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Short stories

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हिन्दी कहानी के लम्बे और समृद्ध इतिहास में अखिलेश उस ऐतिहासिक मोड़ पर हैं जहां कहानी सफेद और स्याह की पारम्परिक यथार्थ रूढि़ से मुक्ति लेती है। इसे मुक्त करने में अखिलेश की कहानियों की अग्रणी भूमिका है। व्यक्ति और समाज सबंधों और स्वार्थो की जटिलता में उलझे हुए हैं और इन्हें किसी खांचे या श्रेणी में ..
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वर्ष 1982 में भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित और सौ से ज़्यादा रचनाओं की लेखिका अमृता प्रीतम ने अपनी कविताओं की तरह ही कहानियों में भी विशेष छाप छोड़ी है। उनकी कहानियाँ नारी की स्थिति, पीड़ा, विडंबना और विसंगतियों को उजागर करती हैं। नारी हृदय में व्याप्त प्रेम और करुणा का जैसा चित्रण अमृता प्रीतम ने किय..
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हिन्दी के पाठकों का प्रेमचन्द की कहानियों के प्रति विशेष आकर्षण रहा है। वे कहानियां यदि लेखक की भी पसंदीदा हों और उन्हें आलोचकों ने भी सराहा हो तो कहना ही क्या! ऐसी ही चुनिंदा कहानियों को पाठकों के लिए इस पुस्तक में संगृहीत किया गया है। यथार्थ की सच्चाइयों से रू-ब-रू कराती इन कहानियों को पढ़ते हुए प..
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वरिष्ठ कथाकार फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ की ये चुनी हुई कहानियाँ उनके समग्र लेखन का प्रतिनिधित्व करती हैं। इनमें उनकी ‘तीसरी क़सम’-जिस पर बहुचर्चित फिल्म भी बनी-‘रसप्रिया’, ‘लाल पान की बेगम’ जैसी सर्वोत्तम आंचलिक कहानियाँ तो हैं ही, आधुनिक विषयों पर लिखी ‘अगिनख़ोर’ और ‘रेखाएं: वृत्तचक्र’ जैसी श्रेष्ठ कहानिया..
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यशपाल की गणना हिन्दी साहित्य के निर्माताओं में की जाती है। एक विचारधारा से जुड़े होने पर भी उनकी कहानियाँ और उपन्यास-जिनकी संख्या काफी है-बहुत लोकप्रिय हुए और उन्होंने अपने ढंग से साहित्य को गहराई से प्रभावित किया। प्रस्तुत संकलन में उन्होंने स्वयं अपने अनेक कहानी संग्रहों में से चुनकर श्रेष्ठ कहानि..
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‘व्यास सम्मान’, बिहार राजभाषा परिषद् तथा हिन्दी अकादमी से पुरस्कृत चित्रा मुद्गल हिन्दी की सुपरिचित कहानीकार हैं। उनकी बीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है जिनमें ‘जिनावर’ और ‘एक ज़मीन अपनी’ विशेष रूप से चर्चित रहीं। चित्रा जी की कहानियाँ कोरी कल्पना पर आधारित न होकर ठोस यथार्थ से पाठक को रू-ब-र..
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दलित लेखन आज भारतीय साहित्य का प्रमुख हिस्सा है। दलित जीवन के यथार्थ को खास तल्खी और गहरी संवेदना से चित्रित करने के लिए श्यौराज सिंह ‘बेचैन’ की कहानियाँ प्रसिद्ध हैं। ये कहानियाँ केवल भारतीय सामाजिक व्यवस्था की क्रूर सच्चाई को ही नहीं बतातीं बल्कि मनुष्यता के सार्वभौम सवाल को भी पाठकों के सामने खड़..
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स्वयं प्रकाश की कहानियां भारतीय जीवन के हर्ष-विषाद, उथल पुथल और मामूली समझी जाने वाली स्थितियों का सटीक वर्णन और विश्लेषण करती हैं। इसके लिए वे अपनी कथा-भाषा में व्यंग्य-चुहल और बतकही का इस्तेमाल करते हैं। बड़ी बात यह नहीं है कि एक कथाकार अपनी कहानियों में महान सत्य का उद्घाटन करे, अपितु बड़ी बात यह..
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एक लेखक के रूप में रमेशचंद्र शाह की पहचान भले ही आलोचक और निबंधकार की है, किन्तु किसी कथा-आंदोलन से जुड़े बिना भी उन्होंने हिन्दी कहानी की विकास यात्रा में सार्थक और उल्लेखनीय हस्तक्षेप किया है। उनके पांच प्रकाशित कहानी-संग्रह इसकी पुष्टि करते हैं। पारम्परिक किस्सागोई से शुरू कर, चरित्र प्रधान, एकाल..
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हिन्दी कहानी को कथा और शैली दोनों ही दृष्टियों से नई दिशा देने वाले लेखकों में मोहन राकेश का अग्रणी स्थान है। उन्होंने कम ही लिखा परंतु उनकी अनेक कहानियाँ साहित्य की अमर निधि बन गईं। प्रस्तुत संकलन में उनकी अपने ही द्वारा चुनी हुई कहानियाँ हैं तथा अपने लेखन व रचना प्रक्रिया के संबंध में विशेष रूप मे..
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हिन्दी के कहानी लेखकों में मन्नू भंडारी का अग्रणी स्थान है। उनकी कहानियों में नारी-जीवन के उन अन्तरंग अनुभवों को विशेष रूप से अभिव्यक्ति दी गई है जो उनके नितांत अपने हैं और पुरुष कहानीकारों की रचनाओं में प्रायः नहीं मिलते। वैसे मन्नू भंडारी ने अपने अन्य समकालीन समर्थ लेखकों की तरह ही लगभग सभी पहलुओं..
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शिवानी नारी जीवन व उसके मन की पर्तों को गहराई से उद्घाटित करने वाली विषयवस्तु के कारण हिन्दी की महिला कथाकारों में अपना विशिष्ट स्थान रखती हैं। उनकी कहानियों की संख्या लगभग 100 के आसपास होगी। कहानियों की मुख्य पात्र भी स्त्रियां ही हैं। विषयवस्तु की दृष्टि से उनकी कहानियाँ संवेदना की गहराई में जाकर ..
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