरलता यहाँ धुर गम्भीर राजनीतिक सवालों को पेश करती है, जिनकी आँच में सारा हिन्दुस्तान पिघल रहा है।राष्ट्र की अखंडता और एकता, जातिवाद की भयानक दमघोंटू परम्पराएँ, साम्प्रदायिकता का हलाहल, एक-से-एक भीषण सत्य, चुस्त शैली और धारदार भाषा में लिपटा चला आता है और हमें घेर लेता है। इस कृति की माँग है कि इन सवालों से जूझा और टकराया जाए। इसी समय, इनके उत्तर तलाश किए जाएँ अन्यथा मनुष्य के अस्तित्व की कोई गारंटी नहीं रहेगी।
Fiction : Novel - Asantosh Ke Din
Asantosh Ke Din - by - Rajkamal Prakashan
Asantosh Ke Din -
- Stock: 10
- Model: RKP2202
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP2202
- ISBN: 0
- Total Pages: 91p
- Edition: 2018, Ed. 3rd
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back
- Year: 1986
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00