Drama Studies Books - Darshan Pradarshan
भरत के नाट्यशास्त्र से लेकर ‘आषाढ़ का एक दिन’ तक फैले दो-ढाई हज़ार वर्षों के बीच भारतीय रंगमंच में जो चिन्तन और दर्शन विकसित हुआ है, उसे समकालीन रंगकर्म के साथ जोड़कर विवेचित-विश्लेषित करनेवाली कृति है : ‘दर्शन प्रदर्शन’।इसमें जहाँ एक ओर शास्त्र, सिद्धान्त, अभिनय, आलेख और शैली को आधार बनाकर एक नए रंगदर्शन को रचने की कोशिश है, तो दूसरी ओर अलग-अलग समय पर लिखे और मंचित तीन प्रतिनिधि नाटकों के बहाने से उस नए रंगदर्शन की व्यावहारिकता को भी जाँचने-परखने का प्रयास किया गया है। इसी के साथ बीसवीं शताब्दी के हिन्दी रंगमंच, नाट्यालोचना और इन दोनों के भीतर से उभरते इक्कीसवीं शताब्दी के रंगमंच की भावी दिशाओं और सम्भावनाओं पर भी गम्भीर विमर्श किया गया है। अपने समय के सबसे ज़्यादा चर्चित और विवादास्पद दो रंग-निर्देशकों के साथ लम्बी बातचीत इस पुस्तक को एक सार्थक परिणति प्रदान करती है।रंगमंच के पाठकों, दर्शकों, समीक्षकों और अध्येताओं के लिए समान रूप से अनिवार्य और अपरिहार्य रचना है : ‘दर्शन प्रदर्शन’।
Drama Studies Books - Darshan Pradarshan
Darshan Pradarshan - by - Rajkamal Prakashan
Darshan Pradarshan -
- Stock: 10
- Model: RKP1468
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP1468
- ISBN: 0
- Total Pages: 163p
- Edition: 2002, Ed. 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back
- Year: 2002
₹ 350.00
Ex Tax: ₹ 350.00