कामतानाथ की मुख्य पहचान एक कहानीकार के रूप में थी। नयी कहानी के बाद 1960 के दशक में जो युवा कथाकारों की पीढ़ी सामने आईं, वे उसके अग्रणी हस्ताक्षर थे। उनकी कृतियों में वर्गीय दृष्टि और क्रांतिकारी चेतना अलग से ध्यान खींचती है। ‘मुक्तिबोध पुरस्कार’, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की ओर से ‘यशपाल पुरस्कार..
शिवानी नारी जीवन व उसके मन की पर्तों को गहराई से उद्घाटित करने वाली विषयवस्तु के कारण हिन्दी की महिला कथाकारों में अपना विशिष्ट स्थान रखती हैं। उनकी कहानियों की संख्या लगभग 100 के आसपास होगी। कहानियों की मुख्य पात्र भी स्त्रियां ही हैं। विषयवस्तु की दृष्टि से उनकी कहानियाँ संवेदना की गहराई में जाकर ..
वर्ष 1982 में भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित और सौ से ज़्यादा रचनाओं की लेखिका अमृता प्रीतम ने अपनी कविताओं की तरह ही कहानियों में भी विशेष छाप छोड़ी है। उनकी कहानियाँ नारी की स्थिति, पीड़ा, विडंबना और विसंगतियों को उजागर करती हैं। नारी हृदय में व्याप्त प्रेम और करुणा का जैसा चित्रण अमृता प्रीतम ने किय..
वर्ष 2009 में साहित्य के सर्वोच्च सम्मान भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित अमरकान्त विशेष रूप से अपनी कहानियों के लिए चर्चित रहे। ‘ज़िन्दगी और जोंक’, ‘देश के लोग’, ‘मौत का नगर’, ‘मित्र मिलन’ और ‘कुहासा’ आदि उनके बारह कहानी संग्रह और ‘इन्हीं हथियारों से’, ‘बीच की दीवार’, ‘सूखा पत्ता’ आदि ग्यारह उपन्यास प्र..
यशपाल की गणना हिन्दी साहित्य के निर्माताओं में की जाती है। एक विचारधारा से जुड़े होने पर भी उनकी कहानियाँ और उपन्यास-जिनकी संख्या काफी है-बहुत लोकप्रिय हुए और उन्होंने अपने ढंग से साहित्य को गहराई से प्रभावित किया। प्रस्तुत संकलन में उन्होंने स्वयं अपने अनेक कहानी संग्रहों में से चुनकर श्रेष्ठ कहानि..
‘व्यास सम्मान’, बिहार राजभाषा परिषद् तथा हिन्दी अकादमी से पुरस्कृत चित्रा मुद्गल हिन्दी की सुपरिचित कहानीकार हैं। उनकी बीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है जिनमें ‘जिनावर’ और ‘एक ज़मीन अपनी’ विशेष रूप से चर्चित रहीं। चित्रा जी की कहानियाँ कोरी कल्पना पर आधारित न होकर ठोस यथार्थ से पाठक को रू-ब-र..
वरिष्ठ कथाकार फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ की ये चुनी हुई कहानियाँ उनके समग्र लेखन का प्रतिनिधित्व करती हैं। इनमें उनकी ‘तीसरी क़सम’-जिस पर बहुचर्चित फिल्म भी बनी-‘रसप्रिया’, ‘लाल पान की बेगम’ जैसी सर्वोत्तम आंचलिक कहानियाँ तो हैं ही, आधुनिक विषयों पर लिखी ‘अगिनख़ोर’ और ‘रेखाएं: वृत्तचक्र’ जैसी श्रेष्ठ कहानिया..
असग़र वजाहत हिन्दी कहानीकारों की भीड़ में शामिल एक दो पाया नहीं, बल्कि एक मुक़म्मल शख़्सियत है। कहानी, उपन्यास, नाटक, सिनेमा, पेंटिंग तक अपने पंख फैलाये वह सिर्फ़ इंसानी फ़ितरत की बात सोचता है और उसे रचना में रूपांतरित करता रहता है। असग़र की इसी रचनात्मक बेचैनी से निकली हैं ये कहानियां। ‘मेरी प्रिय ..
स्वयं प्रकाश की कहानियाँ भारतीय जीवन के हर्ष-विषाद, उथल-पुथल और मामूली समझी जाने वाली स्थितियों का सटीक वर्णन और विश्लेषण करती हैं। इसके लिए वे अपनी कथा-भाषा में व्यंग्य-चुहल और बतकही का इस्तेमाल करते हैं। बड़ी बात यह नहीं है कि एक कथाकार अपनी कहानियों में महान सत्य का उद्घाटन करे, अपितु बड़ी बात यह..
हिन्दी कहानी को कथा और शैली दोनों ही दृष्टियों से नई दिशा देने वाले लेखकों में मोहन राकेश का अग्रणी स्थान है। उन्होंने कम ही लिखा परंतु उनकी अनेक कहानियाँ साहित्य की अमर निधि बन गईं। प्रस्तुत संकलन में उनकी अपने ही द्वारा चुनी हुई कहानियाँ हैं तथा अपने लेखन व रचना प्रक्रिया के संबंध में विशेष रूप मे..
हिन्दी के कहानी लेखकों में मन्नू भंडारी का अग्रणी स्थान है। उनकी कहानियों में नारी-जीवन के उन अन्तरंग अनुभवों को विशेष रूप से अभिव्यक्ति दी गई है जो उनके नितांत अपने हैं और पुरुष कहानीकारों की रचनाओं में प्रायः नहीं मिलते। वैसे मन्नू भंडारी ने अपने अन्य समकालीन समर्थ लेखकों की तरह ही लगभग सभी पहलुओं..
‘नई कहानी’ आन्दोलन के तत्काल बाद कथाकारों की जो पीढ़ी सामने आई, उसके सबसे प्रभासित नक्षत्रों में काशीनाथ सिंह का नाम आता है। उन्होंने हिन्दी कहानी को एक नया तेवर और मुहावरा दिया और उपन्यास-संस्मरण आदि विधाओं में भी नये मानदंड स्थापित किये। इस संकलन के लिए उन्होंने अपनी बारह कहानियाँ चुनी हैं, जो उनक..