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Drama Studies Books - Jaishankar Prasad : Rangshrishti-2

Drama Studies Books - Jaishankar Prasad : Rangshrishti-2
जयशंकर प्रसाद के नाट्य-लेखन और रंग-चिन्तन से हिन्दी नाटक और रंगमंच का एक महत्त्वपूर्ण चरण आरम्भ होता है। उन्होंने अपने नाटकों में जातीय स्मृतियों को उजागर करके, औपनिवेशिक राजसत्ता के विरुद्ध एक प्रतिरोधी चेतना जागृत की और एक सर्वथा नए रंगमंच की तलाश का सार्थक प्रयास किया। यह एक ऐसे नाटककार की तलाश थी जो अनेक अनुशासनों से गुज़रकर अपने समय को अभिव्यक्ति देने के लिए एक नया मुहावरा पाना चाहता था और रंगमंच की परम्पराओं और रूढ़ियों का रचनात्मक प्रयोग करते हुए भी, उनसे मुक्त होकर नई दिशाओं का संकेत दे रहा था। इसे पहचानने और विकसित करने की अपेक्षा, अधिकांश आलोचकों ने प्रसाद के नाटकों के एक ऐसे ग़लत पाठ की शुरुआत की जिसने नाटक और रंगकर्म में संवादहीनता की स्थिति उपस्थित कर दी। फिर भी, हिन्दी रंगमंच की अपनी पहचान बनाने की कोशिशों में रंगकर्मी लगातार प्रसाद की ओर लौटते रहे और उनके नाटकों के ही नहीं, कहानियों और कविताओं के साथ भी नए प्रयोग करते रहे। आज जब भारतीय जीवन-सन्दर्भों और मूल्यों में तेज़ उथल-पुथल जारी है, दृश्य-माध्यमों के प्रभाव से प्रस्तुति शैलियों में लगातार महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हो रहे हैं; प्रसाद के नाटकों को एक नई दृष्टि से परखने की ज़्यादा ज़रूरत महसूस हो रही है। प्रस्तुत पुस्तक इसी दिशा में एक गम्भीर कोशिश है।प्रसाद के रंग-चिन्तन, परिवेश और नाट्य-साहित्य का विश्लेषण करते हुए रंग-अध्येता महेश आनन्द ने एक नई रंगदृष्टि की स्थापना की है, जो प्रसाद के नाटकों के कथ्य और शिल्प की न केवल पड़ताल करती है, बल्कि उनकी रंग-सम्भावनाओं की तथ्यपरक पहचान करती है। यहाँ नाटककार प्रसाद से सम्बन्धित भ्रान्तियों को निरस्त करते हुए, उनके नाटकों में रूप और रंग के गहरे तनावों और नाटकीय वैशिष्ट्य की व्याख्या की गई है। यह अध्ययन प्रसाद के नाटकों के माध्यम से प्राप्त जीवन्त अनुभवों से एक साक्षात्कार है, जो इस विवादित, महान नाटककार को सम्पूर्णता में समझने में मददगार साबित होता है। पुस्तक के दूसरे भाग ‘जयशंकर प्रसाद : रंगसृष्टि’ में प्रसाद के नाटकों की, शुरू (1933) से लेकर आज (2010) तक की, अधिकांश नाट्य-प्रस्तुतियों के विभिन्न पक्षों से सम्बन्धित सामग्री का संकलन और विवेचन प्रस्तुत किया गया है। एक तरह से यह भाग प्रसाद की रचनाओं के मंचीय प्रयोगों और प्रयासों का एक तथ्यपरक इतिहास है, जो पुस्तक के प्रथम भाग में किए गए मूल्यांकन का आधार बनता है।

Drama Studies Books - Jaishankar Prasad : Rangshrishti-2

Jaishankar Prasad : Rangshrishti-2 - by - Rajkamal Prakashan

Jaishankar Prasad : Rangshrishti-2 -

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  • Stock: 10
  • Model: RKP1083
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP1083
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 386p
  • Edition: 2010, Ed. 2nd
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back
  • Year: 1998
₹ 350.00
Ex Tax: ₹ 350.00